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स्कूली बच्चों को महिला दिवस पर यूनीसेफ का तोहफा

Posted on 08 March 2010 by admin

रेडियों कार्यक्रम मीना की दुनियां शुरू

लखनऊ। सरल करे ये सब का जीना, चतुर चपल है अपनी मीना लड़कियां मीना को रोल माडल मानती है और उस जैसी ही हिम्मती, बहादुर और सहासी बनने की तमन्ना रखती है। ये लड़कियां पढ़ना चाहती है लेकिन परिवारिक वातावरण, अभिभावकों का दबाव और सामाजिक बन्दिशों के कारण आगे नहीं बड़ पाती है। वे डाक्टर, इंजीनिंयर, वकील, अध्यापक और समाजसेविका बनने की तमन्ना रखती है और उनकी यह ख्वाहिश अब पूरी करेंगा आल इण्डिया रेडियों का प्रसारण मीना की दुनिया

उत्तर प्रदेश के स्कूली बच्चों को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रेडियों कार्यक्रम मीना की दुनियां का उदघाटन आज यहां गन्ना संस्थान में माउंट एवरेस्ट पर दो बार सफलता अर्जित करने वाली पर्वतारोही और मुख्य अतिथि सन्तोष यादव ने बटन दबाकर किया। दुनिया भर में आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का सौवां साल मनाया जा रहा है।

यूनीसेफ, सर्वशिक्षा अभियान और शिक्षा विभाग के सहयोग से मीना रेडियों कार्यक्रम उ0 प्र0 के स्कूल के घन्टों के दौरान कक्षा छह, सात व आठ में सप्ताह में पांच दिन- सोमवार से शनिवार 15 मिनट के लिए ( दिन में 12.30 से 12.45द्ध प्रसारित किया जायेगा। इस कार्यक्रम के 160 एपिसोड में से 30 एपिसोड तैयार है और उनका प्रसारण आज से लखनऊ और ललितपुर में शुरु हो गया है। उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी इसका प्रसारण शीघ्र शुरु किया जायेगा। मीना की दुनिया कार्यक्रम के प्रसारण का उद्देश्य है कि लड़के-लड़कियों में भेदभाव खत्म हो, विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित हो, लड़कियों को सुरक्षा प्रदान की जाएं और उनको शिक्षित बनाया जाएं। इस कार्यक्रम से प्रभावित होकर अनेक लड़कियों ने बाल विवाह का विरोध किया है, शिक्षित होने की तरफ कदम बढ़ाया है और बाल अधिकार के प्रति जागरुक हुई है।

मीना ने सामाजिक माहौल बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसने घर-घर सन्देश वाहक का काम किया है। स्कूलों में लड़कियों के दाखिला लेने और शौचालय के समुचित उपयोग को घर-घर पहुंचाने का काम किया है। यही नहीं उसने बाल श्रम, लैंगिक विषमताओं और स्वास्थ्य के मुद्दों को आसानी तथा प्रभावी ढंग से निपटने के लिए लड़कियों को सजग किया है।

इस अवसर पर यूनीसेफ की उ0 प्र0 की प्रतिनिधि एडेल खुरद ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर रेडियों कार्यक्रम मीना की दुनियां लड़कियों को दिया जाने वाला सबसे बड़ा उपहार है। उन्होंने कहा कि यूनीसेफ चाहता है कि इस कार्यक्रम को देखकर सभी लड़कियां मीना जैसी बने और मैंने आज देखा कि यहां मौजूद सभी लड़कियों में मीना जैसा बनने की चाहत तथा लगन है। उन्होंने कहा कि सभी लड़कियों को माउंट एवरेस्ट पर दो बार चढ़ाई करने वाली पर्वतारोही सन्तोष यादव की तरह सहासी, कर्मठ और मजबूत इरादा रखने की जरुरत है। इसके लिए शिक्षित होना बहुत जरुरी है। शिक्षा आपको सशक्त बनाती है और आपको आगे बढ़ने और आपकी आवाज बुलन्द करने में सहायक होती है। शिक्षित होने से लड़कियों की जिन्दगी सुधरेगी और वह अपने परिजनों का भी ठीक से सेवा-सत्कार कर सकती है। उन्होंने लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावको की सराहना की।

