उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने कहा कि लोकमान्य बालगंगाधर तिलक एवं चन्द्रशेखर आजाद ने अपने-अपने ढंग से देश की आजादी के लिए प्रयास किए। 100 साल पहले बालगंगाधर तिलक कांग्रेस के अधिवेशन में लखनऊ आए थे जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे पाकर रहूंगा’। अंग्रेजों ने बालगंगाधर तिलक को भारत में ‘असंतोष का जनक’ बताया था। देश आजाद हो इसके लिए हर आदमी को जागृत करने के लिए बालगंगाधर ने गणपति महोत्सव एवं छत्रपति शिवाजी उत्सव का सार्वजनिक रूप से आयोजन प्रारम्भ किया। इसी दृष्टि से उन्होंने दैनिक ‘केसरी’ मराठी में तथा अंग्रेजी में ‘मराठा’ जैसे समाचार पत्र भी प्रारम्भ किए। लोकमान्य तिलक के अग्रलेख पढ़ने योग्य एवं प्रेरणादायक होते थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने 1857 के पहले स्वतंत्रता समर को बगावत बताया जबकि वह देश की आजादी की शुरूआत थी।
उक्त विचार राज्यपाल आज लोकमान्य बालगंगाधर तिलक जयंती एवं चन्द्रशेखर आजाद जयंती के अवसर पर लखनऊ के लालबाग चैराहा स्थित आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त कर रहे थे। इससे पूर्व राज्यपाल ने लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की प्रतिमा एवं चन्द्रशेखर आजाद के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर श्री उदय खत्री, श्री सुधीर हलवासिया, महंत देव्यागिरी सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
श्री नाईक ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद ने कम उम्र में ही गांधी जी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभायी। शहीद चन्द्रशेखर आजाद का लखनऊ से गहरा नाता है। शहीद चन्द्रशेखर आजाद ने क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल व अन्य साथियों के साथ काकोरी में टेªन से अंग्रेजों के सरकारी खजाने को लूटकर देश को आजाद कराने का काम आगे बढ़ाया। अपने जीवन का उत्सर्ग करने वाले ऐसे महान शहीदों के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम स्वराज को सुराज में बदलें। देश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक, समाज एवं सरकार की है। उन्होंने कहा कि हमें यह संकल्प लेना होगा कि अपने देश के प्रेरणा स्तम्भों के सपनों के देश का निर्माण करने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
इस अवसर पर अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।