मण्डलायुक्त श्री अनिल गर्ग ने बताया कि कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए कृषि प्रसार, कृषि निवेश तथा तकनीकी प्रबन्धन योजना के अन्तर्गत संचालित कृषि सूचना तंत्र के सुद्ढीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम के क्रियान्वयन की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है।
उन्होने जिलाधिकारी लखीमपुर-खीरी व उन्नाव को सम्बघित पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि वर्ष 2017-18 के अन्तर्गत प्रदेश को 09 एग्रोक्लाइमेटिक जोन में विभाजित किया गया है जिसमें एग्रोक्लाइमेटिक जोन भवर एवं तराई जोन में मण्डल से जनपद लखीमपुर खीरी तथा मध्य मैदानी में जनपद लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर एवं हरदोई को सम्बद्ध किया गया है। मण्डल के एग्रोक्लाइमेटिक जोन स्तर पर वर्ष में एक बार तीन दिवसीय विराट किसान मेला का आयोजन किया जाना है।उन्होने कहा कि कृषकों को कृषि सम्बन्धी अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करना, कृषि उत्पादन में स्थायी एवं निरन्तर वृद्धि कृषकों की आय में वृद्धि नवीनतम् तकनीकी जानकारी मुहैया कराना तथा अधिक फसल उत्पादन एवं अधिक आय हेतु कृषकों में प्रतिस्पर्धा की भावना जागृत करना योजना का मुख्य उद्देश्य है।
मण्डलायुक्त ने कहा कि कृषि तकनीकी के प्रसार एवं जानकारी उपलब्ध कराने हेतु मेले में जोन से सम्बन्धित प्रगतिशील/अचीवर कृषकों तथा कृषि विभाग के साथ-साथ अन्य सम्बद्ध विभागों जैसे उद्यान पशुपालन, मत्स्य, रेशम, सहकारिता, एग्रो, सिचाई, लघु सिंचाई, विद्युत विभाग के अधिकारियों के अतिरिक्त बैंकर्स, एन0जी0ओ0, के0वी0के0 के वैज्ञाानिक, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आदि की पूर्ण सहभागिता हेतु उन्हे आमंत्रित किया जाये तथा कृषि से सम्बन्धित विभिन्न विभागों तथा अन्य निजी क्षेत्र के कृषि निवेश कम्पनियों को आमंत्रित कर स्टाल एवं प्रदर्शनियों का आयोजन कराया जाये। उन्होने कहा कि इस प्रकार कृषकों के हितार्थ उन्हे तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने एवं उनकी समस्याओं तथा जिज्ञासाओं के त्वरित समाधान हेतु अधिक से अधिक भौतिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करायी जाये।
मण्डलायुक्त ने निदेश दिये कि जनपद में उक्त मेले के आयोजन हेतु स्थल का चयन एवं तिथि निर्धारित कराते हुए मण्डलीय संयुक्त कृषि निदेशक के पर्यवेक्षण में यथाशीध्र आवश्यक कार्यवाही कराते हुए जनपदीय उप कृषि निदेशक के द्वारा मेले का सफल आयोजन सुनिश्चित किया जाये। उन्होने कहा कि योजनान्तर्गत दिये गये दिशा निर्देश के अनुरूप ही क्रियान्वयन कराया जाये ताकि योजना के उद्देश्य की पूर्ति की प्रतिबद्धता प्रभावित न होने पाये।