गोरखपुर मेडिकल कालेज में आक्सीजन की कमी के कारण दर्जनों बच्चों की मौत पर कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी के निर्देश पर कंाग्रेस पार्टी का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय महासचिव-प्रभारी उ0प्र0 श्री गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में आज गोरखपुर मेडिकल कालेज पहंुचकर दौरा किया तथा आक्सीजन की कमी के चलते हुई बच्चों की मौत की जानकारी प्राप्त की एवं पीडि़त परिजनों तथा वार्ड में अन्य मरीजों से जिनके बच्चे अभी भी मेडिकल कालेज में जिन्दगी-मौत से जूझ रहे हैं, मुलाकात कर सांत्वना देते हुए कहा कि दुःख की इस घड़ी में पूरी कांग्रेस पार्टी आपके साथ है।
प्रदेश कंाग्रेस के महामंत्री एवं प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश कंाग्रेस अध्यक्ष श्री राजबब्बर सांसद, सांसद श्री प्रमोद तिवारी एवं डॉ0 संजय सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री आर0पी0एन0 सिंह एवं कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता श्री अजय कुमार लल्लू के साथ ही तमाम स्थानीय वरिष्ठ नेता शामिल रहे।
श्री त्रिपाठी ने बताया कि मेडिकल कालेज में मरीजों एवं उनके परिजनों से मुलाकात के उपरान्त श्री गुलाम नबी आजाद ने प्रेस प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री 48 घंटे पूर्व ही गोरखपुर आये थे और मेडिकल कालेज का दौरा किया था। उत्तर प्रदेश सरकार इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है और इसकी जिम्मेदारी प्रदेश के मुख्यमंत्री को लेनी होगी। श्री आजाद ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव सहित सभी जिम्मेदार लोगों को तत्काल बर्खास्त करना चाहिए और उन्हें खुद इसकी जिम्मेदारी लेते हुए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि श्री आजाद ने कहा कि यूपीए शासनकाल में इंसेफेलाइटिस को लेकर कई बार कांग्रेस के नेता एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी एवं स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मैंने खुद न सिर्फ कई बार मेडिकल कालेज का दौरा किया बल्कि कई सौ करोड़ रूपये भी दिये। प्रदेश में गैर कंाग्रेसी सरकार होने के कारण केन्द्र से जो भी धन दिया गया उसका सही व समुचित सदुपयोग नहीं किया गया जिसके कारण तमाम तरह की बीमारियों से मरने वाले बच्चों एवं मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होने कहा कि सिर्फ मेडिकल कालेज प्रशासन एवं चिकित्सकों के ऊपर जिम्मेदारी डालकर सरकार बच नहीं सकती क्योंकि जितने संसाधन उनको दिये जाते हैं उतने में ही उन्हें काम करना पड़ता है। यह बात प्रशासनिक तौर पर भी साबित हो गयी है कि गैस एजेन्सी का 70 लाख रूपया बकाया था जिसकी वजह से आक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई। यह पूरी तरह से प्रशासनिक विफलता है।