समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने शिक्षामित्रों की स्थिति के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा है कि सुप्रीमकोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के पीछे भाजपा सरकार की असावधानी और लचर पैरवी है। समाजवादी सरकार ने 1.72 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन कर उन्हें सम्मानपूर्वक जीने का अवसर दिया था। भाजपा सरकार बनते ही शिक्षामित्रों के उत्पीड़न की कार्यवाही शुरू हो गई है।
सहायक शिक्षकों के पद पर शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने से लाखों परिवारों के समक्ष जीवनयापन और रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया हैं। इस अवसाद में एक महिला शिक्षिका की हार्ट अटैक से और एक अन्य शिक्षामित्र की जहर खाने से मौत हो गई है। भाजपा सरकार की संवेदनहीनता के चलते आज गोरखपुर-सहित कई अन्य जनपदों में पुलिस द्वारा अहिंसात्मक प्रदर्षन कर रहे शिक्षामित्रों पर बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया जिसमें कई शिक्षामित्र बुरी तरह घायल हुए हैं। इसमें महिला शिक्षामित्रों के साथ दुव्र्यवहार किया गया।
भाजपा के सŸाा में आते ही छात्रों-नौजवानों, विŸा विहीन शिक्षको, कर्मचारियों सहित समाज के कमजोर वर्ग का उत्पीड़न शुरू हो गया है। जनता की समस्याओं को दूर करने में प्रदेश सरकार की कोई रूचि नहीं है। अलोकतांत्रिक और जनविरोधी फैसलों से जनता कराह रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने मांग की है कि भाजपा सरकार को शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए जहां पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए, वहीं मृत शिक्षामित्रों के आश्रितों को 50-50 लाख रूपये की मदद तत्काल दी जाये। घायलों का इलाज एवं पर्याप्त मुआवजा दिये जाने की व्यवस्था करे। उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार असहमति और विरोध के प्रति जिस क्रूरता का प्रदर्शन कर रही है वह बहुत निंदनीय है।