(1) बीजेपी-आर.एस.एस. से सम्बद्ध छात्रसंघ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की विश्वविद्यालय चुनावों में करारी हार देश में राजनीतिक बदलाव का नया शुभ शकुन व जबर्दस्त संकेत जिसका हार्दिक स्वागत।
ऽ छात्रसंघ के इन चुनावों में बीजेपी की करारी शिकस्त वास्तव में दलित स्कालर श्री रोहित वेमूला को भावभानी श्रद्धांजलि है। श्री वेमूला की कुर्बानी रंग ला रही है।
(2) बीजेपी के नेताओं ने जनता को विभिन्न प्रकार से बहका व वरगलाकर अपने अच्छे दिन बहुत देख लिये हैं और अब देश की जनता उनको उनके बुरे दिन दिखाने का मन लगातार बनाती जा रही है।
(3) प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व विभिन्न राज्यों में इनकी बीजेपी सरकारें आसमान छूती हुई महँगाई, बढ़ती बेरोजगारी, अशिक्षा व स्वास्थ्य जैसी विकट राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति घोर लापरवाह व उदासीन बनी हुई हैं अर्थात् अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारियों को निभाने का राजधर्म निभा पाने में विफल साबित हो रही हंै, जिससे आमजनता काफी परेशान व बेहाल।
(4) करोडों बेरोजगार युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने के मामले में श्री मोदी सरकार सहित बीजेपी की राज्य सरकारों का भी रिकार्ड इतना ज़्यादा ख़राब है कि वे सरकारी नौकरी भी उपलब्ध कराने में फिसिड्डी साबित हो रही है।
(5) लाखों आरक्षित सरकारी पद भी ख़ाली पड़े हैं जिस कारण दलितों व पिछड़ों का आरक्षण निष्क्रिय व निष्प्रभावी: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी
लखनऊ, 24 सितम्बर 2017: देश के अति-प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जे.एन.यू), दिल्ली विश्वविद्यालय (डी.यू), राजस्थान व गुवाहाटी विश्वविद्यालयों के बाद अब हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ के महत्त्वपूर्ण चुनाव में बीजेपी-आर.एस.एस. से सम्बद्ध छात्र संघठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) की करारी हार को देश के राजनीतिक बदलाव का नया शुभ शकुन बताकर उसका हार्दिक स्वागत करते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी के नेताओं ने जनता को विभिन्न प्रकार से बहका व वरगलाकर अपने अच्छे दिन बहुत देख लिये हैं और अब देश की जनता उनको उनके बुरे दिन दिखाने का मन लगातार बनाती जा रही है।
सुश्री मायावती जी ने आज अपने एक बयान में कहा कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी में ए.बी.वी.पी. की करारी शिकस्त व ए.एस.जे. (एलायन्स फार सोशल जस्टिस) गठबंधन की शानदार जीत वास्तव में दलित स्कालर श्री रोहित वेमूला को बेहतरीन श्रद्धांजलि है और केन्द्र की बीजेपी सरकार को सबक है कि वह दलित-विरोधी हरकतों से अब भी बाज़ आ जाये ताकि देश में किसी अन्य रोहित वेमूला को आत्महत्या करने के लिये मजबूर नहीं होना पड़े।
उन्होंने कहा कि कुछ मुट्ठीभर बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों को छोड़कर देश के समस्त सवा सौ करोड़ लोगों के जीवन-मरण से खासतौर से जुड़ी समस्याओं जैसे आसमान छूती हुई महँगाई, बढ़ती बेरोजगारी, अशिक्षा व स्वास्थ्य सेवा का अभाव है, जो लगातार विकराल रुप धारण करता जा रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व विभिन्न राज्यों में इनकी बीजेपी सरकारें इन विकट राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति घोर लापरवाह व उदासीन बनी हुई है अर्थात् अपनी संवैधानिक जिम्मंेदारियों को निभाने का राजधर्म निभा पाने में विफल साबित हो रही है।
