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- प्रधानमंत्री मोदी जी ने मन की बात के माध्यम से लोकपर्व सूर्य उपासना, सीमा पर जवानों के साथ दीपावली त्यौहार के अनुभव खेल स्वस्च्छता, तथा गुरूनानक जी के समानता कर्म व धर्म परायणता का संदेश

Posted on 29 October 2017 by admin

सरदार बल्लभ भाई के जन्म दिन पर रन फाॅर युनिटी में भाग लेने का अपील तथा खादी एवं योग आदि विषयों पर सभी को प्रेरित करने का कार्य किया।
लखनऊ 29 अक्टूबर 2017, मन की बात कार्यक्रम के 36वें प्रसारण में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी देशवासियों को आस्था के पर्व छठ की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे देश में सबसे अधिक नियम और निष्ठा के साथ जिसमें खान पान से लेकर वेशभूषा तक की परम्परा का पालन किया जाता है। छठ पूजा का पर्व प्रकृति और प्रकृति की उपासना से जुड़ा है। सूर्य और जल महाछठ की उपासना के केन्द्र है। आस्था के इस महापर्व में उगते सूरज की उपासना और डूबते सूरज की पूजा अद्वितीय संस्कार से परिपूर्ण है। man-ki-bat
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे जीवन में स्वछता की अभिव्यक्ति भी इस त्यौहार में समायी हुई है। छठ से पहले पूरे घर की सफाई के साथ ही नदी, तालाब, पोखरें के किनारे पूजा स्थल एवं घाटों सफाई पूरजोर के साथ सब मिलकर करते है।
कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात कार्यक्रम की कहीं सराहना होती है तो आलोचना भी होती रही है। उन्होने कहा कि लेकिन जब मैं मन की बात कार्यक्रम के प्रभाव को देखता हॅू तो मेरा दृढ विश्वास और भी मजबूत हो जाता है। कि देश के जनमानस के साथ मन की बात कार्यक्रम शतप्रतिशत अटूट रिश्ते से बंध चुका है। उन्होने खादी एवं हैडलूम का उदाहरण देते हुए कहा कि गांधी जयन्ती के अवसर पर मैं अक्सर खादी और हैडलूम के उपयोग की वकालत करता रहता हॅू। जिसका परिणाम जानकर आप को भी खुशी होगी। इस महीने की 17 अक्टूबर को धनतेरस के दिन दिल्ली के खादी ग्रामोउद्योग भवन स्टोर में 1 करोड़ 20 लाख रूपये की रिकार्ड ब्रिकी हुई। दीपावली के दौरान खादी एवं हैडलूम की विक्री में 680 प्रतिशत की वृद्धि हुई एवं पिछले वर्ष की तुलना में 90 प्रतिशत हुई वृद्धि यह दर्शता है कि हर वर्ग के लोग युवा, बडे, बूढे एवं महिलाएं खादी एवं हैडलूम को पंसन्द कर रहे है।
मन की बात कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरी यह दीपावली भी एक विशेष अनुभव लेकर आयी, हमें इस बार भी दीपावली पर एक बार फिर सीमा पर तैनात जांबाज सुरक्षा बलों के साथ जम्मू-कश्मीर सीमा के गुरैज सेक्टर पर रहा जो अविश्मरणीय रहा। जिन कठिन एव विषम परिस्थितियो का सामना करते हुए हमारे सुरक्षा बल, हमारे जवान देश की रखवाली करते है उस संघर्ष, समर्पण और त्याग के लिए मैं सभी देशवासियों की तरफ से हमारे सुरक्षा बल के हर जवानांे का आदर करता हूॅ। महत्मागांधी और गौतम बुद्ध की इस भूमि से हमारे बहादुर शान्ति रक्षकों ने विश्व भर में शान्ति एवं सद्भाव का संदेश पहुॅचाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी पुण्य भूमि महान लोंगो से सुशोभित रही है। जिन्होंने निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा की। सिस्टर निवेदिता जिन्हंे हम भगनी निवेदिता कहते है वह भी इन असाधारण लोेंगों में से एक है। वह आयरलैण्ड में मार्गरेट एलिजावेथ, नाबेल के रूप में जन्मी थी लेकिन स्वामी विवेकानन्द ने उन्हेें निवेदिता नाम दिया, निवेदिता का अर्थ है जो पूर्ण रूप से समर्पित हो, बाद में उन्होंने ने अपने नाम के अनुरूप स्वयं को सिद्ध करके दिखाया। कल भगनी निवेदिता की 125वीं जयन्ती थी। वे स्वामी विवेकानन्द से इतना प्रभावित थी, अपने सुखी सम्पन्न जीवन का त्याग कर दिया और अपने को गरीबों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
