(1) राष्ट्रपति पद की शपथ लेने पर श्री रामनाथ कोविंद को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें हंै, परन्तु अच्छा होता कि अगर वे आज राजघाट जाकर गाँधीजी को फूल अर्पित करने के साथ-साथ संसद परिसर में लगी भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर भी अपने श्रद्धा के कुछ फूल अर्पित कर देते, जिनकी वजह से ही आज वे देश के राष्ट्रपति बन पाये हैं।
(2) वर्तमान में गुजरात के साथ-साथ देश के अन्य कई और राज्य भी काफी बुरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हैं।
ऽ ऐसी स्थिति में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को केवल गुजरात का ही नहीं बल्कि अन्य और बाढ़-पीड़ित राज्यों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिये।
ऽ क्योंकि अब वे गुजरात के मुख्यमन्त्री नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के प्रधानमन्त्री हैं: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं पूर्व सांसद, सुश्री मायावती जी।
नई दिल्ली, 25 जुलाई 2017: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि श्री के. आर. नारायणन के बाद देश के दूसरे दलित समाज के राष्ट्रपति बनने वाले श्री रामनाथ कोविंद को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें हैं, परन्तु अच्छा होता कि अगर वे आज अपने शपथ ग्रहण के दिन राजघाट जाकर गाँधीजी को फूल अर्पित करने के साथ-साथ संसद परिसर में लगी भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर भी अपने श्रद्धा के कुछ फूल अर्पित कर देते, जिनकी वजह से ही आज वे देश के राष्ट्रपति बन पाये हैं।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि संसद परिसर में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की लगी प्रतिमा या फिर सेन्ट्रल हाल में लगे इनके फोटो-चित्र पर भी, उन्हें पुष्प अर्पित नहीं करना एक ऐसा संकेत है, जो बीजेपी व इनके एन.डी.ए. एण्ड कम्पनी की अम्बेडकर-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रदर्शित करता है, जिस पर देश के दलितों की खास नजर है।
वैसे तो श्री रामनाथ कोविंद अपने राजनैतिक जीवनकाल में बीजेपी व आर.एस.एस. की संकीर्ण व जातिवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं परन्तु सरकार में आने के बाद गाँधीजी व बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का नाम लेतेे रहने की अब यह आम परम्परा बन चुकी है और आज यह काम श्री रामनाथ कोविंद ने भी किया।
परन्तु श्री रामनाथ कोविंद से यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी कि वे गाँधीजी के साथ-साथ बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को भी अपने श्रद्धा के फूल नहीं चढ़ायेंगे। उन्हें आज बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को भी अपने श्रद्धा के फूल जरूर अर्पित करने चाहिये थे और अन्य किसी से तो नहीं किन्तुु दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति से तो यह उम्मीद की ही जा सकती है कि वह बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के जीवन संघर्ष व उनके बलिदानों के प्रति हमेशा ही कृतज्ञ रहेगा।
इसके साथ ही, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिये कि वे आज अगर राष्ट्रपति के पद पर आसीन हो पायें हैं, तो उसकी सबसे बड़ी देन परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की है और फिर उनके बाद, इनकी मूवमेन्ट को आगे गति देने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी व बी.एस.पी. की है, जिसने बीजेपी को दलित समाज के व्यक्ति को देश का राष्ट्रपति बनाने के लिये मजबूर कर दिया है।
इसके अलावा इन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में गुजरात के साथ-साथ देश के अन्य कई और राज्य भी काफी बुरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हैं। ऐसी स्थिति में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को केवल गुजरात का ही नहीं बल्कि अन्य और बाढ़-पीड़ित राज्यों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिये। क्योंकि अब वे गुजरात के मुख्यमन्त्री नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के प्रधानमन्त्री हैं।
इसके साथ ही बाढ़-पीड़ित लोगों की हर स्तर पर पूरी-पूरी मदद भी की जानी चाहिये। इतना ही नहीं बल्कि इस मामले में कोई भी पक्षपात नहीं होना चाहिये, अर्थात गैर-बीजेपी शासित राज्यों की भी केन्द्र सरकार को बिना पक्षपात के हर स्तर पर, पूरी-पूरी मदद करनी चाहिये।
बी.एस.पी. द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति-दिनांक 25.07.2017
