फैजाबाद में किया राज्यपाल ने लोकार्पण
सुरेन्द्र अग्निहोत्री, लखनऊ । कविताओं के माध्यम से माता पिता की ममता, प्रेम, वात्सल्य का वर्णन करने वाली कृति पारस-बेला अनूठी है। आज के समय में ऐसी कृतियों का सृजन कम हो रहा है। जननी और जन्मभूमि की वन्दना कविताओं के द्वारा किया जाना सराहनीय है। ’जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ का भाव मन में धारण करके कवि डाॅ0 अनिल कुमार पाठक ने इस कृति से समाज को अच्छा संदेश दिया है।
यह उद्गार प्रदेश के राज्यपाल श्री रामनाईक ने फैजाबाद में डाॅ0 राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विवेकानन्द सभागार में व्यक्त किए। उन्होने माता पर लिखी गयी मराठी कवि की कविता का वाचन करते हुए उसका हिन्दी अनुवाद भी बताया। वह मुख्य अतिथि के रूप में अपना वक्तव्य दे रहे थे। उन्होने कहा ऐसी कृतियों की विशेष आवश्यकता है अच्छी पुस्तकें पाठकों को खरीद कर पढ़नी चाहिए। यह वक्तव्य उन्होने कवि एवं जिलाधिकारी फैजाबाद डाॅ0 अनिल कुमार पाठक की पुस्तक पारस-बेला के लोकार्पण के अवसर पर दिया। यह आयोजन प्रभात प्रकाशन द्वारा किया गया। लखनऊ से पधारे हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठ विद्वान प्रोफे0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि यह काव्यकृति पुण्यश्लोक स्व0 पारसनाथ पाठक प्रसून (पिता श्री) और पूज्यचरण बेला देवी (माता) के प्रति डाॅ0 अनिल कुमार पाठक का भक्ति भाव है। उन्होने कहा कि भौतिक दिनचर्या में हम अपने मूल से कटते जा रहे हैं जिसमें समूची ग्रामीण व्यवस्था और परिवार संस्कृति की उपेक्षा हो रही है। यही इन कविताओं का मुख्य संदेश है। मातृ पितृ भक्त के साथ-साथ कवि ने इसमें आंचलिक संस्कृति को बड़ी सफलता के साथ चित्रित किया है। उन्होंने कहा कि पारस बेला कृत को 5 खण्डों में विभक्त किया गया है। प्रत्येक खण्ड की रचनाएं सोद्येश्य लिखी गयी है। श्रवणाख्यान पुराख्यानों से लेकर लोकनाट्यों एवं गाथाओं में विस्तार पूर्वक प्रस्तुत किया गया है। भक्त श्रवण की कथा का सार संक्षेप भी कविताओं के माध्यम से कवि ने किया है।
अपनी रचना धर्मिता के विषय में बताते हुए डा0 अनिल कुमार पाठक भावुक हो गये। माता-पिता की स्मृति के इन क्षणों में उन्होंने एक लम्बी कविता संकलन से पढ़ी। उन्होंने कहा कि हमारी परम्परा मातृ देवो भव, पितृ देवो भव की रही है। पूर्वजों का स्मरण करना हमारा दायित्व है।
इस अवसर पर मण्डलायुक्त मनोज मिश्र, आई0जी0श्री विजय प्रकाश, कुलपति द्वय मनोज दीक्षित एवं अख्तर हसीब सहित तमाम अधिकारी एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ लेखक, यतीन्द्र मोहन मिश्र ने किया।
आभार ज्ञापन पारस-बेला न्यास के अध्यक्ष शिक्षा विद् एल0पी0पाण्डेय ने किया।