(1) देश में आम धारणा के साथ-साथ अब तो आँकड़े भी साबित कर रहे हैं कि बीजेपी बडे़-बडे़ पूंजीपतियों व धन्नासेठों की व उन्हीं के धनबल से एवं उनके इशारे पर ही चलने वाली पार्टी है। इस कारण धन्नासेठों का प्रभाव व हस्तक्षेप देश की राजनीति में काफी बढा है जो लोकतंत्र के लिये खतरे की घण्टी है।
(2) बीजेपी को वर्ष 2012.13 से 2015-16 के बीच हिसाब-किताब वाले कुल चन्दे का 92 प्रतिशत अर्थात लगभग 708 करोड़ रुपया बडे़-बडे़ पूंजीपतियों व धन्नासेठों से मिला। क्सा ऐसी पार्टी ग़रीब-हितैषी हो सकती है?
(3) बीजेपी के जग-ज़ाहिर शाही चुनावी खर्चों से स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव काफी प्रभावित हो रहा है। चुनाव आयोग भी इससे काफी ज्यादा चिन्तित। उसका कहना है कि, ’हर कीमत पर व हर हाल में चुनाव जीतना वर्तमान में राजनीति का नया मापदण्ड बन गया है’।
(4) वैसे भी बीजेपी के भ्रष्टाचारों के भण्डाफोड़ अब हर राज्य में आम होते जा रहे हैं, शायद इसी भय से केन्द्र की सरकार ने अब तक ’’लोकायुक्त’’ तक भी नहीं बनाया है: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी।
नई दिल्ली, 20 अगस्त 2017: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि देश के लोगों में जो आम धारणा है कि बीजेपी बडे़-बडे़ पूंजीपतियों व धन्नासेठों की व उन्हीं के धनबल से एवं उनके इशारे पर ही चलने वाली पार्टी है वह शत-प्रतिशत् सही है जिसे अभी-अभी प्रकाशित हुये अकाट्य आँकड़ों ने भी पूरी तरह से सही साबित कर दिया है।
इससे यह प्रश्न और भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण व सामयिक हो जाता है कि ऐसी पार्टी व इस पार्टी की सरकार गरीब-हितैषी कैसे हो सकती है और साथ ही इससे यह प्रमाणित भी हो जाता है कि बीजेपी सरकारें एक के बाद एक जनविरोधी, किसान- विरोधी व धन्नासेट-समर्थक फैसले क्यों लेती जा रही है।
जैसाकि सर्वविदित है कि एसोसिएशन आफ डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स (ए.डी.आर.) ने जो ताज़ा आँकडे़ एक बड़े कार्यक्रम में सार्वजनिक किये हैं उसके मुताबिक बीजेपी ने कुछ धन्नासेठों से वर्ष 2012-13 से वर्ष 2015-16 के बीच अपने हिसाब-किताब वाले कुल चन्दे का 92 प्रतिशत अर्थात लगभग 708 करोड़ रुपया लिया है। इस प्रकार अन्य श्रोतों से कितना आकूत धन लिया गया होगा, इसका अन्दाजा बीजेपी के शाही चुनावी खर्चों से आसानी से लगाया जा सकता है। वैसे भी उत्तर प्रदेश का लोक सभा व विधान सभा का आमचुनाव इस बात का गवाह है कि बीजेपी द्वारा यहाँ चुनाव किस शाह खर्चों के साथ लडा़ गया तथा रूपया किस प्रकार पानी की तरह बहाया कर जनता को हर प्रकार से वरग़लाने का काम किया गया।
इसके अलावा आज यह किसी से भी छिपा नहीं है कि जबसे बीजेपी एण्ड कम्पनी का प्रभाव देश की राजनीति में बढ़ा है तबसे बडे़-बडे़ पूंजीपतियों व धन्नासेठों ने बीजेपी को हर प्रकार से सहयोग व अधिक से अधिक चन्दा देकर भारतीय राजनीति व सरकार में अपना बेजा हस्तक्षेप काफी बढाया है, जिस कारण ही चुनाव काफी हद तक साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों का खेल बनकर रह गया है। देश के लोकतंत्र को विकृत करने वाली इस बुराई से चुनाव आयोग सबसे ज्यादा चिन्तित लगता है।