(1) राष्ट्रपति पद की शपथ लेने पर श्री रामनाथ कोविंद को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें हंै, परन्तु अच्छा होता कि अगर वे आज राजघाट जाकर गाँधीजी को फूल अर्पित करने के साथ-साथ संसद परिसर में लगी भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर भी अपने श्रद्धा के कुछ फूल अर्पित कर देते, जिनकी वजह से ही आज वे देश के राष्ट्रपति बन पाये हैं।
(2) वर्तमान में गुजरात के साथ-साथ देश के अन्य कई और राज्य भी काफी बुरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हैं।
ऽ ऐसी स्थिति में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को केवल गुजरात का ही नहीं बल्कि अन्य और बाढ़-पीड़ित राज्यों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिये।
ऽ क्योंकि अब वे गुजरात के मुख्यमन्त्री नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के प्रधानमन्त्री हैं: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं पूर्व सांसद, सुश्री मायावती जी।
नई दिल्ली, 25 जुलाई 2017: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि श्री के. आर. नारायणन के बाद देश के दूसरे दलित समाज के राष्ट्रपति बनने वाले श्री रामनाथ कोविंद को हार्दिक बधाई व शुभकामनायें हैं, परन्तु अच्छा होता कि अगर वे आज अपने शपथ ग्रहण के दिन राजघाट जाकर गाँधीजी को फूल अर्पित करने के साथ-साथ संसद परिसर में लगी भारतीय संविधान के निर्माता परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर भी अपने श्रद्धा के कुछ फूल अर्पित कर देते, जिनकी वजह से ही आज वे देश के राष्ट्रपति बन पाये हैं।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि संसद परिसर में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की लगी प्रतिमा या फिर सेन्ट्रल हाल में लगे इनके फोटो-चित्र पर भी, उन्हें पुष्प अर्पित नहीं करना एक ऐसा संकेत है, जो बीजेपी व इनके एन.डी.ए. एण्ड कम्पनी की अम्बेडकर-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रदर्शित करता है, जिस पर देश के दलितों की खास नजर है।
वैसे तो श्री रामनाथ कोविंद अपने राजनैतिक जीवनकाल में बीजेपी व आर.एस.एस. की संकीर्ण व जातिवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं परन्तु सरकार में आने के बाद गाँधीजी व बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का नाम लेतेे रहने की अब यह आम परम्परा बन चुकी है और आज यह काम श्री रामनाथ कोविंद ने भी किया।
परन्तु श्री रामनाथ कोविंद से यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी कि वे गाँधीजी के साथ-साथ बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को भी अपने श्रद्धा के फूल नहीं चढ़ायेंगे। उन्हें आज बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को भी अपने श्रद्धा के फूल जरूर अर्पित करने चाहिये थे और अन्य किसी से तो नहीं किन्तुु दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति से तो यह उम्मीद की ही जा सकती है कि वह बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के जीवन संघर्ष व उनके बलिदानों के प्रति हमेशा ही कृतज्ञ रहेगा।
इसके साथ ही, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिये कि वे आज अगर राष्ट्रपति के पद पर आसीन हो पायें हैं, तो उसकी सबसे बड़ी देन परमपूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की है और फिर उनके बाद, इनकी मूवमेन्ट को आगे गति देने वाले मान्यवर श्री कांशीराम जी व बी.एस.पी. की है, जिसने बीजेपी को दलित समाज के व्यक्ति को देश का राष्ट्रपति बनाने के लिये मजबूर कर दिया है।
इसके अलावा इन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में गुजरात के साथ-साथ देश के अन्य कई और राज्य भी काफी बुरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हैं। ऐसी स्थिति में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को केवल गुजरात का ही नहीं बल्कि अन्य और बाढ़-पीड़ित राज्यों का भी पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिये। क्योंकि अब वे गुजरात के मुख्यमन्त्री नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के प्रधानमन्त्री हैं।
इसके साथ ही बाढ़-पीड़ित लोगों की हर स्तर पर पूरी-पूरी मदद भी की जानी चाहिये। इतना ही नहीं बल्कि इस मामले में कोई भी पक्षपात नहीं होना चाहिये, अर्थात गैर-बीजेपी शासित राज्यों की भी केन्द्र सरकार को बिना पक्षपात के हर स्तर पर, पूरी-पूरी मदद करनी चाहिये।
जारीकर्ता:
बी.एस.पी केन्द्रीय कार्यालय,
4, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड,
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