भारतीय संस्कृति दर्शन विश्वव्यापी हो रहे है । इस मुहिम में वैदिक साहित्य और संगीत सभी कलाओं से जुड़े सुप्रतिष्ठित महानुभावों की विशेष भूमिका है । इस मुहिम को विशेष अभियान के रूप में लेने की आवश्यकता है । यह बातें विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने आज अपने सरकारी आवास पर मिलने आये साहित्यए कलाए नाट्यए नृत्य आदि से जुड़े 12 महानुभावों से कहीं ।
शिष्टाचार भेंट में प्रख्यात निर्देशक डॉ0 चन्द्र प्रकाश द्विवेदीए नृत्यांगना पदमश्री सोनल मान सिंह व पदमश्री मालिनी अवस्थीए संस्कार भारती के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्री अमीर चन्द्रए अयोध्या के राजपरिवार के श्री यतीन्द्र मिश्राए इतिहास संकलन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बाल मुकुंदए संस्कार भारती की अवध प्रान्त की अध्यक्ष श्रीमती पूर्णिमा पाण्डेयए श्री नील सरकार व लीजा भंसाली आदि 12 महानुभाव थे । श्री दीक्षित ने उपनिषद् व चाणक्य पर धारावाहिक बनाने वाले डॉ0 चन्द्र प्रकाश द्विवेदीए सोनल मान सिंह व मालिनी अवस्थी को विशेष रूप से बधाई दी तथा उनके कार्यों की सराहना की । उन्होंने समूचे दक्षिण एशिया को प्राचीन भारतीय संस्कृति का प्रभाव क्षेत्र बताया ।
श्री दीक्षित ने कहा कि सभी कलाएं प्राकृतिक सौन्दर्य का पुनर्सृजन हैं । सामान्यतया सभी कलाएं सूक्ष्म का स्थूल में पुनर्सृजन करती है लेकिन भारतीय कलाधर्म में स्थूल में छुपे सूक्ष्म सौन्दर्य बोध की पुनर्सृजन होता आया है । उन्होंने उत्तर प्रदेश में संस्कृति संवर्द्धन के लिए किए जा रहे सरकारी गैर सरकारी कार्यों की सफलता की शुभकामना दी ।