प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने ग्राम पंचायतों के सार्वजनिक स्थलों पर स्थायी प्रतिक्षा सूची अंकित कराकर वाॅल राइटिंग में अंकित किया जायगो ।स्थायी प्रतीक्षा सूची में कोई अपात्र व्यक्ति शामिल हो तो इसके सम्बन्ध में खण्ड विकास अधिकारी अथवा जनपद स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी को अवगत कराया जाये। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास की ओर से समस्त मुख्य विकास अधिकारियों को जारी शासनादेश में कहा गया है कि प्रत्येक लाभार्थी को निर्धारित प्रारूप पर स्वीकृति पत्र 31 अगस्त, 2017 तक उपलब्ध करा दिया जाये। शासनादेश में यह भी कहा गया है कि आवासों के आवंटन में यदि कोई भ्रष्टाचार की शिकायत हो तो इस सम्बन्ध में मुख्य विकास अधिकारी एवं जिलाधिकारी को अवगत कराया जाये। इस हेतु प्रत्येक जनपद में मुख्य विकास अधिकारी एक दूरभाष नम्बर निर्धारित करेंगे और उस जनपद की प्रत्येक वाॅल राइटिंग में उस नम्बर को अंकित कराया जायेगा।
मुख्य विकास अधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित कराया जाये कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में की गयी वाॅल राइटिंग की फोटोग्राफी कराकर उसकी स्पष्ट इमेज निर्धारित आईडी मेल पर उपलब्ध करायी जाये।
आवासों की स्वीकृति में ग्राम प्रधान तथा सचिव, ग्राम पंचायत को कोई विशेष अधिकार नहीं है और न ही उनकी कोई महत्वपूर्ण भूमिका है। लाभार्थी की पात्रता के अनुसार तथा प्राथमिकता क्रम के अनुसार ही आवासों का आवंटन किया जा रहा है। चिन्हित लाभार्थियों को सचिव, ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी द्वारा योजना की जानकारी एवं निर्देश पढ़कर सुनाया जायेगा। इसके पश्चात लाभार्थी का हस्ताक्षर कराया जायेगा, जिससे यह प्रमाणित हो कि यह कार्यवाही उसकी मौजूदगी में की गयी है। हस्ताक्षरित कार्यवाही की प्रति विकास खण्ड में 31 अगस्त, 2017 के पूर्व जमा करानी होगी। इसके साथ ही इन निर्देशों की होर्डिंग प्रत्येक विकास खण्ड तथा विकास भवन पर लगायी जायेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं राज्यमंत्री चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा. महेन्द्र सिंह को जनपद सीतापुर तथा उन्नाव के भ्रमण के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना के आवंटन में अवैध धन उगाही की शिकायतें प्राप्त हुई थी और उन्होंने सक्षम अधिकारी द्वारा जांच कराकर दोषियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराने के आदेश दिये थे।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थियों को आवासों के स्वीकृति पत्र डा. महेन्द्र सिंह ग्राम्य विकास मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी की ओर से दिये जायेंगे।