Categorized | लखनऊ.

पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 की अध्यक्षता में पुलिस अधिकारियों की बैठक, उ0प्र0 पुलिस के लिये कार्ययोजना तैयार की गयी

Posted on 06 June 2017 by admin

आज दिनांक 05-06-2017 को पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 श्री सुलखान सिंह की अध्यक्षता में मुख्यालय पर बैठक हुई जिसमें मुख्यालय में नियुक्त समस्त अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, अपर पुलिस महानिदेशक, अभिसूचना एवं जोनल अपर पुलिस महानिदेशक/पुलिस महानिरीक्षक सम्मिलित हुए। बैठक में उ0प्र0 पुलिस के लिये कार्ययोजना तैयार की गयी है जिसमें निम्न निर्णय लिये गये:-
    पुलिस अधिकारी जो स्थानान्तरण नीति के विरूद्ध जनपदों में तैनात हैं, उन्हें तत्काल हटाकर नियमानुसार तैनात किया जाये ।
    लम्बे समय से एक ही क्षेत्र/रेन्ज/जोन में तैनात उप निरीक्षक/निरीक्षक को दूर तैनात किया जाये ।
    अपराधों में शामिल या अपराधियों से सम्बन्ध रखने वाले पुलिस कर्मियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की जाये एवं इन्हें दूर स्थानान्तरित किया जाये ।
    जनपदों/जीआरपी में सट्टा, जुआ तथा अवैध शराब के विरूद्ध सघन अभियान चलाकर रोक लगाई जाये। आदतन अपराधियों के विरूद्ध गिरोह बन्द की कार्यवाही की जाये। शिथिल/असफल थाना प्रभारी/चैकी प्रभारी/पुलिस उपाधीक्षक के विरूद्ध कार्यवाही की जाये ।
    सार्वजनिक स्थानों एवं सड़कों पर यातायात अनुशासन तत्काल सुनिश्चित किया जाये । गलत नम्बर प्लेट, हूटर-सायरन, लाल-नीली बत्तियां, झण्डे, तख्तियां इत्यादि लगाने पर रोक लगाई जाये। सीट बेल्ट लगाना, हेलमेट पहनना सुनिश्चित किया जाये। काली फिल्में हटवायी जायें।
    यातायात पुलिस चुस्त-दुरूस्त, स्मार्ट वर्दी में रहे । यातायात पुलिस द्वारा वाहनों से पैसा वसूली पर तत्काल रोक लगाई जाये ।
    चैराहों से 25 मीटर तक किसी तरह के ठेले/वाहन इत्यादि खड़े न होने दिये जायें ।
    माफिया एवं अन्य प्रभावशाली अपराधियों की सूची बनाकर उनके विरूद्ध सख्त वैधानिक कार्यवाही की जाये । इनके विरूद्ध विवेचनाधीन मामलों में गहनता से विवेचना कराकर आरोप पत्र प्रेषित किया जाये । इनके जमानतियों का सत्यापन कराया जाये ।

    न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों में सघन पैरवी कराकर प्रकरणों को समयबद्ध ढंग से अन्तिम परिणाम तक पहुंचाया जाये ।
    जमानत पर छूटे हुए माफिया और गिरोहबन्द अपराधियों की जमानतें निरस्त करायी जायें।
    नकबजनी, चेन स्नेचिंग तथा लुटेरों/डकैतों के गिरोहों को चिन्हित करके उनके विरूद्ध अभियान चलाया जाये।
    बाजारों, माॅल्स, सार्वजनिक स्थानों, पार्कों इत्यादि में सादी वर्दी में महिला एवं पुलिस अधिकारियों के स्क्वाड तेैनात किये जाय, महिला/लड़कियों से छेड़छाड़ रोकने व अन्य अवांछित गतिविधि में लिप्त लोगों के विरूद्ध कार्यवाही करे ।
    क्षेत्र के समस्त शत्रुता एवं विवादों को चिन्हित कर रजिस्टर में दर्ज किया जाये। विवादों को हल कराया जाये तथा आवश्यकता पड़ने पर निरोधात्मक कार्यवाही करायी जाये, जिससे बलवा/हत्या इत्यादि की घटना न हो सके ।
    जमीनों पर कब्जा करने वालों की सूची बनायी जाये। विगत पांच वर्षों में जमीनों/प्लाॅटों पर कब्जा करने वालों की सूची बनाकर उनके विरूद्ध सख्त वैधानिक कार्यवाही की जाये ।
    हिस्ट्रीशीटरों, नकबजनों, वाहन चोरों, चेन स्नेचर्स इत्यादि की निगरानी सख्ती से की जाये। इनके जमानतदारों का सत्यापन कराया जाय एवं उचित कार्यवाही की जाये।
    भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर निगरानी रखी जाये, ताकि कोई आतंकवादी घटना न हो सके। वहां के दुकानदारों इत्यादि का सहयोग प्राप्त किया जाय ताकि कोई संदिग्ध गतिविधि होने पर तत्काल सूचना मिल सके ।
    कम्युनिटी पुलिसिंग पर जोर दें। अधिकारी जन सहयोग प्राप्त करें । जन सम्पर्क तेज किया जाये।
    स्थानीय सहयोग से सीसीटीवी/चैकीदार इत्यादि की व्यवस्था करायी जाये।
    गोवध एवं गोवध के लिए गोवंश के परिवहन पर सख्ती से रोक लगायी जाये। ऐसे अपराधियों के विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम/गिरोहबन्द अधिनियम के अन्तर्गत कार्यवाही की जाये।
    सड़कों पर पुलिसजन/होमगार्ड द्वारा वाहनों से वसूली रोकी जाये।
    आने वाले त्योहारों के बारे में अभी से अध्ययन कर लिया जाये एवं किसी भी विवादित बिन्दु को हल कराया जाये। आवश्यकतानुसार निरोधात्मक कार्यवाही की जाये ।
    नोएडा एवं गाजियाबाद के जनपदों की पुलिसिंग सीमावर्ती दिल्ली से बेहतर बनायी जाये।
निम्नलिखित बिन्दुओं पर खास ध्यान दिया जाये:-
1-    यातायात अनुशासन
2-    पुलिसजनों का यूनीफार्म/टर्न आउट
3-    पुलिस के वाहन अच्छी दशा में हों
4-    बाहर से आने वालों की उचित सहायता एवं मार्गदर्शन किया जाये

