(1) भारतरत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की जिला जालौन कालपी स्थित प्रतिमा का अनादर करने के विरूद्ध आक्रोशित जनता पर पुलिस लाठीचार्ज व उनमें से अनेकों को जेल भेजे जाने की तीव्र निन्दा।
(2) उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार के इस प्रकार के रवैये को जातिवादी, राजनीतिक द्वेष, दलित-विरोधी व अन्यायपूर्ण नहीं तो और क्या कहा जायेगा?
(3) साथ ही, बीजेपी सरकार के ग़लत रवैये के कारण बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय पुलिस ज़्यादती के फलस्वरूप हिंसा व उपद्रव का शिकार। छात्रायें असुरक्षित।
(4) कुलपति के छात्र-विरोधी रवैये व छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज की बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी द्वारा तीव्र निन्दा।
लखनऊ, 25 सितम्बर 2017: संविधान निर्माता भारतरत्न परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की, जालौन (उरई) के कालपी कोतवाली क्षेत्र में काशीखेड़ा गाँव स्थित, प्रतिमा का अनादर करने के विरूद्ध आक्रोशित जनता पर पुलिस लाठीचार्ज व उनमें से अनेकों को जेल भेजे जाने की तीव्र निन्दा करते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी सरकार के इस रवैये को जातिवादी, राजनीतिक द्वेष, दलित-विरोधी व अन्यायपूर्ण नहीं तो और क्या कहा जायेगा?
आन्दोलनकारी लोगों की तुरन्त रिहाई व लाठीचार्ज करने वाले पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई करने की माँग करते हुये सुश्री मायावती जी ने आज जारी एक बयान में कहा कि इस प्रकार के संवेदनशील व संगीन अपराध करने वालों के खिलाफ कोई सख़्त कार्रवाई नहीं किया जाना इस मामले में सरकार की संलिप्तता को ही दर्शाता है जबकि असमाजिक व आपराधिक तत्वों द्वारा ऐसी घटना के कारण ही सहारनपुर का जातीय संघर्ष हुआ था, लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी सरकार व जिला व पुलिस प्रशासन को इसकी कोई ख़ास चिन्ता नहीं है।
वास्तव में अगर जिले के वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी घटनास्थल पर जाकर स्थिति की गंभीरता के अनुरूप सही कार्रवाई कर लिये होते तो यह मामला कभी भी इतना गंभीर रूप धारण नहीं करता, जो कि नहीं किया गया और उलटे आन्दोलनकारी लोगों पर कार्रवाई की गयी है।
इतना ही नहीं बल्कि सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी सरकार के ग़लत व उपेक्षित रवैये के कारण बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय पुलिस ज़्यादती के फलस्वरूप हिंसा, आगजनी व उपद्रव का शिकार हो रहा है। इस मामले में बी.एच.यू. के कुलपति का रवैया भी छात्र-छात्रा हितैषी नहीं होकर काफी अड़ियल व तानाशाही पूर्ण लगता है। उनके आपत्तिजनक बयानों ने आग में घी डालने का काम किया।
बी.एच.यू. के छात्रगण व छात्रायें अपनी सहयोगी छात्रा के साथ छेड़खानी के मामले का विरोध कर रही थी, परन्तु कुलपति के भड़काऊ रवैये के कारण छात्रों का आन्दोलन तीव्र हुआ और अन्ततः वे पुलिस की जुल्म-ज्यादती के शिकार हुये। बी.एस.पी. कुलपति के छात्र-विरोधी रवैये व छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज दोनों की ही तीव्र निन्दा करती है तथा सरकार से माँग करती है कि छात्र-छात्राओं के साथ न्याय सुनिश्चित करे व साथ ही उनकी सुरक्षा का समुचित प्रबंध करे।