- इलाहाबाद हवाई अड्डे का निर्माण कार्य अर्द्धकुम्भ-2019 से पहले पूरा किया जाए
- केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से क्षेत्रीय सम्पर्क योजना के तहत, प्रदेश के बड़े नगरों में हवाई अड्डे की सुविधा विस्तार में समयबद्ध काम करने का अनुरोध
- राज्य सरकार हवाई अड्डों के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराने में और तेजी लाएगी
- कलकत्ता, काठमाण्डू, सिंगापूर, बैंकाॅक एवं पूर्वाेत्तर भारत को जोड़ने के लिए गोरखपुर हवाई अड्डे का विस्तार किया जाना आवश्यक
- वर्तमान केन्द्र सरकार ने नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया है: केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री
- मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के साथ हवाई अड्डों एवं उड़ान सुविधाओं के विस्तार के सम्बन्ध में विचार-विमर्श किया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि राज्य में हवाई सम्पर्क को बढ़ावा देने एवं इसके माध्यम से विभिन्न स्थानों को आपस में जोड़ने के लिए तेजी से काम किया जाना चाहिए। उन्होंने इलाहाबाद के हवाई टर्मिनल भवन एवं अन्य आधारभूत सुविधाएं अर्द्धकुम्भ-2019 से पहले तैयार करने का आग्रह करते हुए कहा कि इसके लिए राज्य सरकार भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण को हर सम्भव सहयोग प्रदान करेगी। उन्होंने राज्य नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि इलाहाबाद में हवाई अड्डे के निर्माण के लिए जरूरी भूमि सितम्बर, 2017 तक उपलब्ध करा दी जाए, जिससे मार्च 2018 तक टर्मिनल भवन बनाने के लिए शिलान्यास कार्यक्रम सम्पन्न हो सके। इलाहाबाद में हवाई अड्डे के विकास से अर्द्धकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री आज यहां शास्त्री भवन में केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री अशोक गजपति राजू जी के साथ प्रदेश में वर्तमान एवं निर्माणाधीन हवाई अड्डों एवं उड़ान सुविधाओं को बढ़ाने के सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर रहे थे। इस मौके पर प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नागरिक उड्डयन के दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश बड़ा बाजार है। यहां धार्मिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। उन्होंने केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय से क्षेत्रीय सम्पर्क योजना के तहत, प्रदेश के बड़े नगरों में ए०टी०आर० की उड़ान के लिए हवाई अड्डों की सुविधा विस्तार में समयबद्ध काम करने का अनुरोध किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार हवाई अड्डों के निर्माण के लिए जरूरी भूमि उपलब्ध कराने में और अधिक तेजी लाएगी। आगरा, कानपुर चकेरी, बरेली, ललितपुर, झांसी, फैजाबाद, मेरठ, मुरादाबाद, अलीगढ़, चित्रकूट आदि नगरों में आवश्यक भूमि का अधिकांश भाग उपलब्ध कराया जा चुका है। उन्होंने चित्रकूट की हवाई पट्टी को 2,500 मीटर तक बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि धार्मिक पर्यटन की दृष्टिकोण से यह नगर काफी महत्वपूर्ण है।
अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ एवं वाराणसी में उपलब्ध सुविधाओं की चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री जी ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि लखनऊ में भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित नये टर्मिनल भवन एवं अन्य सुविधाओं के लिए आवश्यक 70 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने के लिए केन्द्रीय नागरिक उड्डयन विभाग से विचार-विमर्श कर 15 दिनों में अन्तिम निर्णय लिया जाए। लखनऊ हवाई अड्डे पर नया टर्मिनल भवन बनाने के लिए लगभग 1,200 करोड़ रुपये का निवेश भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही, लखनऊ स्थित हवाई अड्डे को शहीद पथ से जोड़ने के लिए वैकल्पिक मार्ग का प्रस्ताव भी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। इसी प्रकार, वाराणसी में हवाई अड्डे के विस्तार के लिए लगभग 350 एकड़ अतिरिक्त भूमि उपलब्ध कराने के लिए संमयक विचारोपरान्त प्रस्ताव देने के लिए कहा गया।
गोरखपुर हवाई अड्डे की चर्चा करते हुए योगी जी ने कहा कि कुशीनगर, कपिलवस्तु, श्रावस्ती आदि बुद्ध सर्किट का केन्द्र गोरखपुर ही है। यहां से कलकत्ता, काठमाण्डू, सिंगापुर, बैंकाॅक एवं पूर्वाेत्तर भारत को जोड़ने के लिए हवाई अड्डे का विस्तार किया जाना चाहिए। कोहरे के मौसम में भी उड़ान भरने के लिए आई०एल०एस० की व्यवस्था गोरखपुर हवाई अड्डे पर की जा रही है। उन्होंने हवाई अड्डे के विस्तार के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने का निर्देश भी अधिकारियों को दिया। ललितपुर में पहले से स्थापित हवाई पट्टी को सिविल टर्मिनल बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय से वार्ता करने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि इन कार्याें में समयबद्ध निर्णय लेकर कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे मथुरा, वृन्दावन, प्रयाग, विंध्याचल, नैमिषारण्य, कुशीनगर, वाराणसी आदि को ऐसी हेलीकाॅप्टर सेवा से जोड़ने पर विचार किया जाए, जिस पर राज्य सरकार को कम से कम आर्थिक मदद देनी पड़े।
प्रस्तावित ग्रीनफील्ड जेवर हवाई अड्डे की सैद्धान्तिक सहमति पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार तेजी से कार्य करेगी। उन्होंने अधिकारियों को भूमि की व्यवस्था करने के साथ-साथ डी०पी०आर० तैयार कराने के लिए कन्सल्टेण्ट नियुक्त करने का कार्य तेज करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि 4 चरणों में बनने वाले इस हवाई अड्डे को पी०पी०पी० माॅडल पर बनाया जाएगा, जिसके लिए एक एस०पी०वी० भी गठित की जाएगी, ताकि इसके माध्यम से आगे की सभी कार्रवाई पूरी हो सके। उन्होंने कहा कि इस हवाई अड्डे को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए जेवर से नई दिल्ली को सीधे जोड़ने के लिए वैकल्पिक यातायात व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी के लिए राज्य सरकार की तरफ से हर सम्भव सहयोग उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया।
इस मौके पर केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री अशोक गजपति राजू जी ने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार ने नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काम किया है। वर्ष 2014 तक जहां देश में मात्र 395 हवाई जहाज थे, वहीं पिछले तीन साल में लगभग 900 जहाजों के लिए आॅर्डर प्लेस किये जा चुके हैं, जो अगले 3 से 4 सालों में उपलब्ध हो जाएंगे। ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस’ एवं तेल के दाम में कमी के फलस्वरूप इस क्षेत्र का काफी विस्तार हो रहा है। उन्होंने कहा कि रीजनल कनेक्टिविटी के तहत हवाई अड्डों को उड़ान से जोड़ने का विस्तार तेजी से हो रहा है।
बैठक में मुख्य सचिव श्री राजीव कुमार, केन्द्रीय नागरिक विमानन सचिव श्री आर0एन0 चैबे, अध्यक्ष भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण डाॅ० गुरु प्रसाद महापात्रा सहित केन्द्र एवं राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।