समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में बाढ़ के भीषण प्रकोप से 22 जनपद प्रभावित है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में हजारों लोग फंसे हुए हैं। भाजपा सरकार उनका जीवन बचाने में विफल है। सैकड़ों जाने चली गई हैं। चारे के अभाव में पशु मर रहे हैं। 36 करोड़ रूपये अनुमानित मूल्य की फसलें तबाह हो गई हैं। 1.91 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ की चपेट में आ गई है। बड़ी संख्या में जनधन की हानि हुई हैं। जिला मुख्यालयों से संपर्क मार्ग टूट गए हैं। न तो राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है और नहीं बीमारों के इलाज की कोई व्यवस्था है।
भाजपा सरकार केवल हवाई घोषणाएं कर रही है। अधिकारी फाइलों पर राहत के आंकड़े जुटा रहे हैं। बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को सुरक्षित निकालने के लिए नावो तक की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। भाजपा के मंत्री-विधायक बाढ़ पीड़ितों के बीच जाने से कतरा रहे हैं। मंत्रीगण तो बाढ़ में भी पिकनिक मनाने और सैर सपाटे का अवसर तलाश रहे हैं। प्रदेश में एक ऐसी संवेदनहीन सरकार है जिसे जनता की कठिनाइयों से कोई सरोकार नहीं है। बाढ़ उतरने पर संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा रहता है, इससे निबटने के लिए भी अभी तक कोई हलचल नहीं दिखाई दे रही है।
समाजवादी पार्टी ने अपने स्तर से बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने तथा उन्हें राहत पहुंचाने की व्यवस्था की है। बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, तथा देवरिया में बाढ़ की स्थिति की जानकारी और राहत पहुंचाने के लिए पार्टी संगठन की कमेटियों ने दौरा किया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के निर्देश पर उक्त सभी जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पार्टी के पदाधिकारी जाकर लोगों की मदद कर रहे है।
जब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों को बाढ़ राहत कोष से पर्याप्त सहायता दी थी। बाढ़ प्रभावित इलाकों में सरकार ने मोमबŸाी, माचिस, दाल, चावल, आलू, आटा, बिस्किट, तिरपाल, नमक, मसाले की व्यवस्था की गई थी। जानवरों के लिए चारा उपलब्ध कराया गया था।
समाजवादी पार्टी की मांग है कि भाजपा की राज्य सरकार को बाढ़ग्रस्त लोगों के प्रति संवेदनापूर्ण व्यवहार करना चाहिए। प्रति परिवार समुचित राहत सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए। बाढ़ चैकियां बनाई जाए। नावों की पर्याप्त व्यवस्था हो। इलाज के लिए चिकित्सा कैंप लगाए जाएं। पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो। बाढ़ से फसल के नुकसान पर पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। जो मकान ढह गए हैं उनके पुनः निर्माण के लिए पर्याप्त मदद दी जाए। बाढ़ग्रस्त इलाकों में सरकारी देयों की वसूली तत्काल रोकी जाए।