लखनऊ 10 अक्टूबर 2017, संघ के पूज्य सरसंघचालकों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को प्रभात प्रकाशन ने 5 पुस्तकों के रूप में कलमबद्ध किया। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए सघ और पूज्य सरसंघचालकों के जीवन वृत्त को रेखांकित किया।
हमारे डाॅ0 हेडगेवार जी, हमारे श्री गुरू जी, हमारे बाला साहब देवरस, हमारे रज्जू भैया, हमारे सुदर्शन जी यह पांच पुस्तके पाठकों को राष्ट्र नव निर्माण के पथ पर आगे बढाने का काम करेंगी।
साइंटिफिक कन्वेशन संेटर के सभागार में पुस्तको का विमोचन करते हुए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि मेरे जैसे कार्यकर्ता का यह सौभाग्य है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचो दिवगंत सरसंघ चालको पर लिखी पुस्तक के विमोचन का मैं हिस्सा रहा।
श्री शाह ने कहा कि संघ जीवनकाल में कई बार ऐसा लगा कि प्रकाश देने वाली यह ज्योति कहीं बुझ तो नहीं जाएगी, परन्तु हर बार कठिन से कठिन संकटो से गुजरती हुई और भी दिव्य रूप में प्रकाशित हुई। ऐसे तमाम अवसर आए जब संघ ने एक आदर्श प्रस्तुत करते हुए हमें अपनी परम्पराओं के पालन के साथ आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया। संघ में जब गुरू बनाने की बात आई तो यह प्रश्न उठा कि गुरू पूजन किसका करें तो परम्पराओं की जगह भगवाध्वज को गुरू के रूप मे स्वीकार किया। ध्येय भी हमें इन्ही आदर्शो से मिला।
श्री शाह ने स्पष्ट करते हुए कहा कि शुद्ध आचरण के साथ ईश्वर पर अस्था रखकर यह कार्य किया गया होगा जो आज संघ ने इतना विशाल रूप ले लिया है। जब 1925 में संघ की स्थापना हुई उस समय देश के सारे देशभक्त यह सोचते थे कि देश गुलाम क्यों हुआ परन्तु पूज्य डाॅक्टर साहब की सोच थी कि देश गुलाम क्यों हुआ और जब तक देश को गुलाम बनाने वाले कारणों को नहीं खोजेगें और रोग के मूल को निर्मूल नहीं करेगें, तब तक देश की अखण्डता को अक्षुण्य नहीं रख सकते। डाॅ0 साहब ने जब संघ की स्थापना की तब भी उनके साथ कुछ बच्चे ही थे, इन युवको के साथ खेलते हुए शाखा नाम की संस्था से व्यक्ति निर्माण, व्यक्ति निर्माण से समाज का निर्माण और समाज के निर्माण से राष्ट्र का निर्माण एवं राष्ट्र गौरव की दिशा में आगे बढते हुए संघ इतना विस्तृत रूप लेगा यह किसी ने नहीं सोचा था।
श्री शाह ने कहा कि राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र का सर्वे करने वाले छात्र हमसे मिले तो हमने उन्हें बताया कि संघ चंदा नही लेता, गुरू दक्षिणा के समर्पण से ही संघ का काम चलता है। जब संघ पर प्रतिबंध लगा तो बात आई कोर्ट में संघ का संविधान प्रस्तुत करना है, लेकिन संघ का कोई संविधान ही नहीं, संघ मैं अपने बारे में लिखने की प्रथा नही। संघ को समझने के लिए बस इतना ही काफी है कि ‘‘पायो जी मैंने राम रतन धन पायो‘‘। संघ आज जो इतने बडे़ रूप में दिखता है उसमें बाला साहब देवरस जी का अथक परिश्रम और दूरदृष्टि थी। मुझे पूज्य बाला साहब देवरस, पूज्य रज्जू भैया, पूज्य सुदर्शन जी का सानिध्य एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय है।
डाॅ0 हेडगेवार जी के व्यक्तित्व एंव कृतित्व को श्याम बहादुर वर्मा ने कमलबद्ध किया। हमारे गुरू जी पुस्तक का लेखन संदीप देव ने किया। हमारे बालासाहब देवरस पुस्तक राम बहादुर राय एवं राजीव गुप्ता, हमारे रज्जू भैया पुस्तक देवेन्द्र स्वरूप एवं ब्रज किशोर शर्मा, हमारे सुदर्शन जी पुस्तक का बलदेव भाई शर्मा ने लेखन किया।
मंच पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल राम नाईक, प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 महेन्द्रनाथ पाण्डेय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पश्चिम क्षेत्र के संघचालक प्रो0 भगवती प्रकाश शर्मा एवं नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव शर्मा मंचासीन एवं वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।