उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक से आज गुरूजी श्री स्वामी ब्रह्म योगानन्द जी, संस्थापक योग शांति गुरूकुलम् कांचीपुरम् तमिलनाडु ने भेंट की। स्वामी ब्रह्म योगानन्द जी ने अपनी नवप्रकाशित पुस्तक ‘परम वैभव भारत - एक नया भारत परम वैभव की ओर’ की हिन्दी एवं अंग्रेजी की प्रथम प्रति राज्यपाल को भेंट की। स्वामी ब्रह्म योगानन्द जी स्वामी दयानन्द सरस्वती के वरिष्ठ शिष्य हैं। स्वामी जी ने तमिल में अनेक पुस्तकें लिखी हैं।
स्वामी ब्रह्म योगानन्द जी के साथ 29 दर्शनार्थियों का एक दल भी साथ था जो नैमिषारण्य, अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर, विंध्याचल तथा इलाहाबाद आदि के धार्मिक स्थलों का भी दर्शन करेगा। तमिलनाडु से आए दर्शनार्थियों के दल ने राज्यपाल को अंग वस्त्र देकर सम्मानित भी किया। राज्यपाल ने अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की हिन्दी एवं अंग्रेजी प्रति स्वामी ब्रह्म योगानन्द जी को भेंट की।
राज्यपाल ने अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे एक छोटे से गाँव से निकलकर आज वे उत्तर प्रदेश जैसे बडे़ प्रदेश के राज्यपाल हैं। राज्यपाल ने अपने राजनैतिक सफर के विषय में बताते हुए संसद में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत गाये जाने, सांसद निधि की शुरूआत, दिल्ली और मुंबई में सीएनजी, मुंबई का नामकरण एवं महिला सशक्तिकरण हेतु उनके प्रयासों पर भी संक्षिप्त प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का शीघ्र ही संस्कृत भाषा में प्रकाशन होने वाला है तथा उसका अनुवाद बांग्ला, सिंधी, तमिल सहित जर्मन एवं फारसी भाषा में भी करने के प्रस्ताव आए हैं। उन्होंने श्लोक चरैवेति! चरैवेति!! का अर्थ बताते हुए कहा कि जीवन में निरन्तर चलते रहने से सफलता प्राप्त होती है।