ऽ प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं अध्यक्ष उ0प्र0 पावर कारपोरेशन श्री आलोक कुमार ने बताया है कि गतवर्ष 2016-17 में राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित लाइन हानियों (वास्तविक लाइन हानियों से काफी कम) के आधार पर आयोग द्वारा प्रति यूनिट विद्युत आपूर्ति की लागत 6 रूपये 35 पैसे अनुमोदित की गयी थी। इसी आधार पर वर्ष 2017-18 में प्रति यूनिट विद्युत आपूर्ति की लागत लगभग 6 रूपये 75 पैसे सम्भावित है।
ऽ विद्युत आपूर्ति की लागत की रिकवरी विद्युत वितरण निगमों द्वारा उपभोक्ताओं पर लागू टैरिफ के माध्यम से की जाती है तथा कुछ अंश राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन किया जाता है।
ऽ प्रदेष सरकार के संकल्प पत्र में यह कहा गया था कि प्रदेष सरकार गरीब घरों को बिजली की पहली सौ यूनिट तीन रूपये प्रति यूनिट की रियायती दर पर दी जायेगी। नये विद्युत दरों में ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को पहली सौ यूनिटे तीन रूपये प्रति यूनिट की दर से चार्ज की जायेंगीं। इसी प्रकार ऐसे गरीब शहरी परिवार जो सौ यूनिट तक विद्युत उपभोग करते हैं उनकी भी बिजली दर तीन रूपये प्रति यूनिट होगी।
ऽ अनुमानित विद्युत आपूर्ति की लागत 6 रूपये 75 पैसे के सापेक्ष ऐसे ग्रामीण उपभोक्ताओं से जो प्रतिमाह 100 यूनिट तक का उपभोग करते हैं, अब लागू दरों के अन्तर्गत कुल 3 रूपये 68 पैसे प्रति यूनिट लिया जायेगा जिसमें विद्युत शुल्क भी सम्मिलित है अर्थात ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट लगभग 3 रूपये 08 पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी।
ऽ नई विद्युत दरों का मुख्य उद्देष्य मीटरिंग को बढ़ावा देना है ताकि छोटे उपभोक्ताओं पर अनावष्यक फिक्सड् टैरिफ का बोझ न पडे़ और विद्युत के उपभोग में किफायत भी आये। उदाहरण के लिए यदि एक ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता एक माह में तीस यूनिट का विद्युत उपभोग करता है तो नई दरों के अनुसार उसका मासिक बिल मात्र रू0 140/- आयेगा जबकि फिक्सड्् टैरिफ के अन्तर्गत उसके ऊपर इससे लगभग ढाई गुना का बिल ज्यादा पड़ता।
ऽ अनुमानित विद्युत आपूर्ति की लागत 6 रूपये 75 पैसे के सापेक्ष कृषि उपयोग के लिए प्रति यूनिट मात्र 1 रूपये 10 पैसे ही टैरिफ लगेगा अर्थात किसानों को प्रति यूनिट 5 रूपये 65 पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी।
ऽ ग्रामीण क्षेत्र में “कोल्हू उद्योग“ एक सीजनल उद्योग होते हैं परन्तु अभी तक उन्हें पूरे वर्ष का थ्पगमक ब्ींतहम देना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के लाभार्थ इन कोल्हू श्रेणी के उपभोक्ताओं को राहत देने के लिये आॅफ-सीजन में थ्पगमक ब्ींतहम में 75 प्रतिषत की छूट दी गयी है। दस हार्सपावर के कोल्हू की एक इकाई यदि चार महीने उत्पादनरत् रहती है तो वर्ष के शेष बचे हुये आठ महीनों में थ्पगमक ब्ींतहम के मद में ऐसी इकाईयों को एक वर्ष में लगभग रू0 11,500/- की राहत मिलेगी।
ऽ अन्य राज्यों में लागू विद्युत दरों के अध्ययन के उपरान्त यह पाया गया है कि अभी तक उत्तर प्रदेश में ग्रामीण (घरेलू) उपभोक्ताओं से विद्युत आपूर्ति लागत का मात्र 42 प्रतिशत चार्ज किया जाता है जबकि मध्य प्रदेश में 86 प्रतिशत, राजस्थान में 100 प्रतिशत, हरियाणा में 53 प्रतिशत तथा पंजाब में 80 प्रतिषत चार्ज किया जाता है। नई दरों के अनुसार भी उत्तर प्रदेश में ग्रामीण उपभोक्ताओं से विद्युत आपूर्ति लागत का मात्र 54 प्रतिशत चार्ज किया जायेगा।
ऽ प्रदेश की औद्योगिक इकाईयों का सदैव यह कहना रहा है कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक इकाईयों पर लागू विद्युत दरें अन्य प्रदेशों की तुलना में अधिक हैं जिसके कारण अपना औद्योगिक माल बेचने में कठिनाईयाॅ आती हैं और प्रदेश नये उद्योग स्थापित होने में भी कठिनाई आती है। इसी के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास और नये रोजगार सृजन बढ़ाने के उद्देश्य से नई दरें औद्योगिक इकाईयों के लिए कोई वृद्धि नहीं की गई है ।
ऽ एक शिफ्ट में चलने वाले उद्योग जिनमें से अधिकतर छोटे एवं माध्यम उद्योग सम्मिलित होते हैं, के लिए नई दरों में ग्रीष्मकाल में सुबह 5 बजे से दोपहर 11 बजे तक 15 प्रतिशत की छूट दी गई है।
ऽ विद्युत वितरण निगमों द्वारा राजस्व की वसूली बढ़ाने और विद्युत क्रय लागत में वृद्धि की रोकथाम के लिए अनेकों उपाय किये गये हैं। चालू वित्तीय वर्ष में प्रथम छमाही में इन उपायों से लगभग 1364 करोड़ अधिक रूपये वसूल किये गये हैं।
ऽ यदि लाइन हानियों को ‘उदय’ योजना के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्य के समतुल्य कम भी कर लिया जाये तो अभी तक लागू रही टैरिफ दरों के आधार पर प्रदेश के पावर सेक्टर का कैशगैप अत्यधिक रहेगा चॅूकि प्रदेश में उपभोक्ताओं को की जा रही विद्युत आपूर्ति में वृद्धि हुई है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गतवर्ष की तुलना में पहले 6 महीनों में इस वर्ष लगभग कुल 16.5 प्रतिशत अधिक विद्युत आपूर्ति की गई और ग्रामीण क्षेत्रों में गतवर्ष की तुलना में 33 प्रतिशत अधिक विद्युत आपूर्ति की गई है।
ऽ ऊर्जा विभाग इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि पावर सेक्टर को वित्तीय दृष्टि से वायबल बनाते हुए सभी उपभोक्ताओं की विद्युत आपूर्ति की आवश्यकताओं को दक्ष तरीके से इनफारमेशन टेक्नोलाॅजी की सहायता लेते हुए पूरा किया जाये ताकि ऊर्जा क्षेत्र प्रदेष के विकास का महत्वपूर्ण भागीदार बने और राज्य के सभी नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार आये।