किताबें अकेलपन की सबसे बड़ी साथी होती हैं - श्री नाईक
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज मोती महल लाॅन में ‘स्वच्छता एवं पर्यावरण चेतना’ को समर्पित राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोहों में पद्म श्री डाॅ0 सुनील जोशी, श्री मुरधीधर आहूजा, श्री राकेश त्रिपाठी, संयोजक श्री देवराज अरोड़ा व बड़ी संख्या में विद्वतजन एवं पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर डाॅ0 सुनील जोशी की पुस्तक ‘गजल घर’ तथा श्री शैलेन्द्र भाटिया की पुस्तक ‘सफेद कागज’ के लोकार्पण के साथ-साथ डाॅ0 सुनील जोगी की पुत्री सुश्री शिवोना की चित्रकला प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। लोकार्पण कार्यक्रम में राजकीय विद्यालय की छात्राओं ने नृत्य भी प्रस्तुत किया।
राज्यपाल ने उद्घाटन के उपरान्त अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लखनऊ के लिए यह प्रसन्नता की बात है कि लगातार 14 वर्षों से राष्ट्रीय पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है। किताबें अकेलपन की सबसे बड़ी साथी होती हैं। किताबों की अपनी ताकत होती है जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रथम स्वातंत्र्य समर पर वीर सावरकर द्वारा लिखी पुस्तक पर अंग्रेजों ने पाबंदी लगा दी थी। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने यांगून के मण्डाला जेल में रहते हुए ‘गीता रहस्य’ नाम की पुस्तक लिखी थी तथा आखिरी बादशाह कहे जाने वाले बहादुर शाह जफर ने भी यांगून की जेल में रहते हुए अपने भावों को शायरी के रूप में प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा कि किताबों की ताकत को पहचानने की जरूरत है।
श्री नाईक ने कहा कि किताबों को देखने से आंखों को समाधान मिलता है और असर भी क्षणिक होता है मगर किताब को पढ़ने से उससे ज्यादा आनन्द मिलता है। अपनी रूचि के अनुसार किताब खरीदकर पढ़े क्योंकि मुफ्त में मिली किताब या रद्दी के भाव जाती है या केवल अलमारी की शोभा बनती है। यदि पुस्तक खरीदी जाती है तो उसका लाभ लेखक, प्रकाशक एवं विक्रेता को भी मिलता है। उन्होंने कहा कि मेले का उद्देश्य तभी सफल होगा जब लोग किताब को खरीदकर पढ़ेगे। राज्यपाल ने यह भी बताया कि उनका संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ मराठी सहित हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू एवं गुजराती भाषा में प्रकाशित हो चुका है। अनेक लोगों ने संस्कृत, बंगाली, सिंधी, फारसी और जर्मन भाषा में अनुवाद करने के लिए उनको प्रस्ताव दिया हैं जिस पर शीघ्र विचार करके इन भाषााओं में भी अनुवाद किया जाएगा।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय पुस्तक मेले द्वारा ‘स्वच्छता एवं पर्यावरण चेतना’ का विषय अत्यंत सामयिक है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए भारत सहित पूरे विश्व में चिन्तन हो रहा है। गाय दूध देती है इसलिए उसे माँ कहा जाता है तथा गंगा से हमें जल मिलता है इसलिए उसे भी माँ का दर्जा दिया गया है। लोगों की धारणा है कि गंगा जल से मुक्ति मिलती है लेकिन गंगा का जल दूषित हुआ है। उन्होंने कहा कि जब गंदगी हमने की है तो सफाई भी हमें ही करनी होगी। राज्यपाल ने अपने म्यांमार यात्रा की चर्चा करते हुए यह भी बताया कि म्यांमार में सभी धर्मों के प्रमुख आचार्यों की परिषद थी जिसमें सभी धर्मों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध तथा पर्यावरण रक्षा पर गंभीरता से विचार-विनिमय करने के बाद एक संकल्प पत्र भी जारी किया गया।
इस अवसर पर श्री मुरलीधर आहूजा ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा पद्मश्री डाॅ0 सुनील जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में राज्यपाल को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि 20 अगस्त तक चलने वाले पुस्तक मेले का समापन उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्या द्वारा किया जाएगा।