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नवजात शिशु, बच्चों एवं प्रसूता माताओं के मृत्यु की घटना में हर स्तर पर प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है, इसके लिए शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) अभियान की बहुत ही सम्वेदनशील तरीके से चलाए जाने की आवश्यकता है

Posted on 26 September 2017 by admin

स्थाई सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य के प्रति जमीनी स्तर प्रयास संतोषजनक नही हैं जब तक माँ और बच्चों के मृत्यु के चिकित्सीय कारणों के साथ ही सामाजिक आर्थिक कारणों का विश्लेष्ण नही किया जाएगा तब तक माताओं और बच्चों की मृत्यु के प्रतिशत को कम नही किया जा सकेगा |

image2वाराणसी, मानवाधिकार जननिगरानी समिति/जनमित्र न्यास और वायस ऑफ़ पीपुल के संयुक्त तत्वाधान में आज 26 सितम्बर 2017 को कामेश हट होटल में स्वास्थ्य एवं पोषण सेवा प्रदान करने वाली सरकारी विभाग के साथ इंटरफेस का आयोजन किया गया | इस इंटरफेस में स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त निदेशक डा0 अंशु सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 बी. बी. सिंह, प्रमुख अधीक्षिका महिला चिकित्सालय डा0 शैला त्रिपाठी, सीडीपीओ सुश्री नीलम मेहता, श्रम परिवर्तन अधिकारी श्री राम अवतार, पीवीसीएचआर के संस्थापक सदस्य प0 विकास महाराज और संस्था के सीईओ डा0 लेनिन रघुवंशी उपस्थित रहे | इस इंटरफेस का उद्देश्य नवजात शिशु, बाल व् मातृ स्वास्थ्य एवं पोषण के निमित्त संचालित कार्यक्रमों एवं योजनाओं के सर्वोत्तम प्रयासों बेहतर परिणामों को साझा किए जाने के साथ शिशु, बाल एवं मातृ मृत्यु दर को नियंत्रित करने में आने वाले चुनौतियों पर व्यवहारिक पक्ष पर दृष्टिकोण विकसित करना रहा | जिससे लक्ष्य प्राप्ति की बाधाओं एवं चुनौतियों के सन्दर्भ में प्रभावी उपाय करके हितकारकों को सेवाओं से संतृप्त किया जा सकें एवं मानव विकास सूचकांकों को बेहतर बनाया जाए |

जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति लक्षित परियोजना क्षेत्र में पिछले आठ महीने में कुल 1936 परिवारों के बीच 298 गर्भवती महिलाओं एवं 0 से 1 वर्ष के कुल 190 बच्चे (F 99 M 91 ) हैं, 1 से 5 वर्ष की उम्र के कुल 916 बच्चे ( F420 M 496 ) कुल 1106 बच्चे बीच लगातार स्वास्थ्य एवं पोषण की निगरानी एवं उनके लिए संचालित योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया है | इस सिमित परिवारों के बीच जंहा इन आठ महीनों के दौरान ही 7 शिशु मृत्यु 7 बाल मृत्यु, 2 मातृ मृत्यु एवं 5 स्टील डेथ दर्ज किया गया जिनके सामाजिक अंकेक्षण में बिभाग की भारी कमियों की ओर ध्यान दिला रहे हैं | वंही दूसरी तरफ यह तथ्य प्रकाश में आया कि, बडागांव अंतर्गत अनेई ग्राम की ANM वन्दना देवी अपने लक्षित जनसंख्या पर 2 स्थानों पर 2 दिन माइक्रोप्लान पर बैठती है, विदित हो कि इससे अन्य जातियों सहित मुसहर समुदाय का टीकाकरण सुनिश्चित होने लगा है |

किन्तु फिर भी लक्षित समुदाय में जारी शिशुमृत्यु, बालमृत्यु, स्टील डेथ, मातृमृत्यु कि चुनौती जो सामने उभरकर आ रहे हैं | यथा पिछले आठ वर्षो से लागू जननी सुरक्षा योजना (JSY) एवं लगभग 4-5 वर्षो से संचालित एम्बुलेंस सेवा के बाद आज भी घरेलू प्रसव जारी है | स्वास्थ्य एवं पोषण देखभाल कार्यक्रमों के बावजूद कम वजन के शिशुओं का जन्म, निमोनिया की शिकायत पर झोलाछाप डाक्टर से ईलाज के अभाव में मृत्यु, कुपोषण जनित बीमारियों के कारण मृत्यु, बीमार होने पर ईलाज मिलने में देरी, ईलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने और स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सा शुरू होने में देरी कारणों से मृत्यु अनवरत जारी है |

नवजात शिशुओ एवं बच्चो के मृत्यु से बचाव के लिए समाधान की दिशा में प्रतिबद्ध रूप मुददे पर जानकारी की उपलब्धता, अवैज्ञानिक व् अस्वच्छ व्यवहारों में बदलाव एवं बचाव के अभ्यासों को प्रोत्साहन दिए बिना सम्भव नही है | स्थाई विकास लक्ष्य को प्राप्त करना भी तब ही सम्भव है जब तक मृत्यु के कारणों का विश्लेष्ण करते हुए उन कारणों एवं सम्भावनाओं को कम से कम ना करें | मृत्यु का निष्पक्ष आडिट करते हुए समाधान की दिशा में छोटे छोटे किन्तु बदलाव के महत्वपूर्ण प्रयास सतत करने होंगे |

संस्था द्वारा किए गए सोशल आडिट में यह स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ कि आज भी सरकार द्वारा संचालित सेवाओं की जानकारी सेवा प्रदाता कर्मचारी नजदीक होने के बाद भी नही है | जानकारी के अभाव में परम्परागत व्यवहार अभ्यास में लाए जा रहे हैं | सेवा प्रदाता संस्थाओं के प्राथमिक सूत्र यथा – आशा कार्यकर्ती, आंगनबाड़ी कार्यकर्ती अपने काम में लापरवाही बरत रही हैं | शिकायत किए जाने पर विभागीय पक्षधरता के कारण घटना की जबावदेही हितभागियों यानि समुदाय के ऊपर ही थोपकर मामले से हाथ खड़ा कर दिया जा रहा है | अत: इन मुद्दों पर आयोजित चर्चा परिचर्चा से सकारात्मक परिणाम के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग, बाल एवं पुष्टाहार विभाग से सम्बन्धित जिले के वरिष्ठ आधिकारीयों को निमंत्रित किया गया था | चर्चा में 7 शिशुमृत्यु , 7 बाल मृत्यु एवं 2 मातृमृत्यु के आडिट रिपोर्ट एवं आंगनवाडी में संसाधनो की कमी के अध्ययन रिपोर्ट सहित बच्चों में कुपोषण के कारणों का विश्लेषणात्मक रिपोर्ट साझा किया गया | चर्चा में मुख्य सूत्रधार के रूप में समिति के निदेशक लेनिन रघुवंशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया | ग्रामीण अंचल पिंडरा, रमईपुर, मीराशाह, मारुकडीह, अनेई, लखापुर, आयर, पुआरीखुर्द, पुआरीकला संजोई, परमंदापुर से महिलाएं एवं स्वास्थ्य एवं पोषण अधिकारों के पैरोकार कार्यकर्ता मंगला प्रसाद, आनन्द निषाद, प्रतिमा पाण्डेय, सुभाष प्रसाद, ब्रिजेश पाण्डेय, सोमारू पटेल सहित संस्था के वरिष्ठ सदस्य शामिल रहे |

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