शासन द्वारा दोशी पाये जाने के बावजूद भी तैनात है लघु सिचाई अभियन्ता
दिनेश श्रीवास्तव/महेश नारायण द्विवेदी
सुलतानपुर - लघु सिचाई विभाग में वर्ष 2003 में सृजित कनिष्ठ सहायक/टंकण के अधिसंख्य पदों पर की गई भर्ती में गम्भीर अनियमितताओं की शिकायत प्राप्त होने पर शासन द्वारा करायी गई प्रारिम्भक जॉंच में चयन हेतु राजेन्द्र सिंह तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता की अध्यक्षता में गठित चयन समिति जिसमें आर0एस0चौधरी अधिशासी अभियन्ता/वयक्तिक सहायक लघु सिचाई मुख्यालय लखनऊ, जेड0ए0 खान अधिशासी अभियन्ता लघु सिचाई विभाग खण्ड सीतापुर, भोला राय क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी लखनऊ की सद्स्यता वाली टीम की पोल खोल दी। जबकि कार्मिक अनुभाग-2 की अधिसूचना संख्या-20/4/का-2-2002 के क्रम में 21 जून 2003 द्वारा कनिष्ठ सहायक/टंकण पन्द पर नियुक्ति चयन के लिये सीधी भर्ती प्रक्रिया में यह प्राविधान किया गया है कि जिनका व्यापक परिचालन हो उस दैनिक समाचार पत्र में रिक्तियों का विज्ञापन प्रकाशित किया जाय। इसी तरह कार्यालय सूचना पट पर सूचना चस्पा किया जाय व चयन के लिए कुल 100 अंकों का विभाजन किया जाय जिसमें वरीयता प्राप्त आवेदन पत्र पर शैक्षिक योग्यता के आधार पर छटनीशुदा कर्मचारी होने तथा खेलकूद से सम्बंधित अम्यर्थी होने के सम्बन्ध में देय कुल अंकों का अलग-अलग विवरण देते हुए श्रेश्ठता सूची के 50 अंकों के तहत बनायी जानी चाहिए। जिनका टंकण परीक्षण लेकर उनमें सफल अभ्यर्थियों के साक्षात्कार के लिये बुलाये जाने तथा साक्षात्कार के लिए 50 अंक रखे जाने का प्राविधान है, परन्तु इस प्रकरण में गठित उक्त चयन समिति द्वारा चयन प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन करते हुए 44 व्यक्तियों की नियुक्ति राजेन्द्र सिंह अध्यक्ष चयन समिति द्वारा व्यापक पैमाने पर शासनादेश की धज्जियॉं उड़ाते हुए मनमानी की गई। जिसमें 44 कनिष्ठ सहायकों के पदों पर भर्ती हेतु अध्यक्ष चयन समिति द्वारा 07 जून 2003 को विज्ञापन प्रसारित कराकर आवेदन पत्र मांगा गया था।
आवेदन पत्र स्वीकार किये जाने की अन्तिम तिथि 20 जून 2003 थी, आवेदनकर्ताओं की कुल 2555 थी। जिसमें चयन समिति के द्वारा 28 जून से 30 जून 2003 तक 441 अभ्यर्थियों का टंकण परीक्षण ली गई। जबकि चयन समिति द्वारा जारी विज्ञापन सम्बन्धी सूचना में उिल्लखित था कि 4 जुलाई 2003 को टंकण परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सूची मुख्य अभियन्ता लघु सिचाई उ0प्र0 लखनऊ की कार्यालय में एवं अधीक्षण अभियन्ता लघु सिचाई विशाल खण्ड-2 गोमती नगर लखनऊ के कार्यालय में चस्पा कर दी जायेगी, और सफल अभ्यर्थियों को साक्षात्कार हेतु 5 जुलाई 2004 को प्रात: 11.00 बजे सम्पन्न कराया जायेगा, परन्तु उक्त सूचना 21 जून 2004 को चयन समिति द्वारा निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग लखनऊ को भेजी गई, लेकिन उक्त सूचना किसी दैनिक समाचार पत्र में प्रकािशत नही की गई। चयन समिति अध्यक्ष समिति द्वारा प्रत्येक अभ्यर्थी से डाक टिकट लगे दो लिफाफे लिये गये थे। किन्तु किसी भी अभ्यर्थी को डाक द्वारा सूचना नही भेजी गई, जिससे भर्ती प्रक्रिया से बहुत सारे अभ्यर्थी वंचित रह गये लिहाजा 441 अभ्यर्थियों में 277 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार हुआ। 164 अभ्यर्थी सूचना के आभाव की वजह से शामिल नही हो सके। इसी क्रम में राजेन्द्र सिंह द्वारा शैक्षिक योग्यता एवं साक्षात्कार के आधार पर तैयार की गई वरीयता सूची में इण्टरमीडिएट तृतीय श्रेणी उत्तीर्ण 12 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 50 अंको में से 40 अंक दिये गये, जबकि प्रथम श्रेणी के इण्टरमीडिएट एवं स्नातक डिग्री प्राप्त अभ्यर्थियों को 10 से 25 अंक तक दिये गये। इसी तरह चयन समिति द्वारा अनुसूचित जनजाति के 8 रिक्त पदो के सापेक्ष मात्र एक अनुसूचिज जाति के अभ्यर्थी का चयन किया गया, जबकि अनुसूचित जाति के आवेदनकर्ता पर्याप्त संख्या में उपलब्ध थे। ज्ञात हो कि माननीय उच्च न्यायालय के रिट पीटीशन संख्या-31300/2002 में दिये गये अपने आदेश 28 जनवरी 2003 द्वारा राजेन्द्र सिंह का अधीक्षण अभियन्ता लघु सिचाई पर किया गया प्रोन्नत आदेश 19 जुलाई 2002 को ही निरस्त कर दिया गया था, परन्तु रसूख के चलते राजेन्द्र सिंह प्रभारी अधीक्षण अभियन्ता के रूप में लिपिकों के चयन का समस्त उत्तरदायित्व सौपना भ्रश्टाचार के लिये रची गई सोची समझी साजिश का हिस्सा होने से इनकार नही किया जा सकता। इस नियुक्ति प्रक्रिया में अध्यक्ष के साथ समिति के सद्स्यों ने लाखों रूपयें की बन्दरबांट करते हुए पूरे मामले में शासन को अंधेरे में रखा, जिसका खामियाजा पात्र अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ा।
(इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी शंकर लाल पाण्डेय ने दूरभाश पर बताया कि सम्बन्धित प्रकरण में मुझे कोई जानकारी नही है। संज्ञान में आने पर कार्यवाही की जायेगी )
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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