14 नवम्बर को मनाए जाने वाले डायबिटीज दिवस पर डाॅ0 पार्थ शाह के द्वारा पर पूछे गए सवाल का जबाब देते हुए कहा कि सबसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन पर मानए जाने वाले बाल दिवस पर सभी बच्चों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बच्चे नए भारत के निर्माण के सबसे बडे हीरों है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले जो बीमारिया बडी उमर में होती थी जीवन के अन्तिम प्रणाव के आस-पास आती थी वो आज कल बच्चों में भी दिखने लगी हैं, आज बड़ा आश्चर्य होता है जब बच्चे भी डायबिटीज से पीड़ित हो रहे है। पहले के जमाने में ऐसे रोंगो को राजरोग के नाम से जाना जाता था अर्थात ऐसी बीमारी जो केवल सम्मपन्न लोगों को जो एैसो आराम की जिन्दगी जीने वालों को हुआ करती थी। युवा लोगों में ऐसी बीमारियां बहुत कम होती थी। लेकिन हमारी जीवन शैली बदल गई है। अब इन बीमारियों को लाइफ डिसआर्डर के नाम से जाना जाता हैं। युवा उम्र में इस प्रकार की बीमारियों के होने कारण हमारे जीवन शैली में शारीरिक कार्यक्षमता की कमी और खान-पान के तरीकों में बदलाव है। समाज और परिवार को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवार जन जागरूकता पूर्वक ये प्रयास करें की बच्चे खुले मैदान में खेलने कूदने की आदत बनाए, सम्भव हो परिवार के बडे लोग भी ‘योगा फाॅर यंग इण्डिया‘ योग विशेष रूप से हमारे युवा मित्रों को हेल्दी लाइफ स्टाइल बनाए रखने एवं लाइफ स्टाइल डिसआॅडर बचाए रखने में मददगार साबित होगा। स्कूल जाने से पूर्व 30 मिनट का योग लाइफ में बडा परिवर्तन लाएगा। आर्युेवेद एवं योग को हम सिर्फ उपचार एवं ट्रीटमेंट के रूप मे न देखें उन्हें हम अपने जीवन का हिस्सा बनाए।
प्रधानमंत्री मंत्री ने युवा साथियों को आवाह्न करते हुए कहा कि पिछले दिनों खेल के क्षेत्र से अच्छी खबरें आई हैं। अलग-अलग खेलों में हमारे खिलाडियों ने देश का नाम रोशन किया, हाॅकी में भारत ने शानदार खेल दिखाते हुए एशिया कप का खिताब जीता। हमारे खिलाडियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और इसी के बल पर भारत 10 साल बाद एशिया कप चैम्पियन बना। इससे पहले भारत 2003 और 2007 में एशिया कप चैम्पियन बना था। पूरी टीम एवं सर्पोटिंग स्टाप को हमारे एवं देश की तरफ से बहुत बहुत शुभकानाएं। हाकी के बाद बैडमिंटन से भी भारत के लिए अच्छी खबर आई। डेनमार्क ओपेन खिताब जीतकर श्रीकान्त ने हर भारतीय को गौरव से भर दिया।
स्वच्छ भारत विषय की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा की स्वच्छता विषय पर हमें रोज इतने लोग लिखते है कि उनकी भावनाओं के साथ मैं न्याय करना चाहूॅ तो मुझे हर रोज मन की बात कार्यक्रम करना पडेगा और हर रोज मुझें स्वच्छता के विषय पर ही समर्पित करना पडेगा। प्रधानमंत्री ने कहा आने वाले 4 नवम्बर को गुरूनानक जयन्ती मनाएगें। गुरूनानक जी शिखों के पहले गुरू ही नही बल्कि जगत गुरू है। उन्होंने पूरी मानवता के कल्याण के बारे में सोचा। उन्होने सभी जातियों को एक सामान्य बताया और महिला सशक्तिकरण एवं नारी सम्मान पर जोर दिया। गुरूनानक जी ने पैदल ही 28 हजार किलो मीटर की यात्रा की और अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होने सच्ची मानवता का संदेश दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 दिन बाद 31 अक्टूबर को हम सरदार बल्बभ भाई पटेल की जन्म जयन्ती मनाएंगें, हमसब जानते है कि आधुनिक आखण्ड भारत की नींव इन्होने ही रखी थी। 31 अक्टूबर को श्रीमती इन्दिरागांधी भी इस दुनिया को छोडकर चली गई थी।
सरदार बल्लभाई पटेल की विशेषता यह थी कि वे न सिर्फ परिवर्तनकारी विचार देते थे बल्कि वे उसको कर दिखाने के लिए जटिल से जटिल समस्या का व्यवहारिक हल ढूढने में काबिल थे। विचार को सरकार करना इसमें उनकी महारत थी, सरदार बल्लभ भाई पटेल में पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोने की बागडौर साम्भाली, उन्होने सुनिश्चित किया कि करोडों भारतवासियों को एक राष्ट्र और एक संविधान की छत्रछाया में लाया जाए, उनकी निर्णय क्षमता में सारी बाधाओं को पार करने की सामर्थ थी।

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