उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में तुलसी जयन्ती के अवसर पर व्याख्यान एवं संगीतमय प्रस्तुति का आयोजन रविवार, 30 जुलाई, 2017 को यशपाल सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया।
व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ0 षिव ओम अम्बर, फर्रुखाबाद आमंत्रित थे।
दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा एवं गोस्वामी तुलसीदास जी के चित्र पर पुष्पार्पण किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित डाॅ0 षिव ओम अम्बर, फर्रुखाबाद ने ‘श्रीरामचरितमानस में वर्णित वृक्षों का वस्तुतत्व‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा - मानस में पंचवटी के सन्दर्भ में पाँच वृक्षों की चर्चा होती है - पाकर, जम्बू (जामुन), तमाल, रसाल (आम) और बरगद। मानस एक रूपक काव्य है। ये सभी वृक्ष विविध साधनाओं के निरूपक तत्व है। पाकर जय की सघनता का द्योतक है - जामुन विवेक का, तमाल प्रभु की सौन्दर्य-श्री का, आम रसवृत्ति का। बरगद विश्वास और प्रेम का। काकभुण्डि जी के साथ भी चार वृक्ष संयुक्त है। वहाँ जामुन नहीं है, उसके स्थान पर पीपल है। पीपल के नीचे ध्यान की साधना होती है। लंका में अशोक वाटिका में अशोक वृक्ष स्वस्ति-आश्वस्ति का प्रतीक है। यह सीता को अर्थात भक्ति को आश्रय देता है। इसी कारण परम पूज्य है। श्री रामचरितमानस एक युग-प्रणेता कवि के द्वारा प्रवर्तित शाश्वत संस्कृति-कोश है। महाकवि का काव्य-कौशल इसमें पग-पग पे परिलक्षित है। एक नये समाज का स्वप्न ही तुलसी का रामराज्य है। शेष सब उसकी तैयारी है।
मानस संस्कृति का संविधान, प्रतिभा का प्रतिमान, कला का कीर्तिमान है।
व्याख्यान के उपरान्त संस्थान के प्रधान सम्पादक श्री अनिल मिश्र ने श्री राकेश अग्निहोत्री, श्री देवेश अग्निहोत्री (अग्निहोत्री बन्धु) तथा अन्य कलाकारों का उत्तरीय द्वारा स्वागत किया।
गोस्वामी तुलसीदास के पदों की संगीतमयी प्रस्तुति करते हुए श्री राकेश अग्निहोत्री, श्री देवेश अग्निहोत्री (अग्निहोत्री बन्धु) द्वारा करते हुए गायन किया - जय-जय सुर नायक, जन सुखदायक, प्रणत पाल भगवन्ता। श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन, ठुमक चलत रामचन्द्र बाजत पैजनियाँ, एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास, नमामी शमीशान निर्वाण रूपम, श्री हनुमान चालीसा, जानकीनाथ सहाय करें प्रस्तुत किया। तबले पर श्री ठाकुर प्रसाद मिश्र, ढ़ोलक पर श्री रवि, सिंथेसाइजर पर श्री विजय कुमार सैनी, हैण्डसोनिक पर श्री पंकज मेहता, मंजीरा पर श्री अंजनी शुक्ला ने सहयोग प्रदान किया।
समारोह का संचालन एवं अभ्यागतों के प्रति आभार डाॅ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।