Categorized | राज्य

प्रदेश में कतिपय श्रेणी के प्लास्टिक के विनिर्माण एवं उसके अवांछित उपयोग प्रतिबन्धित

Posted on 11 March 2010 by admin

लखनऊ - उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में कतिपय श्रेणी के प्लास्टिक के विनिर्माण एवं उसके अवांछित उपयोग को प्रतिबन्धित करने के उद्देश्य से जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वे प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड तथा नागर स्थानीय निकायों से समन्वय स्थापित करते हुए कतिपय श्रेणी के प्लास्टिक के विनिर्माण एवं उपयोग पर लगाये गये प्रतिबन्ध को कड़ाई से लागू करने हेतु हर महीने के पहले सप्ताह में अभियान चला कर प्रभावी कार्रवाई करें। इस अभियान की निरन्तरता बनाये रखी जायेगी तथा की गई कार्रवाई की सूचना स्थानीय निकाय निदेशक के माध्यम से शासन को उपलब्ध करायी जायेगी।

प्रदेश के प्रमुख सचिव नगर विकास ने कहा है कि प्लास्टिक के अवांछित उपयोग पर प्रतिबन्ध होने के बावजूद प्रभावी प्रवर्तन न होने के कारण पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है जो मानव जीवन को भी प्रभावित करता है। उन्होंने निर्देश दिये है कि भारत सरकार द्वारा जारी नियमों के अन्र्तगत प्लास्टिक निर्माणकर्ताओं का पंजीकरण 17 अक्टूबर,2003 से पूर्व अनिवार्य है अत: वे कार्यरत इकाइयों का पंजीकरण कराये तथा निर्धारित तिथि के पश्चात किसी भी अपंजीकृत इकाई द्वारा प्लास्टिक के वस्तुओं के  विनिर्माण को सख्ती से रोकने की दिशा में कड़ी कार्यवाही करें तथा उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई की जाय।

श्री आलोक रंजन ने जारी दिशा-निर्देशों में स्पष्ट किया है कि प्लास्टिक के ऐसे कैरी बैग जिनकी मोटाई 20 माइक्रान से कम है अथवा निर्धारित माप से कम है अथवा पुन:चक्रित प्लास्टिक के बने हैं तथा खाद्य सामग्री के लाने ले जाने के लिए हैं, उनका विनिर्माण निषिद्ध होने के कारण उनका व्यवसाय करना भी अनुमन्य नहीं है और ऐसे उत्पादों के सम्बंध में प्लास्टिक विनिर्माण, विक्रय और उपयोग नियम, 1999 के अन्तर्गत निषेधात्मक कार्यवाही की जाय। उन्होंने कहा कि पुन:चक्रित प्लास्टिक का उपयोग खाद्य सामग्री के भण्डारण अथवा उस ले जाने या पैकिंग में और यदि मोटाई 20 माइक्रान से कम हो तो किसी भी प्रयोजन के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। पुन:चक्रित प्लास्टिक से भिन्न किसी प्लास्टिक का उपयोग किसी भी प्रयोजन के लिए नहीं किया जायेगा यदि उसकी मोटाई 20 माइक्रान से कम है।  अधिनियम की धारा-8 के अधीन उल्लंघनकर्ताओं को प्रथम दोष सिद्ध होने की दशा में एक महीने का कारावास अथवा/ और 5000 रुपये का दण्ड दिया जा सकेगा और पश्चातवर्ती दोष सिद्ध की दशा में छ: महीने का कारावास अथवा/और 10,000 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकेगा।

प्रमुख सचिव नगर विकास ने बताया कि उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनासित कूड़ा-कचरा (उपयोग और निस्तारण का विनियमन) अधिनियम 2000 की धारा-12 के प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने दण्डनीय अपराधों के प्रशमन के लिए अपने-अपने स्थानीय प्राधिकार यथा नगर निगम में-मुख्य नगर अधिकारी, अपर मुख्य नगर अधिकारी, उप नगर अधिकारी, सहायक नगर अधिकारी, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी/नगर स्वास्थ्य अधिकारी, वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी/चिकित्सा अधिकारी/मुख्य सफाई निरीक्षक/सफाई निरीक्षक को, नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी, स्वास्थ्य अधिकारी तथा सफाई निरीक्षक तथा नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारी को अधिकारिता के प्रयोग के लिए अधिसूचित किया है।

श्री आलोक रंजन ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाये कि कोई भी विक्रेता ऐसे प्लास्टिक कैरी बैग जिनकी मोटाई 20 माइक्रान अथवा निर्धारित माप से कम है अथवा पुन:चक्रित प्लास्टिक के बने हैं तथा खाद्य सामग्री के लाने ले जाने के लिए हैं, उनका विनिर्माण निषिद्ध होने के कारण उनका व्यवसाय करना भी अनुमन्य नहीं है इस प्रकार के प्लास्टिक कैरी बैग में खाद्य सामग्री की आपूर्ति न करें। इसके लिए सभी विक्रेताओं को आगाह कर दिया जाय और यदि इसके बावजूद भी इसका प्रयोग करने की स्थिति में अधिनियम के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्रवाई की जाय। उन्होंने प्लास्टिक के उपयोग को हतोस्ताहित करने के लिए जनभावना तैयार करने हेतु गैर सरकारी संस्थाओं व समाज सेवी संस्थाओं का भी सहयोग लेने के निर्देश दिये है।

प्रमुख सचिव नगर विकास ने बताया है कि प्लास्टिक के विनिर्माण पुन: चक्रण से सम्बंधित परिवर्तन के लिए भारत सरकार ने राज्य प्रदूषण बोर्ड को निहित प्राधिकारी तथा उसके उपयोग एकत्रण, पृथक्कीकरण, परिवहन और व्ययन से सम्बंधित नियमों के परिवर्तन के लिए सम्बंधित जिले के जिला कलेक्टर/उपायुक्त को बनाया गया है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने नियमों में संशोधन कर अब प्लास्टिक के विनिर्माण के अतिरिक्त कैरी बैग के भण्ड़ारण, वितरण या विक्रय को भी निषिद्ध कर दिया गया है तथा विनिर्माता द्वारा पंजीकरण हेतु राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के समक्ष 17 अक्टूबर 2003 से पूर्व आदेश करना भी आवश्यक हो गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in