लखनऊ: 25 सितम्बर 2017
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने कहा कि पं0 दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को लेकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुझे पं0 दीनदयाल उपाध्याय को देखने का, सुनने का और विचार-विनिमय करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मुंबई में वे जब भारतीय जनसंघ के महासचिव के नाते आते थे तो उनके विचार सुनने का अवसर मिलता था। उनके जीवन के अनेक पहलू देखे है। पं0 दीनदयाल ने देश को महान चिन्तन की दिशा दी है। पूंजीवाद और साम्यवाद विचारधारा के बीच जनसंघ की विचारधारा को बढ़ाना एक चुनौती थी। उन्होंने कहा कि पं0 दीनदयाल का जन्म शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर हमें विचार करना है कि हम देश का विकास कैसे करें।
उक्त विचार प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज पं0 दीनदयाल स्मृतिका में आयोजित जन्म शताब्दी समारोह में व्यक्त किए। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के लखनऊ अध्यक्ष श्री मुकेश शर्मा, पूर्व विधायक श्री सुरेश तिवारी सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। राज्यपाल ने इससे पूर्व पं0 दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा में पुष्प अर्पित करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री नाईक ने कहा कि पं0 दीनदयाल का जीवन सादगी भरा जीवन था। उनके आचार-विचार में एकरूपता थी। सहजता एवं सरलता के बावजूद वे अपनी बात सशक्त तरीके से रखते थे। एकात्म मानववाद पर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। पं0 दीनदयाल का मानना था कि पूंजीवाद और साम्यवाद से अलग हटकर मनुष्य का विकास एकात्म मानववाद से हो सकता है। वे समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का विकास चाहते थे। इसी दृष्टि से उन्होंने अंत्योदय का विचार रखा। पं0 दीनदयाल का मानना था कि नए रास्ते पर चलेंगे तो लोग स्वयं अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा कि हम सबका दायित्व बनता है कि अंत्योदय को व्यवहार में लाकर सफल बनाएं।
कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।