जब पूरा भारत स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहा था तभी गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में मासूम बच्चों पर राज्य सरकार की लापरवाही से मौत का साया मण्डरा रहा था अचानक आक्सीजन की कमी के कारण दर्जनों मासूमों की जान चली गई इस घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संगठन के साथ कई सामाजिक व राजनैतिक संगठनों ने मिलकर इण्डियन नेशनल लीग के कार्यकारी अध्यक्ष पीसी कुरील के नेतृत्व में तकरोही चैराहे इन्दिरानगर में समय 02ः00 बजे स्वास्थ्य मंत्री के साथ मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया, जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता संगठन के संयोजक मुहम्मद आफ़ाक, जनहित संघर्ष मोर्चा के हाजी मुहम्मद फहीम सिद्दीकी, शराबबंदी संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुर्तुजा अली, समाजसेवी मुशीर खान, जन एकता पार्टी के अध्यक्ष डाॅ0 डी0के0 यादव, मुस्लिम फोरम के अध्यक्ष डाॅ0 आफताब, मुस्लिम समाज परिषद के अध्यक्ष मो0 शुऐब, डाॅ0 आर0बी0 लाल आदि ने रोष व्यक्त किया और डाॅ0 कफील अहमद खां को उनके पद से हटाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि निकम्मी राज्य सरकार ने तो आक्सीजन का बकाया पैसा करीब 69 लाख रू0 था वह अदा नही किया जिसके कारण कम्पनी ने आक्सीजन सप्लाई रोक दी, जब 10 अगस्त, 2017 को अस्पताल में अफराह तफरी का माहौल था तब एक ही डाॅ0 फरिश्ता बनकर मरीजों की सेवा में लगा था, मरीजों की जान बचाने की कोशिश कर रहा था और वो था एक मुल्ला डाॅ0 कफील खां, जिसने रात भर अपने मित्रों के अस्पताल से आक्सीजन अपनी गाड़ी में रखकर लाए और जान बचाने का प्रयास किया जिसकी पुष्टि वहां उपस्थित मरीजों के परिजनों ने किया जबकि मीडिया वहां पर थी उसने खुद देखकर डाॅ0 कफील की प्रशंसा किया चैनलों पर यह खबर चलाई गई और अख्बारों में भी खबर आई यही चीज़ मनुवादी सरकार को अच्छी नहीं लगी और उसने डाॅ0 कफील पर कार्यवाही कर दी, हाजी मुहम्मद फहीम सिद्दीकी व मुर्तुजा अली ने कहा कि योगी सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि जब डाॅ0 कफील विभागाध्यक्ष नही हैं डाॅ0 महिमा मित्तल विभागाध्यक्ष बाल रोग हैं, डाॅ0 कफील वायस प्रिंसिपल भी नही हैं वो तो बाल रोग विभाग में लेक्चर्रर हैं पुष्पा सेल ने सारे लेटर विभागाध्यक्ष प्रिंसिपल बीआरडी व डीजीएमई को भेजे न कि नोडल आफिसर डाॅ0 कफील को, आक्सीजन सप्लाई की सारी जिम्मेदारी डाॅ0 सतीष कुमार की थी क्योंकि वो एनेस्थीसिया डिपार्टमेण्ट के हेड हैं, मेंटीनेंस डिपार्ट वही देखते हैं। डाॅ0 कफील खां अभी नोडल आफिसर एनएमएच थे, जिसका काम स्टाफ की सैलरी, हाजिरी और प्रस्ताव को भेजना है। वह किसी ऐसी कमेटी में भी नही थे जहां उनके द्वारा खरीद फरोख्त हुई हों इसलिए कमीशन या वारमर लेने की बात सरासर झूठ व इल्जाम है केवल विकृत मानसिकता वाली सरकार डाॅ0 कफील के अच्छे कार्य को बर्दाश्त नही कर पाई कि एक मुस्लिम क्यों हीरों बन गया, ठीक उसी प्रकार अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकी हमले पर बस के ड्राईवर सलीम शेख पर इल्जाम की बौछार कर दी गई थी कि वो कैसे बच गया। संघी मानसिकता के लोग यह नही सोचते कि अगर सलीम भी मर जाता तो वो बस लेकर कैसे भागता साथ में बाकी 57 यात्री भी सलीम के साथ मारे जाते। सलीम ने 57 यात्रियों की जान बचाई यह ठीक नही वह खुद कैसे बचा इसके ऊपर उंगलियां उठने लगी, मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि गन्दगी की वजह से अस्पताल में हुई। तीन साल से स्वच्छ अभियान चल रहा है क्या स्वच्छता का ठेका पाकिस्तान को दिया गया था, स्वास्थ्य मंत्री आकड़े बता रहे हैं कि अगस्त, 2016 में कितनी मौते हुई, 2015 अगस्त में कितने बच्चे मरे थे यह मंत्री और डाॅ0 अपनी जिम्मेदारियों पर पर्दा डाल रहे हैं और फरिश्ता डाॅ0 कफील खां की बली चढ़ा दी। हम सब नेता मांग करते हैं कि अपनी गलती और लापरवाही को कबूल करते हुए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तुरन्त इस्तीफा दें।
पुतला दहन में मुहम्मद सालिम, नरेन्द्र यादव, गौतम, शिव कुमार, अहमद आदि ने प्रदेश मुर्दाबाद डाॅ0 कफील को वापस लो, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री गद्दी छोड़ों के नारे लगाए।