उत्तर प्रदेश में यूनीसेफ की प्रमुख प्रतिनिधि एडेल खुरद ने कहा कि भारत में बीस साल के दौरान 1989 से 2009 तक में नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के लिए बैठकों , सम्मेलनों और सरकारों के प्रयासों से स्थिति में काफी सुधार हुआ है और वे अपने बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान कर रहे है। भारत में शिशु मृत्यु दर में भी कमी आयी है लेकिन उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा शिशुओं की मौतें होती है। लड़कियां स्कूल जाने लगी है लेकिन मैं महसूस करती हूं कि इस अधिनियम को लागू कराने के लिए कानून का और सख्ती से पालन होना चाहिए और उत्तर प्रदेश में इसके क्रियान्वयन में चुनौतियां अभी काफी है। उत्तर प्रदेश  स्कूलों की समुचित संख्या होनी चाहिए, अध्यापको के रिक्त स्थानों को भरा जाना चाहिए और स्कूलों की निरन्तर जांच प्रक्रिया होनी चाहिए।

दिल्ली से आयी यूनीसेफ की एंजिल वाकर ने कहा कि लड़कियां लड़को की तरह आगे बढ़ सकती है लेकिन आज उनके शिक्षित होने की जरुरत है और उनको शिक्षित करने में अहम् भूमिका निभायेगा रेडियों कार्यक्रम मीना की दुनिया। इस कार्यक्रम ने लड़कियों, उनके माता-पिता और अध्यापकों पर अच्छी छाप छोड़ी है और वे अपनी लड़कियों को शिक्षित करने की ओर बढ़ रहे है।

पर्वतारोही सन्तोष यादव ने अपना सस्मरण सुनाया कि कैसे उनके साथ परिवार में ही भेदभाव किया गया और एक लड़की होने पर कितनी प्रताड़ना झेलना पड़ी लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपले लक्ष्य को प्रप्त किया। लड़कियों में किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए हौसला, जिज्ञासा, हिम्मत और साहस का होना जरुरी है और इस कमी को केवल कोई पूरा कर सकता है तो वो है शिक्षा। उन्होंने उम्मीद जताई कि मीना की दुनिया रेडियों कार्यक्रम इस कसौटी पर खरा उतरेगा। लड़कियों को स्कूल तक पहुचांयेगा। शिक्षा के प्रति जन जागृति पैदा करेगा।

आल इडिया रेडियों के निदेशक सुशील बनर्जी ने कहा कि आज का दिन महत्वपूर्ण है। रेडियों आपको चटपटा, मनोरंजक और शिक्षाप्रद कार्यक्रम मीना की दंलिया तक पहुंचायेगा । लड़कियां मीना को अपने दिल में बैठाकर उसकी तरह अपना जीवन बनायेगी। पिछले दो दशकों से मीना की दुनियां ने अपनी फिल्म, टीवी और रेडियों के माध्यम से अपने मजाकिया, मनोरंजक और कथाओं से दक्षिण एशियाई देश के बच्चों में अपनी एक चिशेप जगह बना ली है।

यूनीसेफ ने 1990 ने रेडियों कार्यक्रम मीना की दुनियां की अवधारणा को जन्म दिया। स्मार्ट, प्यारी और चहेती मीना, राजू और मिठ्ठू बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान और नेपाल में बालिकाओं का प्रतिनिधत्व करती है। उसने इस क्षेत्र में लड़कियों के खिलाफ भेदभाव को उजागर किया हैं उनमें शिक्षित होने की जिज्ञासा उत्पन्न की है। उसने अपनी लघु फिल्मों, स्पॉट, पुस्तक और विडियों आदि के माध्यम से लड़कियों की शिक्षा और बाल अधिकारों की सफल वकालत की है। उसके कार्यकलापों ने बूढ़े-जवान सभी को प्रभावित किया है। मीना की लघु फिल्में, स्पॉट, पुस्तक और विडियों अनेक भाषाओं-हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली, फे्रंच, नेपाली, पुर्तगाली और स्पैनिश में उपलब्ध है। मीना अब वापस आ गई है। वह हमेशा की तरह आर्कषक लेकिन नई भूमिका के साथ आ रही है। वह मनोरंजक तरीके से शक्तिशाली माध्यम रेडियो का उपयोग करके अब बच्चों के अधिकार, लिंगभेद और बच्चों के अनुकूल स्कूल जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं का सन्देश देगीं। इसके अलावा वह सामाजिक व्यवहार में बदलाव से सम्बंधित मुद्दों को भी उठाएगी। मीना की दुनिया रेडियों कार्यक्रम के रचनाकारों को विश्वास है कि वह अपने मिशन में सफल हो रहे है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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