बिना मास्क लगाए ही करते हैं मशीनों में काम
चित्रकूट - जिले के भरतकूप और उसके आसपास इलाके में संचालित क्रेशर उद्योग से जहां पूरे क्षेत्रा का वातावरण प्रदूषित हो रहा है वहीं दूसरी ओर मशीनों में काम करने वाले मजदूर भी तमाम तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। लेकिन मालिकों को बस अपनी जेबें भरने की फिक्र रहती है। जबकि नियमत: इस तरह के उद्योगों में काम करने वाले लोगों की पूरी जिम्मेदारी मालिकानों पर होती है। और मजदूरों का समय-समय पर चिकित्सीय परीक्षण भी कराया जाना आवश्यक होता है।
गौर तलब है कि जिले में मौजूद छोटी-छोटी पहाड़ियों पर ग्रेनाइट पत्थर का अच्छा खासा भण्डार होने के चलते भरतकूप और आसपास इलाके में क्रेशर उद्योग भली प्रकार से फलफूल रहा है। स्थानीय लोगों के अलावा अन्य जनपदों से आकर कई उद्यमियों ने भी यहां क्रेशर उद्योग लगाया और मोटी कमाई करने लगे। वर्तमान समय में लगभग दो दर्जन से अधिक क्रेशर संचालित हो रहे हैं। परन्तु इन उद्योग पतियों द्वारा नियमों की अनदेखी की खुलेआम की जा रही है। सूत्रो की माने तो पट्टे की खदानों से महंगे दामों में पत्थर खरीदने के बजाए ज्यादातर क्रेशर उद्योग मालिक क्षेत्र में चल रही अवैध खदानों से निकलने वाले पत्थरों को खरीदते हैं। जिससे यहां अवैध पत्थर खदानों को बढ़ावा तो मिल ही रहा है साथ ही पहाड़ भी खोखले होते जा रहे हैं। इतना ही नहीं सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि मशीनो गिट्टी व बालू बनाते समय निकली धूल से आसपास इलाके का पूरा वातावरण को प्रदूषित हो जाता है। लोग बताते हैं कि जब क्रेशर मशीने चलती हैं उस समय सांस लेना भी दूभर हो जाता है। इसके अलावा इन मशीनों मे काम करने वाले मजदूर को मास्क भी नहीं उपलब्ध कराया जाता। जिसके कारण धूल व गन्दगी से उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जबकि सूत्र बताते हैं कि इस प्रकार के धंधों मे काम करने वाले मजदूरों का समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाना अति आवश्यक है। लेकिन क्रेशर उद्योग मालिक मशीनों में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते। लोगों ने जिलाधिकारी से इस ओर ठोस कदम उठाने की मांग की है।
श्री गोपाल
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