लोहिया के लिए भारत-रत्न चाहते थे रिशांग - दीपक
आजाद भारत के प्रथम सांसद, प्रख्यात् समाजवादी व लोहिया के शिष्य रिशांग कीशिंग की मृत्यु से देश ने एक प्रतिबद्ध समाजवादी, समाजवादी आंदोलन का योद्धा, कुशल व ईमानदार राजनीतिज्ञ खो दिया है। श्री कीशिंग ने एशियन समाजवादी सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर भारतीय मेधा का मान बढ़ाया था। मणिपुर प्रवास के दौरान श्री रिशांग से मिले स्नेह को कभी भूल नहीं पाऊँगा। आजाद भारत के नव-निर्माताओं में उनका नाम सदैव रेखांकित किया जाएगा। कई बार सांसद, मुख्यमंत्री व नेता-प्रतिपक्ष रहे कीशिंग अपनी सादगी, संजीदगी व सैद्धांतिक प्रतिबद्धता के कारण हमेशा युवाओं के प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। वे लोहिया-जेपी व हमारी पीढ़ी के समाजवादियों के मध्य आदर्श-सेतु थे। उन्होंने लोहिया के आह्वान पर मणिपुर में गिरफ्तारी दी थी। लोहिया के “हिन्दी-आन्दोलन“, “स्वच्छता-अभियान“ एवं “नदियाँ साफ करो“ जैसे अभियानों में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। उन्होंने समाजवादी परचम को सुदूर मणिपुर व रंगून तक फहराया था। उनका योगदान शब्देतर है। यह बातें समाजवादी चिन्तक व समाजवादी चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र ने 1, विधायक निवास-4 स्थित सभाकक्ष में चिन्तन सभा के तत्वावधान में आयोजित कीशिंग-श्रद्धांजलि बैठक में कही। श्री मिश्र ने कहा कि रिशांग लोहिया को “भारत-रत्न“ से विभूषित करना चाहते थे। उनके ही प्रेरणा से चिन्तन सभा ने लोहिया को “भारत-रत्न“ से विभूषित करने की माँग की थी। उन्होंने भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता व हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने की पुरजोर पैरवी एशियन सोशलिस्ट अधिवेशन (1953) में की थी। श्री मिश्र ने बताया कि कीशिंग कई ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी रहे हैं जिसमें लोहिया का मणिपुर सत्याग्रह, हैदराबाद में सोशलिस्ट पार्टी की गठन, बयालिस की क्रांति आदि उल्लेखनीय हैं। उनका उत्तर प्रदेश से गहरा नाता था। वे गतौर सांसद लोहिया के ऐतिहासिक उपचुनाव में प्रचार करने आए थे। पंडित दीनदयाल के चुनाव प्रचार में भी लोहिया के साथ चुनावी सभा संबोधित करने जौनपुर आए थे। कीशिंग समाजवादी विचारधारा को जीने वाले सच्चे राजनीतिज्ञ थे। श्रद्धांजलि-बैठक का संचालन समाजवादी बौद्धिक सभा के प्रदेश महासचिव अभय यादव ने किया। बैठक में एस० धर्मेन्द्र, मनोज पाण्डेय, बब्लू त्रिपाठी, इतिहासविद् पंकज कुमार समेत कई बुद्धिजीवियों एवं समाजवादियों ने अपने विचार व्यक्त किये।