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मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बकरीद में जानवरो की कुर्बानी का कड़ विरोध जताया

Posted on 29 August 2017 by admin

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी का कड़ा विरोध करते हुए, ‘‘विश्व संवाद केन्द’’्र में प्रेसवार्ता की। वैसे मंच से इससे पहले भी‘‘तीन-तलाक’’ के विरोध में पूरे देश में जागरूकता फैलाने के लिये कई प्रदेशों में गोष्ठियाॅ की गई थी और प्रेसवार्ताओं में ‘‘तीन-तलाक’’ का विरोध करता रहा है। लखनऊ में ‘‘समान नागरिक संहिता’’ का समर्थन भी गोष्ठियाँ कराकर कर चुका है और भविष्य में अब समान नागरिक संहिता के बारे में विस्तृत जागरूकता फैलाने के लिये प्रदेश स्तर पर कार्यक्रम की शुरूआत करने वाला है।

img-20170829-wa0074विश्व संवाद केन्द्र में प्रेसवार्ता में आये मंच के सह-संयोजक, उत्तर प्रदेश के एड0 खुर्शीद आगा ने कहा-‘‘बकरीद में कुर्बानी को लेकर समाज में अंधविश्वास फैला है, मुसलमान अपने आपको ईमान वाला तो कहता है लेकिन वास्तव में अल्लाह की राह पर चलने से भ्रमित हो गया है। उन्होंने कुर्बानी का विरोध करते हुए प्रश्न उठाया कि कुर्बानी जायज नही है तो फिर जानवरों की कुर्बानी क्यो दी जा रही है? इसी प्रकार आज आयोध्या के विवादित ढॅाचे पर नजर दौड़ाये तो कुरान के अनुसार जहाॅ फसाद हो वहाॅ नमाज अदा नही की जा सकती है तो फिर विवादित ढाॅचे की जगह मस्जिद कैसे बनायी जा सकती है।’’

संयोजक उत्तर प्रदेश (पूर्वी) के ठाकुर राजा रईस ने कहा-‘‘इस्लाम में साफ-साफ बताया गया है कि हजरत इब्राहिम को ख्वाब आया कि उनसे अल्लाह कह रहा है कुर्बानी दो-3, उन्होने ऊॅट आदि की कुर्बानी दी, लेकिन वह कुर्बानी कबूल नही हुई। तब उन्हें फिर से ख्वाब आया कि इब्राहिम तुम अपने सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी करो। हजरत इब्राहिम को दुनियाॅ में सबसे अधिक प्रिय उसका पुत्र था, फिर वह अपने पुत्र की कुर्बानी देने को तैयार हो गये। कुरान में कहा गया कि वह अपने बेटे की कुर्बानी करने के पहले अपनी आॅखों पर पट्टी बाॅध लेते है। उसके बाद अपने पुत्र पर छुरी चलाते है। जब कुर्बानी पूरी हो जाती है तो उन्हें एक आवाज सुनाई देती है-‘‘इब्राहिम तुम्हारी कुर्बानी कबूल हुई।’’ हजरत इब्राहिम ने अपने आॅखों से पट्टी हटायी देखा तो देखा , उनके सामने एक दुम्बा कटा पड़ा है और उनका पुत्र पहले की भाॅति जीवित है। उसके बाद हजरत इब्राहिम ने कोई कुर्बानी नही दी।ं रईश ने प्रश्न उठाया कि जब हजरत इब्राहिम द्वारा किसी जानवर की कुर्बानी नही दी गयी तो फिर मुस्लिम समाज में बकरीद के मौके पर जानवरो की कुर्बानी क्यो दी जा रही है। अतः बकरीद में जानवरो की कुर्बानी के नाम पर जानवरो का कत्ल है कुर्बानी नही। रसूल ने फरमाया है-‘‘पेड़-पौधे, पशु-पक्षी अल्लाह की रहमत है, उन पर तुम रहम करोंगे। अल्लाह की तुम पर रहमत बरसेगी।

