समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री नरेश उत्तम पटेल ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि तरबूज, पपीता, टमाटर, आदि के बीजों के दामों में बेतहाशा मूल्यवृद्धि के कारण किसानों पर भारी आर्थिक बोझ बढ़ गया है। उनके उत्पादन का लागत मूल्य काफी बढ़ गया हैं बावजूद इसके योगी सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं है। मजबूरन किसानों को विदेशी कंपनियों से बीज खरीदना पड़ रहा है।
श्री पटेल ने कहा है कि गंगा नदी के किनारे वाले गांवों में लाखों किसान तरबूज की खेती करते है। एक बीघा खेत में बीज के साथ कई किस्म की खाद और कीटनाशक दवा के इस्तेमाल पर तरबूज की फसल की लागत 20 हजार रूपए आती है। उन्हें दैवी आपदा से फसल की बरबादी पर भी कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है।
श्री नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि तरबूज की फसल की तैयारी शुरू हो गई है। किसान को 12 हजार रूपए से लेकर 16 हजार रूपए प्रति किलो बीज खरीदना पड़ रहा है। इसके देशी बीज 3 सौ से लेकर 5 सौ रू0 किलो में खरीदकर किसान पहले अपना जीवन यापन करता रहा किन्तु अब उसे विदेशी कम्पनियों का 16 हजार प्रति किलो की दर से बीज मिल रहा है। इन विदेशी बीजों का किसान दुबारा प्रयोग नहीं कर सकता है क्योंकि वे उत्पादन लायक नहीं रह जाते हैं। जबकि देशी बीज के पुनः प्रयोग से उत्पादन में कोई कमी नहीं आती थी।
श्री पटेल के अनुसार देशी बीज से पहले तरबूज कलुआ, मथुरिया, नीमपŸाी, दाविया, पथरचटा, लखनउवा की मांग पूरे देश में रहती थी, लेकिन अब मंहगे विदेशी बीजों के सामने देशी तरबूज लुप्तप्राय हो रहा है। पहले किसान इसके साथ खेतों मंे करेला, ककड़ी तथा लौकी भी बो लेता था। इस प्रकार किसान को पपीता के देशी बीज जो 5 से 7 सौ रूपए किलो मिलते थे अब विदेशी कम्पनी 2 लाख 80 हजार रूपए प्रति किलो यानी 2800 रूपये का दस ग्राम पैकेट खरीदकर काम चलाना पड़ता है। टमाटर का बीज 20 हजार से 40 हजार रूपए प्रति किलो खरीदना पड़ रहा है।
श्री नरेश उत्तम पटेल का कहना है कि कन्नौज, कानपुर, फतेहपुर, उन्नाव, रायबरेली, इलाहाबाद सहित प्रदेश में गंगा किनारे लाखो किसानों की आजीविका पर अब सरकारी उपेक्षा से भारी संकट छा गया है। सरकार ने राहत नहीं दी तो किसान परिवारों में भुखमरी के हालात पैदा हो जाएंगे। बहुत से किसानों का तो खेती से ही मोहभंग हो रहा है।