ऽ 2017-18 में अब तक रिकार्ड 2500.98 करोड़ गन्ना मूल्य का हुआ भुगतान, जबकि गत वर्ष इस अवधि तक मात्र 928.75 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान हुआ था।
ऽ प्रदेश में चीनी मिलों द्वारा 161.33 लाख टन गन्ने की पेराई कर अब तक 15.98 लाख टन चीनी का किया उत्पादन, गत वर्ष अब तक 102.47 लाख टन गन्ने की पेराई कर मात्र 10.05 लाख टन चीनी गई थी बनाई।
ऽ वर्तमान सत्र में अभी तक चीनी रिकवरी का औसत 9.90 प्रतिशत है, जो गत वर्ष की तुलना में 0.09 प्रतिशत अधिक है।
लखनऊः 05 दिसम्बर 2017
प्रदेश के प्रमुख सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि वर्तमान पेराई सत्र 2017-18 में उ.प्र. राज्य की शुगर रिकवरी गन्ना उत्पादक पश्चिमी राज्यों यथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात से भी अधिक है। ताजा आकडांे के अनुसार अब तक प्रदेश में 15.98 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन हुआ है। इसके सापेक्ष महाराष्ट्र में 16.81, कर्नाटक में 4.16 और गुजरात में 2.00 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है। प्रदेश की औसत शुगर रिकवरी 9.90 प्रतिशत है, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में यह क्रमशः 9.38 एवं 8.61 प्रतिशत है।
उल्लेखनीय है कि मा. मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में और मा. गन्ना मंत्री के मार्गदर्शन में उ.प्र. में वर्तमान पेराई सत्र में चीनी मिलांे का संचालन गत वर्ष की अपेक्षा पहले कराया गया और इसी के परिणामस्वरूप उ.प्र. गन्ना पेराई, चीनी उत्पादन और शुगर रिकवरी में अग्रणी चल रहा है।
प्रमुख सचिव ने जानकारी दी कि वर्तमान सत्र 2017-18 में अब तक संचालित 112 चीनी मिलों द्वारा 161.33 लाख टन गन्ने की पेराई सुनिश्चित कर 15.98 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है और औसत चीनी रिकवरी 9.90 प्रतिशत है, जबकि गत वर्ष में इस तिथि तक 107 चीनी मिलों द्वारा 102.47 लाख टन गन्ने की पेराई करके 10.05 लाख टन चीनी बनायी गयी थी तथा चीनी रिकवरी 9.81 प्रतिशत थी।
उन्होंने यह भी कहा कि शासन की शीर्ष प्राथमिकता के अनुसार गन्ना किसानों को त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान कराने के निर्देश दिये गये हैं, जिसके फलस्वरूप पेराई सत्र 2017-18 में देय गन्ना मूल्य रू. 2500.98 करोड़ का भुगतान अब तक सुनिश्चित कराया जा चुका है, जबकि गत वर्ष इस तिथि तक मात्र रू. 928.75 करोड़ का ही गन्ना मूल्य भुगतान हो सका था।