उत्तर प्रदेश विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने कहा है कि लोकतंत्र में प्रशासनिक अधिकारियों का विधायिका यानी जनप्रतिनिधियों के साथ मधुर सम्बन्ध होना चाहिए । प्रशासनिक सेवा में होने का आनन्द तभी प्राप्त होगा जब प्रशासनिक अधिकारियों का कार्यव्यवहारए कार्यशैली व सम्बन्ध उत्तम होंगे । जनप्रतिनिथि एवं अधिकारियों का लक्ष्य एक होता है । उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपसी सहयोग नितान्त आवश्यक है । श्री दीक्षित आज विधान भवन स्थित टण्डन हॉल में उत्तर प्रदेश प्रशासनिक सेवा के नवनियुक्त उपजिलाधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे।
श्री दीक्षित ने अपने उद्बोधन में कहा कि अक्सर यह देखने को मिलता है कि प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों व राजनीतिज्ञों के बीच अच्छे सम्बन्ध नहीं होतेए जबकि जनप्रतिनिधि संवैधानिक तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैए प्रशासनिक अधिकारियों को उनसे मधुर एवं सरस सम्बन्ध स्थापित करने चाहिए । जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों के बीच प्रोटोकॉल का सम्मान भी होना चाहिए क्योंकि दोनों महत्वपूर्ण संस्थाएं है और उनके बीच संवाद रसपूर्ण होना चाहिए ।
श्री दीक्षित ने कहा कि राज्य प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होना एक सम्मान का विषय है क्योंकि वह जिस राज्य में जन्म लियाए जहां उनके अभिभावक निवास करते हैए जहां उनकी प्रिय नदियां है और जहां उसने शिक्षा ग्रहण की है उसी राज्य में राज्य का प्रशासनिक अधिकारी बननाए समाज सेवा का मौका मिलनाए सौभाग्य की बात है । विधान सभा अध्यक्ष ने अपने उद्बोधन में कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में राज्य प्रशासनिक अधिकारियों को विशेष लगन व परिश्रम से कार्य करने की जरूरत है जिससे हमारे प्रदेश का सर्वांगीण विकास हो सके ।
इस अवसर पर बोलते हुये विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री प्रदीप कुमार दूबे व प्रशिक्षण संस्थान के अपर निदेशक श्री रमाकान्त पाण्डेय ने मा0 अध्यक्षए विधान सभा श्री दीक्षित के बहुआयामी व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुये अधिकारियों से उनके कृतत्वि एवं व्यक्तित्व बहुत कुछ सीखने की सलाह भी दी ।