जहां पूरे देश में तमाम गंभीर बीमारियों से असमय मौतें हो रही हैं वहीं उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में कुपोषण से बच्चों की मृत्यु हो रही है। कुपोषण से होने वाली मौतों को रोकने के लिए, शिक्षा के प्रति बच्चों को जागरूक करने, बौद्धिक स्तर ठीक रखने एवं स्कूलों के प्रति बच्चों में आकर्षण पैदा करने के लिए पूर्ववर्ती केन्द्र की यूपीए द्वारा मिड डे मील (मध्यान्ह भोजन) योजना शुरू की गयी थी जिसमें फल वितरण के मकसद से उ0प्र0 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा समाजवादी पौष्टिक आहार योजना भी शुरू की गयी, जो राजनीतिक द्वेष की भेंट चढ़ गयी।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता कृष्णकान्त पाण्डेय ने आज जारी बयान में कहा कि समाजवादी पौष्टिक आहार योजना इस सरकार को ईषर््या एवं द्वेषभाव से अखरने लगी। परिणामस्वरूप पूरे प्रदेश में स्वयंसेवी संस्थाएं जो आपूर्ति कर रही थीं उनका भुगतान रोक दिया गया है।
श्री पाण्डेय ने कहा कि परिषदीय स्कूलों एवं मदरसों में मध्यान्ह भोजन के साथ ही बच्चों को फल मिलता रहा है। जिससे बच्चों में शिक्षा के प्रति रूझान बढ़ने के साथ ही उनके स्वास्थ्य और बौद्धिक स्तर को ठीक रखने और कुपोषण से बचने में मदद मिल रही थी, जिससे पूरे प्रदेश के लाखों बच्चे लाभान्वित हो रहे थे। लेकिन राजनीतिक द्वेष की भावना से पूरे प्रदेश में बच्चों को फल से वंचित किया जा रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि जहां एक तरफ यह सरकार जूते, मोजे और स्वेटर देने की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने में जुटी हुई है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से गरीबों के प्रति योगी सरकार की नकारात्मक रवैये की पोल खुल गयी है तथा यह साफ हो गया है कि यह सरकार पूरी तरह गरीब विरोधी है।