आज़ादी आन्दोलन के ग़ैर समझौतावादी धारा के महान क्रांतिकारी शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की 110 वीं जयन्ती की पूर्व बेला पर छात्र संगठन आॅल इण्डिया डीएसओ द्वारा डीएवी इण्टर काॅलेज, लखनऊ में जयन्ती कार्यक्रम का आयोजन
दिनांक 27 सितम्बर 2017 को डीएवी इण्टर काॅलेज, लखनऊ के प्रांगण में और 28 सितम्बर 2017 को सुन्दरबाग, लखनऊ में अखिल भारतीय छात्र संगठन आॅल इण्डिया डीएसओ द्वारा शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जयन्ती कार्यक्रम आयोजित किये गये। डीएवी इण्टर काॅलेज में कार्यक्रम के शुरू में भगत सिंह की तस्वीर युक्त बैज उपस्थित छात्रों एवं टीचर स्टाॅफ को पहनाया गया, तत्पश्चात् उपस्थित शिक्षक समुदाय, संगठन के कार्यकर्तागण व छात्रों द्वारा भगत सिंह के चित्र पर फूल चढ़ाकर नमन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए संगठन के प्रदेश सचिव हरीशंकर मौर्य ने भगत सिंह के जीवन संघर्षों पर चर्चा करते हुए कहा कि देश की आज़ादी के लिए हँसते हुए फाँसी को गले लगाने वाले क्रांतिकारियों को आज भुलाया जा रहा है। सबके लिए शिक्षा, जनवादी, धर्मनिरपेक्ष व वैज्ञानिक शिक्षा तथा हर तरह के अन्याय, शोषण, जुल्म से मुक्त समाज निर्माण का शहीदों के सपने को आज पैरों तले रांैदा जा रहा है तथा शिक्षा को महज व्यवसाय आधारित तथा व्यापार की वस्तु में तब्दील किया जा रहा है। पाठ्य पुस्तकों से क्रांतिकारियों, साहित्यकारों व महापुरूषों को हटाया जा रहा है। शिक्षा एवं संस्कृति के गिरते स्तर को बचाने के लिए भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को आज के छात्रों व नौजवानों को अपने जीवन का आदर्श बनाना ही होगा। कार्यक्रम में संगठन के आशुकांति सिन्हा ने ‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है…’ की धुन को बाँसुरी पर प्रस्तुत किया। अंत में बच्चों को सम्बोधित करते हुए डीएवी इण्टर काॅलेज के प्रधानाचार्य श्री नरेन्द्र देव ने छात्र-नौजवानों को शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के जीवन संघर्ष को आदर्श मानते हुए अपने चरित्र का गठन करने का आह्वान किया। काॅलेज में कार्यक्रम का संचालन संगठन के लखनऊ जिला इंचार्ज यादवेन्द्र ने किया। इसके अलावा जाने-माने समाजसेवी के.के. शुक्ला, जय प्रकाश, वीरेन्द्र त्रिपाठी, हरकिशन, शैलेश, सचिन, व विप्लव आदि लोगों ने भी शहीद-ए-आज़म भगतसिंह को नमन किया।
सुन्दरबाग में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता आशुकांति सिन्हा व संचालन यादवेन्द्र ने की। सभी उपस्थित साथियों ने भगत सिंह को आदर्श बनाकर उनके जीवन संघर्ष से सीख लेने का वादा किया और शिक्षा व समाज के लिए क्रांतिकारी जीवन को आत्मसात् करने का आह्वान किया।