चुनाव आयुक्त श्री ओ.पी.रावत द्वारा उसी ए.डी.आर. के कार्यक्रम में यह कहना कि ’’आचार संहिता को ताक पर रखकर हर कीमत पर चुनाव जीतना वर्तमान में राजनीति का नया मापदण्ड बन गया है’’, बीजेपी की चुनावी सफलताओं को खोखला बताकर यह साबित करता है कि बीजेपी वास्तव में ही मात्र 31 प्रतिशत वोटों वाली व चुनावी हथकण्डों वाली पार्टी है। देश में इस प्रकार की राजनीतिक गिरावट बहुत ही खतरनाक प्रकृति है जिसके लिये बीजेपी एण्ड कम्पनी के साथ-साथ जनता के प्रति अनुत्तरदायी आर.एस.एस. भी कम जिम्मेदार नहीं है और इसी कारण इन खतरो के बारे में बी.एस.पी. बार-बार लोगों को अगाह करती रहती है कि इस देश में वोट हमारा परन्तु राज तुम्हारा की गलती को सुधार करने की जरूरत है।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि बडे़-बडे़ पूंजीपति व धन्नासेठ जिस प्रकार से निजी स्वार्थ में बीजेपी को अपना मानकर उस पर धनवर्षा करके खुद की अपनी तिजोरी और भी ज्यादा भरते चले जा रहे हैं उसका ही परिणाम है कि देश के करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों व अन्य मेहनतकश लोगों का जीवन और भी ज्यादा मुश्किल व संकटग्रस्त होता जा रहा है। इस वर्ग के लोग अपना खून-पसीना एक करके दिन-रात मेहनत करने में कोई कसर नही छोड़ते हैं, जबकि इसका फायदा, बीजेपी सरकार की गलत नीतियों व कार्यकलापों के कारण, मुट्ठी भर बड़े-बड़े पूंजीपति व धन्नासेठ आदि उठा ले जाते हैं, यह अत्यन्त ही दुःखद व दयनीय परिस्थिति है जिसका प्रतिरोध हर स्तर पर व्यापक देशहित व जनहित में बहुत जरूरी है। बी.एस.पी का संघर्ष इसी के विरूद्ध लगातार जारी हैं
सुश्री मायावती जी ने कहा कि बीजेपी के बड़े-बड़े दावों में एक खोखला दावा यह भी है कि उसके 10 से 12 करोड़ सदस्य हैं। इससे यह प्रश्न उठता है कि बीजेपी को मिलने वाले चन्दों में उसके सदस्यों का अंशदान इतना कम अर्थात चार वर्षों में मात्र 63 करोड़ ही क्यों है? क्या इससे यह साबित नहीं होता है कि बीजेपी के आँकड़े फर्जी व बनावटी व खोखले हैं?
इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी द्वारा पूरी तरह से बडे़-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के चुंगल में होने का ही परिणाम है कि देश के गरीबों व उपेक्षितों के हित व कल्याण की हर व्यवस्था चरमरा गई है। उनके हित की अनेकों कल्याणकारी योजनाओं पर सरकारी बजट लगातार कम होता जा रहा है और हर बड़ा निर्माण व बड़ी योजनायें जनहीत के विरूद्ध निजी क्षेत्र को सौंपी जा रहीं हैं।
इसके अलावा जिस प्रकार से बीजेपी के खिलाफ भ्रष्टाचार आदि के मामले लगातार उजागर हो रहे हैं फिर भी भ्रष्टाचारियों को हर प्रकार का खुला संरक्षण देकर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है, शायद इसी डर से मोदी सरकार ने केन्द्र में अब तक बहुचर्चित ’’लोकायुक्त’’ की नियुक्ति नहीं की है जबकि दस सम्बंध में नया कानून लगभग साढे तीन वर्ष पहले देश में लागू हो चुका है।
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