संयोजक, अवध प्रान्त, यू0पी0 के सै0 हसन कौसर ने गाय की कुर्बानी को हराम बताते हुए कहा-‘‘रसूल ने फरमाया है कि गाय का दूध शिफा है और माॅस बीमारी है, कुर्बानी के नाम पर गाय के माॅस को खाना रसूल के आदेशो की ना फरमानी है, कौसर ने कहा-‘‘तीन-तलाक’’ की भाॅति ही बकरीद के मौके पर जानवरो की कुर्बानी एक कुरीति है। हम सब 21 वीं शदी में प्रवेश करने जा रहे है। अतः समाज को बुरी कुरीतियो से निकालना होगा। तालीम को हासिल करना खुदा और रसूल दोनो ने इस दुनियाॅ में इंसान का पहला कर्तव्य कहा है। जो अच्छी तालीम लेगा, वही कुराॅन की बातों को समझेगा और कुरीतियों से खुद-ब-खुद निकलकर बाहर आ जायेगा। जो लोग बकरीद के मौके पर जानवरो की कुर्बानी को जायज बताते है और समाज में बकरीद के मौके पर जानवरों की कुर्बानी देने की प्रेरणा दे रहे है वह सब रसूल की बताये गये रास्तो के खिलाफ है और सुन्दर इस्लाम को खराब बनाने के लिये प्रयासरत है। लोगो को इनका बहिष्कार करना चाहिए। कुरान में जब हजरत इब्राहिम ने किसी जानवर की कुर्बानी दी नही तो फिर जानवरो की कुर्बानी कैसे जायज है, जो दुम्बा कटा मिला था वह तो खुदा का मौजिजा (चमत्कार) था, लेकिन किसी दुम्बे को हजरत इब्राहिम ने नही काटा। अतः बकरीद में जानवर की कुर्बानी देना हराम है। कौसर ने बकरीद में जानवरो की कुर्बानी के बाद उनकी निकली खाल पर प्रश्न उठाते हुए कहा-‘‘जिन जानवरो की खाल कुर्बानी में निकलती है उसे फैक्ट्रियो में कौन बेचता है, क्योकि इसके लेदर से जूते, चप्पल और अन्य सामान बनते है जिस कुर्बानी को जायज बताया जा रहा है तो उन्हें यह सोचना चाहिए कि गैर धर्म के लोग उस लेदर को जूते, चप्पल और न जाने किन-किन रूप में प्रयोग करते हो। जो किसी भी सूरत से इस्लाम में जायज नही है।

तौकीर अहमद नदवी ने बताया कि हिन्दुस्तान के इतिहास को मिटाना किसी इंसान के लिए ठीक नही है, इसलिए अयोध्या में राम मन्दिर भारतीय इतिहास की एक कड़ी है, जिसे बनाये रखना हम सबका कर्तव्य है। रसूल बताते है कि जिस जगह फसाद हो वहाँ न तो नमाज हो सकती और न वह मस्जिद हो सकती है । तो फिर अयोध्या में राम मन्दिर का होना बेहतर होगा। उन्होने बकरीद में जानवरो की कुर्बानी पर बताया कि वास्तव में हजरत इब्राहीम ने जिस जानवर की कुर्बानी दी वह कबूल नही हुई थी फिर जानवरो की कुर्बानी कैसे जायज हुई।

अंत में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह-संयोजक रजा रिजवी ने बताया कि इस्लाम में रसूल ने फरमाया है ‘‘पेड़-पौधे, पशु-पक्षी अल्लाह की रहमत है, उन पर तुम रहम करोंगे। अल्लाह की तुम पर रहमत बरसेगी। गाय के दूध को शिफा कहा गया और माॅस को बीमारी, उसके गोश्त को इस्लाम के मानने वाले यदि खाते है तो रसूल की बात पर नही चल रहे है । आयोध्या में राम मन्दिर बनाये जाने की पैरवी करते हुए कहा कि अब वह दिन दूर नही जब आयोध्या में मन्दिर का निर्माण न हो। मा0 सुपी्रम कोर्ट ने मुसलमानों को एक सुन्दर मौका दिया और इस मौके का फायदा मुसलमानो का उठाना चाहिए, खुदा के बताये रास्ते पर हिन्दुओ की आस्थाओ का सम्मान करते हुए मन्दिर बनाने का वह सहयोग करे,।

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