Posted on 04 August 2017 by admin
सर्वोच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण विनिश्चय में लगाया है रोक। सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजभूषण दुबे ने शासन व एनजीटी को भेजी शिकायत। ( वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर फेकी गई बकरी)
गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने के लिए भारत सरकार चाहे जितनी भी बड़ी बड़ी घोषणाएं करें, उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय व राष्ट्रीय हरित अधिकरण अक्सर सरकारों को गंगा सफाई के नाम पर फटकार लगाए करते हैं किंतु जमीनी हकीकत बदलने का नाम नहीं लेती। बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता ब्रजभूषण दुबे वाराणसी के मणि कर्णिका घाट पर शव जल प्रवाह के अलावा मरी हुई बकरी को भी प्रवाहित करते देखा तो चौंक गए। उन्होंने आपत्ति जताया तो वहां के लोग विरोध पर उतर आए। तर्क दिया गया कि गंगा मुक्ति दायिनी है इसमें कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैंस, पड़वा, बकरी सभी प्रवाहित किए जाते हैं। ब्रज भूषण दूबे ने मनुष्यों की लाशों के प्रवाहित होने का वीडियो व चित्र तथा नाव के सहारे मरी हुई बकरी को गंगा में प्रवाहित करने का चित्र शासन तथा एनजीटी को भेजा।
सर्वोच्च न्यायालय का महत्व पूर्ण आदेश-
ब्रज भूषण दुबे ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे गए मेल में इस बात का उल्लेख किया की एम सी मेहता बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की महत्वपूर्ण खंडपीठ ने जो विनिश्चय प्रतिपादित किया है उसके आधार पर उत्तरांचल से लेकर पश्चिम बंगाल तक जहां से होकर गंगा गुजरती हैं कहीं भी मनुष्यों की लाशें व मरे हुए पशुओं को प्रवाहित नहीं किया जा सकता। किंतु वाराणसी जो स्वयं प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है तथा विश्व की पौराणिक व धार्मिक शहर के रूप में जिसकी मान्यता है, वहां की गंगा नदी में मनुष्य की लाशों का प्रवाह तो होता ही है पशुओं को भी बिना किसी रोक-टोक के प्रवाहित किया जाता है। जिस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए तथा जिम्मेदार नगर निगम वह अन्य लोकसेवकों पर सुसंगत धाराओं में अपराध पंजीकृत कर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा है यदि ऐसा नहीं होता है तो हम पूरे वीडियो फुटेज के साथ माननीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।