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क्यों न पद से बर्खास्त करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए जाएं - श्री नाईक

Posted on 21 July 2017 by admin

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राज्य विश्वविद्यालय श्री राम नाईक ने
डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व कुलसचिव
(निलम्बित) श्री यू0एस0 तोमर को 17 जुलाई 2017 को सुनवाई का अवसर देने के बाद
उनके विरूद्ध गठित तीन सदस्यीय जांच समिति की अंतिम जांच रिपोर्ट को स्वीकार
कर लिया है। राज्यपाल/कुलाधिपति ने श्री तोमर पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को
सही पाए जाने पर नोटिस जारी किया है। राज्यपाल ने श्री तोमर को भेजे गए अपनी
नोटिस में कहा है कि ‘25 जुलाई 2017 तक अपना स्पष्टीकरण दें कि क्यों न उनके
विरूद्ध राज्य सरकार को कुलसचिव पद से बर्खास्त किए जाने के औपचारिक आदेश जारी
करने के निर्देश दिये जाएं।’
श्री यू0एस0 तोमर कुलसचिव डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय,
लखनऊ पर आरोप थे कि (1) मा0 उच्चतम न्यायालय में संस्थित एस0एल0पी0 (सिविल
9048/2012 पाश्र्वनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट एवं अन्य बनाम ए0आई0सी0टी0ई0 एवं अन्य
में पारित आदेश दिनांकित 13 दिसम्बर, 2012) जिसमें सम्बद्धता की अन्तिम तिथि
15 मई के बाद 44 कालेजों को जानबूझकर उच्चतम न्यायालय के आदेश के विरूद्ध
सम्बद्धता प्रदान किया जाना, (2) सत्र 2013-14 में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध
महाविद्यालयों को प्रवेश देने के समय माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के
अनुपालन में कुलसचिव, डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय,
लखनऊ के द्वारा नियमों के विपरीत सम्बद्धता आदेश निर्गत करना, (3) शासन के
पत्रांक: वी0आई0पी0-06/सोलह-1-2014 (रिट-39)/2014 में उद्धृत रिट याचिकाओं में
कुलसचिव द्वारा पैरवी न किया जाना तथा जानबूझकर माननीय उच्चतम न्यायालय में
प्रतिशपथ पत्र न दाखिल किया जाना, (4) सत्र 2014-15 में कुलसचिव के रूप में
श्री तोमर द्वारा अपने स्तर से अनाधिकृत बैंक खाता खोलकर एवं विश्वविद्यालय की
आधिकारिक वेबसाइट से इतर किसी अन्य वेबसाइट को शुरू करते हुए संस्थाओं से
आॅन-लाइन आवेदन प्राप्त किया जाना तथा अपनायी गई प्रक्रिया में विश्वविद्यालय
अधिनियम/विनियमों का अनुपालन न किया जाना। उपरोक्त आरोपों के अतिरिक्त श्री
तोमर पर भ्रष्टाचार एवं अनुशासनहीनता के भी आरोप थे।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने कुलसचिव श्री यू0एस0 तोमर पर लगे आरोपों की जांच
हेतु 5 नवम्बर 2015 को न्यायमूर्ति श्री एस0के0 त्रिपाठी (अवकाश प्राप्त) की
अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था जिसमें प्रो0 गुरदीप सिंह बाहरी
कुलपति डाॅ0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ एवं श्री
सर्वेश चन्द्र मिश्रा सेवानिवृत्त आई0ए0एस0 को सदस्य नामित किया गया था।
राज्यपाल द्वारा गठित जांच समिति को श्री यू0एस0 तोमर कुलसचिव डाॅ0 ए0पी0जे0
अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के विरूद्ध वित्तीय अनियमितता एवं
भ्रष्टाचार आदि के आरोपों की जाँच करनी थी। जाँच के दायरे में श्री तोमर की
कुलसचिव पद पर नियुक्ति का मामला भी सम्मिलित था।
राज्यपाल ने 23 नवम्बर 2015 को श्री यू0एस0 तोमर को कुलसचिव पद से निलम्बित कर
दिया था। श्री यू0एस0 तोमर कुलसचिव (निलंबित) के गठित तीन सदस्यीय जांच समिति
ने 31 मई 2017 को अपनी 483 पृष्ठीय अंतिम जांच रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी थी।
जिसके पश्चात् राज्यपाल ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के अंतर्गत श्री यू0एस0
तोमर कुलसचिव (निलंबित) को उनके विरूद्ध गठित अंतिम जांच समिति की रिपोर्ट पर
15 जून 2017 तक उनका पक्ष रखने के लिए समय प्रदान किया था। श्री तोमर द्वारा
राज्यपाल के समक्ष व्यक्तिगत सुनवाई का अनुरोध किया गया था जिसे स्वीकार करते
हुए 14 जुलाई 2017 एवं 17 जुलाई 2017 को राज्यपाल ने व्यक्तिगत रूप से उनको
सुनवाई का अवसर प्रदान किया था।

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