ऐसे निर्मित मांझे का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध अधिनियम में निहित प्राविधानों के तहत दण्डित कराया जाये, ताकि कोई अप्रिय घटना कतई न होने पाये: राहुल भटनागर
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री राहुल भटनागर ने प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्तों, जिलाधिकारियों एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिये हैं कि मा0 उच्च न्यायालय एवं मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित कराते हुये यह प्रत्येक दशा में सुनिश्चित कराया जाये कि प्रदेश के समस्त ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में पतंग उड़ाने हेतु सिन्थेटिक मांझा/सीसा लेपित/नायलान पतंग डोरी (जिसे चायनीज मांझा भी कहते हैं) का निर्माण, भण्डारण एवं बिक्री कतई न होने पाये। उन्होंने कहा कि संभावित दुर्घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुये ऐसी निर्मित सामग्री के उपयोग पर प्रतिबंध के आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये।
मुख्य सचिव आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में ऐसे निर्मित मांझे के प्रयोग पर लगाये गये प्रतिबंध का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने हेतु विभागीय अधिकारियों की बैठक कर निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे निर्मित मांझे का प्रयोग करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 में निहित प्राविधानों के अनुसार दण्डनीय अपराध है और अवज्ञा करने पर ऐसे व्यक्तियों को अधिकतम 05 वर्ष तक कारावास अथवा अर्थदण्ड अथवा दोनों का प्राविधान अधिनियम में है। उन्होंने कहा कि ऐसे मांझे का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध अधिनियम के तहत कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करायी जाये, ताकि कोई अप्रिय घटना कतई न होने पाये।
बैठक में अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण श्री संजीव सरन, सचिव गृह श्री मणि प्रसाद मिश्रा, विशेष सचिव पर्यावरण डाॅ0 रुपेश कुमार, विशेष सचिव वन श्री आशीष तिवारी, सदस्य सचिव उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डाॅ0 राजीव उपाध्याय सहित सम्बन्धित विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।