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निःशुल्क चिकित्सा शिविर में 395 लोगों ने स्वास्थ्य परीक्षण कराया तथा औषधियाँ प्राप्त की
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दिनांक-31.10.2017
श्आयुर्वेद एवं यूनानी विकास अभियानश् क्षेत्र- लखनऊ का शुभारम्भ आज राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय (15 शैय्या), सेक्टर-8 विकासनगर लखनऊ में निःशुल्क विशेष चिकित्सा शिविर आयोजित कर किया गया। शिविर का शुभारम्भ क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डा0 शिव शंकर त्रिपाठी ने आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि को माल्यार्पण कर किया।
इस शिविर में वातव्याधि (जोड़ों एवं कमर के दर्द तथा स्पाॅन्डलाइटिस) के 141 रोगी, उदर रोगों से पीड़ित 101 , श्वास-कास एवं प्रतिश्याय के 75, वातश्लैष्मिक ज्वर (वायरल फीवर) के 14, अतिसार एवं प्रवाहिका के 21, हृदरोग के 24 तथा प्रमेह एवं मधुमेह के 19 रोगियों को मिलाकर कुल 395 रोगियों को चिकित्सा परामर्श देकर निःशुल्क औषधियां वितरित की गयी। शिविर में प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 महेश चन्द्र अग्रवाल, महिला चिकित्साधिकारी, डा0 सोफिया किरन एवं डा0 मंजूषा गुप्ता द्वारा प्रतिभाग किया गया तथा जानकी शरण शुक्ला, चीफ फार्मासिस्ट द्वारा रोगियों को समुचित औषधियां वितरित करने मे योगदान दिया गया।
इस अवसर पर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डा0 त्रिपाठी द्वारा ने बताया कि यह मौसम का सन्धिकाल है, अब शरद ऋतु के अनुसार आहार -विहार में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि यदि हम हल्दी, सांेठ, अजवाइन एवं मेथी के समभाग मिश्रण को आधा चम्मच सुबह शाम गुनगुने पानी से लें तो वात प्रकोपजन्य व्याधियां जैसे- सन्धिवात, कटिवात एवं आमवात आदि से बचे रहेंगें तथा तुलसी, अदरक, कालीमिर्च, मुलेठी एवं ज्वराकुंश (लेमनग्रास) का काढ़ा बनाकर सेवन करे तो कफ विकार जैसे जुकाम एवं सर्दी तथा उससे होने वाले ज्वर से बचाव संम्भव है।
उल्लेखनीय है कि इस शिविर में घृतकुमारी, तुलसी (रामा एवं श्यामा), मीठी नीम, भूई आंवला, नीम, बरगद, आम, पीपल, आंवला, हरसिंगार, गिलोय एवं सदाबहार के पौधों तथा कालीमिर्च, सोंठ, दालचीनी, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, लौंग, हल्दी, आंवला, हरड़, बहेड़ा, पिप्पली, मेथी, अजवाइन, हींग, लहसुन, प्याज, गुग्गुल, धनिया, अदरक एवं बंशलोचन आदि औषधि द्रव्यों का एक प्रदर्श (स्टाॅल) भी लगाया गया था जिसमें इन औषधि पौधों तथा औषधि द्रव्यों के गुण एवं उपयोग की जानकारी दर्शाते हुये उनकी पट्टिकायें आम लोगों की जानकारी हेतु लगायी गयी थी। स्वस्थ कैसे रहंे की जानकारी का एक 27 बिन्दुओं का पत्रक तथा सर्वसुलभ 29 आयुर्वेदीय औषधि पौधों एवं उनके उपयोग का पत्रक भी जनसामान्य को वितरित किया गया।