मत्स्य पालन का स्टेट एक्शन प्लान शीघ्र बनाया जाए -सचिव भारत सरकार
अगले दो वर्षों में हर ब्लाक में कम से कम एक हैचरी स्थापित किये जाने पर बल
प्रदेश के मत्स्य एवं पशुधन विभाग के प्रमुख सचिव श्री सुधीर एम. बोबड़े ने कहा है कि मत्स्य पालन के लिए केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य किये जा रहे हैं। प्रदेश में उपलब्ध संसाधनों का सुनियोजित तरीके से उपयोग करके कम क्षेत्रफल में अधिक मत्स्य उत्पादन करने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मत्स्य योजनाओं को और बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए दिशा-निर्देश दिये गये हैं।
श्री बोबड़े आज यहां कृषि निदेशालय के सभाकक्ष में मत्स्य विभाग के कार्यों तथा योजनाओं की समीक्षा के लिए भारत सरकार के सचिव, मत्स्य पशुधन एवं दुग्ध विकास श्री देवेन्द्र चैधरी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मत्स्य विकास कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से संचालित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये गये हैं। साथ ही मत्स्य पालकों को आवश्यक सुविधायें मुहैया कराये जाने की व्यवस्था की गई है।
बैठक में प्रमुख सचिव मत्स्य एवं पशुधन श्री सुधीर एम. बोबड़े ने विभागीय अधिकारियों को भारत सरकार की योजनाओं को समयवद्ध रूप से पूरा करने के लिए शीघ्र ही स्टेट एक्शन प्लान बनाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मनरेगा योजनान्तर्गत तालाबों का सर्वे कराया जाए, जिससे पिछले 3 सालों की सूचनाएं एकत्र कर मत्सय उत्पादन के लिए अग्रिम योजना तैयार की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद जैसे मैट्रो शहरों के आस-पास के छोटे जिलों को चिन्हाकित कर वहां पर उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जाय। साथ ही ब्लाकों में मत्स्य की प्रजाति को ध्यान में रखकर ही हैचरियां बनाई जाए। बुन्देलखण्ड जैसी जगहों पर केज कल्चर और पूर्वी क्षेत्रों में पाॅन्ड कल्चर को बढ़ावा दिया जाये। स्टेट एक्शन प्लान बनाते समय गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाए।
भारत सरकार के सचिव, मत्स्य, पशुधन एवं दुग्ध विकास श्री देवेन्द्र चैधरी ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों से कहा कि मत्स्य बीज के लिए अब नये तालाब न खुदवायें जाए, बल्कि मनरेगा के छोटे तालाबों और ग्राम पंचायत के छोटे तालाबों का मत्स्य बीज की नर्सरी के रूप में उपयोग किया जाए। इससे कम समय और कम संसाधनों में पर्याप्त मात्रा में फिंगरलिंग तैयार हो जाएंगी। मत्स्य बीज के उत्पादन में तेजी से वृद्धि के लिए तालाबों को चिन्हित किया जाए और बड़े तालाबों को बड़ी मछलियांे को पालने के लिए प्रयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि उ0प्र0 में 824 ब्लाकों के सापेक्ष मात्र 225 हैचरियां हैं, जो कि बहुत कम हैं। अगले 02 साल में प्रदेश के हर ब्लाक में कम से कम एक हैचरी अवश्य स्थापित की जानी चाहिए। जिसमें 70 मिमी0 के फिंगरलिंग उत्पादन किया जा सके।
श्री चैधरी ने प्रमुख सचिव से अपेक्षा की कि मत्स्य विकास कार्यक्रम के लिए जो संसाधन सुलभ हैं उनका बेहतर ढंग से इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाए तथा स्टेट एक्शन प्लान तैयार करते हुए निर्धारित लक्ष्यों को पूर्ण किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे संवेदनशीलता के साथ मत्स्य विकास कार्यक्रमों के लिए उद्देश्यों और लक्ष्यों को ध्यान में रखकर योजनाएं तैयार करें। उन्होंने कहा कि कार्य योजना इस प्रकार बनायी जाय कि इसका लाभ मछुआ समुदाय एवं गरीब वर्ग को सहजता से मिल सके। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत ही निषादराज मछुआ गुहा योजना के लाभार्थियों को लाभान्वित किया जाए और इसके लिए जिलाधिकारी और डी.एफ.ओ. के साथ मिलकर योजना क्रियान्वित की जाए। साथ ही भारत सरकार की मुद्रा योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाया जाए।
समीक्षा बैठक में मत्स्य विभाग द्वारा अब तक किये गये कार्यों एवं योजनाओं की समीक्षा एवं प्रगति विवरण की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। बैठक में मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक श्री एस.के. सिंह एवं मण्डलीय, जनपदीय अधिकारी एवं अन्य वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।