भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि अखिलेश सरकार के कार्यकाल में उ0प्र0 के लोक निर्माण विभाग में नियमों की जमकर अनदेखी हुई, जिससे प्रदेश सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। भारत सरकार के नियंत्रक लेखा परीक्षक (सीएजी) ने 2011 से 2016 के दौरान हुए टेंडरों में ढेरों अनियमितताएं पकड़ी है। गुरूवार को विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 73 प्रतिशत निविदाओं में बिना प्रतिस्पर्धा के एक या दो ठेकेदारों ने ही टेंडर डाले है। सरकार और ठेकेदारों के बीच सांठ-गांठ के मामले सामने आये है।
प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि सड़कों की डिजाइन बनाने व निर्माण में इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों का जमकर उल्लंघन किया गया है। बिना ट्रैफिक की गणना किये सड़कों की डिजाइन बनाई गई और उनका चैड़ीकरण किया गया। सड़कों का सिक्योरिटी आडिट भी नही कराया गया। विभाग के अधिशासी अभियंताओं ने अधिक लागत की सड़कों की मंजूरी दी। टेंडर के नियमों का विभाग ने ही जमकर उल्लंघन किया है। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया कि 2011-12 में बिना प्रतिस्पर्धा वाले 63 प्रतिशत टेंडर थे जो 2015-16 में बढ़ कर 77 प्रतिशत हो गए। गौरतलब है कि अखिलेश सरकार में उनके चाचा शिवपाल यादव मंत्री थे उनके इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग अपने पास रखा था।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा अखिलेश सरकार में चारों ओर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार व्याप्त था सरकार की सारी योजनाओं का उपयोग अपने चहेतो को लाभ देने के लिए किया गया। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद 15 वर्षो में विकास के नाम पर किये गये भ्रष्टाचार की जांच प्रारम्भ होते ही विपक्ष भयभीत है। आज देश में मोदी जी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंची है। बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद उ0प्र0 के जातिवादी और परिवारवादी राजनीतिक दल बौखला गये है और वह घोर निराशा में हैं।