आज मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश सरकार ने उ0प्र0 आबकारी अधिनियम 1910 में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन करते हुए शराब की अवैध बिक्री, तस्करी एवं निष्कर्षण पर नियन्त्रण लगाने के लिए अधिनियम की दण्डक धाराओं में कठोर दण्ड का प्राविधान किये जाने के लिए धारा 60 (क) जोड़ने का प्रस्ताव किया है जिसमें अवैध शराब के उपयोग से मृत्यु होने, स्थायी अपंगता होने पर इस शराब को देने वाले अपराधी व्यक्ति को आजीवन कारावास अथवा 10 लाख रूपये का जुर्माना अथवा मृत्यु दण्ड का प्राविधान किया है, जिसका कारण सरकार ने अपने नोट में बताया है कि हरियाणा राज्य से प्रदेश में अवैध शराब की तस्करी हो रही है और 2016-17 में राजस्व अर्जन में बहुत बड़ी कमी आयी है। राजस्व की कमी के लिए कठोर दण्ड देने का प्राविधान करने वाली सरकार दूसरी उन सारी चीजों में जिनमें मिलावट का जहर आज प्रदेश की आम जनता के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, कोई कार्यवाही नहीं कर रही है और नागरिकों की जिन्दगी राजस्व के मुकाबले कम मानी जा रही है। शायद इसीलिए योगी सरकार ने शराब बन्दी की मांग करने वाली महिलाओं पर प्रदेश भर में लाठीचार्ज कराया है क्योंकि इन्सान की जिन्दगी से ज्यादा सरकार को मिलने वाले राजस्व की अधिक चिन्ता है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता संजय बाजपेयी ने कहा कि हम कल्याणकारी राज्य में रह रहे हैं। कल्याणकारी राज्य में आम आदमियों की जिन्दगी ज्यादा कीमती होती है। इसलिए राजस्व वसूलने के तर्क को छोड़कर पूरी तरह शराब बन्दी करनी चाहिए। क्या योगी सरकार इस कदम को उठाकर प्रदेश के जनकल्याण को महत्व प्रदान करेगी?