परियोजना का कार्य प्रारम्भ/पूर्ण होने संबंधी आवश्यक क्लीयेरेन्स प्राप्त करना आवश्यक
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में निर्माणाधीन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में टाइम/काॅस्ट ओवर रन को नियंत्रित करने की व्यवस्था की है। अब परियोजना का कार्य प्रारम्भ करने से पहले सभी आवश्यक क्लीयेरेन्स पर्यावरण तथा वन विभागों/संस्थाओं से प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही धन की उपलब्धता भी सुनिश्चित करना जरूरी होगा।
वित्त विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार निर्माणाधीन परियोजनाओं की मूल लागत/पूर्ण होने की अवधि में विभिन्न कारणों से वृद्धि होने के परिणाम स्वरूप यहां सरकार के संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वहीं जनमानस को परियोजना का लाभ ससमय नहीं मिल जाता है।
वित्त विभाग द्वारा समस्त अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों तथा सचिवों से अपेक्षा की गई है कि परियोजना की डी0पी0आर0 का गठन अद्यतन उपलब्ध सेड्यूल्ड आॅफ डेट के आधार पर किया जाए। इसके साथ ही परियोजना हेतु भूमि की लागत को डी0पी0आर0 में शामिल किया जाए। यदि उपलब्ध भूमि निःशुल्क है तो उसका उल्लेख भी डी0पी0आर0 में किया जाना आवश्यक होगा। परियोजना की अवधि 01 वर्ष से अधिक होने पर प्रतिवर्ष मुद्रास्फीति का संज्ञान लेकर ही डी0पी0आर0 तैयार की जाए।
परियोजना की डी0पी0आर0 में (जीरो डेट) परियोजना प्रारम्भ होने तथा परियोजना के पूर्ण होने की तिथि आदि का भी उल्लेख करना आवश्यक होगा। परियोजना की डी0पी0आर0 अनुमोदित होने एवं तकनीकी स्वीकृति जारी होने के बाद ही परियोजना की वित्ततीय स्वीकृति दी जायेगी। विभागों द्वारा कार्यदायी संस्था के माध्यम से निर्माण कार्य कराये जाने की दशा में परियोजना की डी0पी0आर0 में वर्णित प्राविधानों के साथ एम0ओ0यू0 किया जायेगा। कार्यदायी संस्था द्वारा निर्धारित शर्तों के तहत कार्य पूर्ण न करने की दशा में पेनाल्टी का प्रावधान भी एम0ओ0यू0 में उल्लिखित करना आवश्यक होगा।
वित्त विभाग के अनुसार परियोजना के डिजाइन एवं विशिष्टताओं में सामान्यतः कोई परिवर्तन नहीं होगा। अपरिहार्य परिस्थितियों में यदि परिवर्तन आवश्यक हो जाता है तो वित्त विभाग से अनुमोदन प्राप्त करना होगा। प्रत्येक विभाग द्वारा अपने विभाग के अन्तर्गत संचालित समस्त परियोजनाओं का पूर्ण विवरण जैसे-परियोजना का नाम, लागत, कार्य प्रारम्भ/पूर्ण होने की तिथि, भौतिक प्रगति, परियोजना पर अद्यतन व्यय, आज का विवरण विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रत्येक माह की 15 तारीख तक अपडेट करना आवश्यक कर दिया गया है।