इससे देश की आमजनता व खासकर छात्रों एवं युवा वर्ग में जो बेचैनी व आक्रोश है वह अब विभिन्न रूपों में उबलकर सामने आने लगा है और विश्वविद्यालयों के छात्र संघ के चुनाव परिणाम इस बात के प्रमाण हैं कि लोग ’’गौरक्षा, घर वापसी, लव जिहाद, एण्टी-रोमियों, देशगान व राष्ट्रीय सुरक्षा आदि इन भावनात्मक मुद्दों के चंगुल से निकलकर जीवन के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करने लगे हैं। भयंकर महंगाई व जबर्दस्त बेरोजगारी का मुद्दा इसमें सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है जिसमें श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियां बुरी तरह से फ्लाप साबित हुई हैं। इनका ‘‘कौशल विकास’’ (स्किल डेवलपमेन्ट) का ख़ास मंत्रालय भी नकारा साबित हुआ है क्योंकि स्वयं ’’प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’’ के आँकड़े बता रहे हैं कि देशभर में जिन लगभग तीस लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया उनमें से केवल 10 प्रतिशत (2.9 लाख) लोगों को ही नौकरी के आफर प्राप्त हुये।
युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने के मामले में श्री नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार सहित बीजेपी की राज्य सरकारों का भी रिकार्ड इतना ज़्यादा ख़राब है कि वे सरकारी नौकरी भी उपलब्ध कराने में फिसिड्डी साबित हो रही है। यही कारण है कि दलितों व पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षित लाखों सरकारी पद भी खाली पड़े हुये हैं जिस कारण ’’आरक्षण’’ की संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह से निष्क्रिय व निष्प्रभावी साबित हो रही है। इससे बीजेपी एण्ड कम्पनी की आरक्षण-विरोधी नीति व नजरिया का साफ तौर पर नजर आता है।
जहाँ तक उत्तर प्रदेश में बीजेपी के शासनकाल में अपराध-नियन्त्रण व कानून-व्यवस्था एवं जनहित व विकास का सवाल है तो श्री योगी सरकार के छः महीने के कार्यकाल के दौरान् ही इस सरकार में जितनी आपराधिक घटनायें, दुर्घटनायें व व्यापारिक अपहरण व हत्यायें हुई हैं और इस कारण जनता ने इस सरकार की जितनी खिचाई की है, वे इस बात का प्रमाण है कि जनता का इनसे मोहभंग हो गया है, परन्तु अपनी तसल्ली के लिये बीजेपी के वरिष्ठ नेतागण ख़ासकर माननीय प्रधानमंत्री व माननीय मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश दोनों अक्सर एक-दूसरे की तारीफें करते रहते हैं ताकि जनता का ध्यान बांटा जा सके।
इस बारे में यह भी सर्वविदित ही है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की तरह ही श्री योगी सरकार भी जनता से किये गये जनहित व जनकल्याण के वायदे निभाने में बुरी तरह से विफल साबित हो रही है और केन्द्र व राज्य में एक ही पार्टी बीजेपी की सरकार होने का जो फायदा लोगांे को बताया गया था वह भी विदेश से कालाधन वापस लाकर प्रत्येक गरीब परिवार के हर सदस्य को 15 से 20 लाख रुपये देने आदि की तरह ही पूरी तरह से हवा-हवाई ही साबित हो रहा है, बल्कि नोटबन्दी व जी.एस.टी. के कारण बढ़ी महंगाई से परेशान लोगों को तथा बुरे तरीके से परेशान किसानों की रुपये, दो रुपये, 10 रुपये की कर्जमाफी करकेे लोगांे को बुरेदिन देखने के लिये मजबूर कर दिया है जो बीजेपी सरकार की गलत सोच, नीति व गलत कार्यप्रणाली का स्पष्ट प्रमाण है। सुश्री मायावती जी ने कहा कि जनता से वादाखिलाफी, कथनी व करनी में अन्तर, बिना पूरी तैयारी के ही आपाधापी में नोटबन्दी व जी.एस.टी. को देश पर थोपना आदि ऐसे कुछ खास कारण हैं जिस कारण बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारों से देश की जनता व व्यापारी वर्ग का भी मोहभंग हो गया है और वे सब अब बीजेपी को कड़ा सबक सिखाने पर आतुर लगते हैं, जिसका सर्वसमाज व व्यापक देशहित में भरपूर स्वागत है।