प्रबोधन कार्यक्रम के भाषण संग्रह की प्रति भेंट की
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक से आज विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने मिलकर नवनिर्वाचित विधायकों के लिये 3 एवं 4 मई, 2017 को आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में विशिष्टजनों द्वारा दिये गये भाषणों के संकलन की प्रथम प्रति भेंट की। श्री दीक्षित के साथ विधायक श्री कुलदीप सिंह सेंगर भी उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि नवनिर्वाचित विधायकों के प्रशिक्षण के अंतर्गत विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित द्वारा दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसका उद्घाटन राज्यपाल श्री राम नाईक ने तथा समापन लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने किया था। नवनिर्वाचित विधायकों के लिये प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन विधान सभा द्वारा किया गया था जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित पूर्व विधान सभा अध्यक्षों, नेता विपक्ष, मंत्री एवं सदस्यों ने भी अपना उद्बोधन दिया था।
राज्यपाल ने प्रबोधन कार्यक्रम में सभी महानुभावों द्वारा दिये गये भाषणों के संकलन की प्रशंसा करते हुये कहा कि कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिये पहली बार किया गया प्रकाशन वास्तव में सराहनीय है। यह पुस्तक संदर्भ ग्रंथ के रूप में विधायकों तथा राजनैतिक अभ्यासकों के लिये भी उपयोगी होगी। उन्होंने विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित को बधाई देते हुये कहा कि उन्होंने स्वयं अपने कक्ष में लगे टी0वी0 स्क्रीन पर श्री दीक्षित का सदन संचालन देखा है। श्री दीक्षित ने पहले सत्र में कुशलता से सदन संचालित करते हुये सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का अवसर दिया है। विधान सभा का सत्र बिना किसी स्थगन के निर्बाद्ध ढंग से चला। सदन का सुचारू रूप से चलना स्वस्थ संसदीय परम्परा का सूचक है। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि श्री दीक्षित के अनुभव का लाभ प्रदेश के संसदीय परम्परा को मिलेगा।
विधान सभा अध्यक्ष ने बताया कि शीघ्र ही एक कार्यक्रम का आयोजन करके पुस्तक का लोकार्पण किया जायेगा जिसमें राज्यपाल श्री राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य विशिष्टजन आमंत्रित किये जायेंगे। श्री हृदय नारायण दीक्षित इससे पूर्व 4 बार विधान सभा एवं 1 बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं तथा संसदीय कार्य मंत्री भी रह चुके हैं। श्री दीक्षित एक कुशल लेखक, वक्ता एवं पत्रकार हैं जिनकी लगभग 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और अनेकों समाचार पत्रों में उनके लेख निरन्तर छपते रहे हैं।