उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा आज दिये गये बयान कि ’’इस वर्ष इंसेफेलाइटिस की बीमारी से मरने वाले मरीजों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में कम हुई है व गलत आंकड़े पेश कर सनसनी फैलायी गयी है’’ दुर्भाग्यपूर्ण एवं निन्दनीय है। मुख्यमंत्री के इस बयान से साबित हो गया है कि वह इस महामारी के प्रति कतई गंभीर नहीं हैं एवं संवेदनहीन हैं।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं प्रवक्ता ओंकारनाथ सिंह ने आज जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री के गृह जनपद एवं संसदीय क्षेत्र जनपद गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कालेज में शासन-प्रशासन एवं चिकित्सकों की घोर लापरवाही के चलते आक्सीजन की कमी से सैंकड़ों बच्चों की दुःखद मौत हुई है और मुख्यमंत्री इसे अपनी उपलब्धि मान रहे हैं और इन मौतों के लिए जिम्मेदार अपने मंत्री को बचा रहे हैं। सिर्फ बीआरडी मेडिकल कालेज के डाक्टरों और कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही करके इतनी बड़ी हृदय विदारक घटना पर अभी भी लीपापोती करने का प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं वाराणसी, फर्रूखाबाद, सैफई, शाहजहांपुर आदि तमाम अस्पतालों में सैंकड़ों बच्चे आक्सीजन की कमी एवं चिकित्सीय अभाव में दम तोड़ चुके हैं। मौतों का यह सिलसिला अभी भी जारी है और प्रदेश सरकार संवेदनहीन बनी हुई है।
श्री सिंह ने कहा कि उ0प्र0 में राजधानी लखनऊ सहित लगभग 68 जनपदों में स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारी फैल चुकी है जिसमें 45 जनपदों में पहली बार स्वाइन फ्लू के मरीजों की पुष्टि हुई है। राजधानी लखनऊ में पीजीआई सहित कई अस्पतालों में स्वाइन फ्लू एवं डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारी से सैंकड़ों लोगों की असमय जानें जा चुकी हैं। स्वाइन फ्लू का कहर अभी भी जारी है किन्तु प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है। इसे रोकने हेतु कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।