भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अखिलेश यादव की प्रेसवार्ता को हताशा भरा बताया। श्री त्रिपाठी ने कहा कि अखिलेश यादव ने शेर पढ़कर सच स्वीकार किया कि उनके चेहरे पर धूल थी। ये भ्रष्टाचार की धूल थी। अखिलेश की यह भूल थी कि जनता उनके भुलावे में आ जाएगी और धूल नहीं देख पाएगी। कुछ दिनों पूर्व ही अखिलेश यादव के साथी राहुल गांधी ने भी सच स्वीकार किया था कि कांग्रेस सत्ता में रहते हुए अभिमानी हो गयी थी। अब राहुल की राह पर अखिलेश भी चल पड़े है और सच स्वीकार कर रहे हैं।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि जिन कारनामों के कारण समाजवादी पार्टी को चुनावों में बुरी तरह पराजय मिली है उन्हीं कारनामों का गान अखिलेश अब भी गा रहे है। अखिलेश को इस सच का भी सामना करना चाहिए कि उनके शासनकाल में अराजकता और भ्रष्टाचार के संरक्षण के चलते जनता ने उन्हें नकार दिया और भाजपा को पसन्द किया है। सरकार का श्वेत पत्र अखिलेश यादव जी के लिए आईना है, जिसमें वो अपने कारनामों को देख सकते हैं।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल में किसानों को बेसहारा छोड़ दिया था। आपदा से हुए हानि ये मुआवजा देने के बजाय जख्मों पर नमक छिड़कने वाले अखिलेश यादव आज कर्जमाफी पर मजाक उड़ाकर फिर किसानों के प्रति अपने उसी रवैये को दोहरा रहे हैं। अखिलेश यादव का चीनी मिल मालिकों के प्रति प्रेम छुपा नहीं रहा है, आज चीनी मिल मालिकों पर सख्ती के कारण रिकार्ड गन्ना मूल्य भुगतान हुआ है, इससे भी अखिलेश पीड़ा महसूस कर रहे हैं।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि योगी सरकार जनता के प्रति जबाबदेह सरकार है जिसने 100 दिनों के बाद अब 6 महीने पूरे होने पर जनता के सामने हिसाब-किताब रखा है जबकि अखिलेश यादव तो पांच साल पूरा होने पर हिसाब देने के बजाय पारिवारिक झगड़े में उलझ गए और जनता ने खुद उनका हिसाब-किताब कर दिया।