    जी.आर.पी. द्वारा स्टेशनों पर अनुशासन एवं व्यवस्था कायम की जाये। अवैधानिक रूप से चल रहे वेन्डरों इत्यादि को बाहर किया जाये। अधिक समय से जीआरपी में तैनात अधिकारियों/कर्मचारियों को हटाया जाये। ट्रेन स्कोर्ट प्रभावी बनाया जाये । आर.पी.एफ. के साथ सामन्जस्य स्थापित करके रेलगाड़ियों में अपराधियों पर अंकुश लगाया जाये ।
    प्रत्येक जेल के बाहर पुलिस पोस्ट बनायी जाये,जो अपराधियों से मिलने वालों तथा छूटने वाले अपराधियों पर भी नजर रखें । सीसीटीवी लगाकर अपराधियों के आवागमन पर निगरानी रखी जाये ।

    सभी पुलिस अधीक्षक/डीआईजी/आईजी/एडीजी जोन प्रतिदिन पूर्वान्ह में 10ः00 बजे से 13ः00 बजे तक अपने कार्यालय में अवश्य बैठें । वहां पर कार्यालय के कार्यों को निपटायेंगे तथा नागरिकों से मुलाकात करके उनकी शिकायतों का निस्तारण करेंगे। नागरिकों की शिकायतों के निराकरण पर पूरी गम्भीरता एवं तत्परता बरती जाये।
    पुलिस अधीक्षक प्रत्येक शुक्रवार को परेड पर अवश्य जायें। इस दिन वे पूरी पुलिस लाइन का भ्रमण करके वहां की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त बनायें । अभिलेखों का निरीक्षण हो । शस्त्रागार की चेकिंग की जाये। अर्दली रूम नियमित रूप से संचालित किया जाये।
    थानों के निरीक्षण, क्षेत्र भ्रमण/रात्रि विश्राम पूर्ववत कड़ाई से किये जायंे ।
    पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों की परेशानियों/शिकायतों का निराकरण पुलिस अधीक्षक प्राथमिकता के आधार पर करें। विशेष तौर पर अवकाश, ड्यूटी से विश्राम, भोजन, शौचालय, स्नानागार, आवास की व्यवस्था, चिकित्सा की व्यवस्था तथा परिवार कल्याण के मामले गहराई से देखकर उनका निराकरण कराया जाये।
    थानाध्यक्ष/प्रतिसार निरीक्षक ड्यूटी स्वयं निकालें। थानाध्यक्ष थाने का मासिक निरीक्षण, दैनिक मुआयना मालखाना एवं नक्शा नौकरी खुद लिखें। थाने के प्रशासन पर थानाध्यक्ष का गहन पर्यवेक्षण होना चाहिए । ड्यूटियां लगाने का काम हेड मोहर्रिर/गणना मुन्शी को न सौंपा जाये।
    गश्त/पिकेट जैसी दैनिक ड्यूटियों मेें जाने से पूर्व अधिकारियों/कर्मचारियों की थाना प्रभाारी द्वारा स्पष्ट ब्रीफिंग की जाये। स्थायी ड्यूटी/लम्बे समय तक चलने वाली ड्यूटी जैसे गार्ड, पिकेट इत्यादि के लिखित स्थायी आदेश दिये जायें।
    अभियुक्तों/बन्दियों के स्कोर्ट के सम्बन्ध में बन्दी की प्रकृति के अनुसार स्पष्ट निर्देश/लिखित स्थायी आदेश दिये जायें।
    कचेहरी/लाॅक-अप ड्यूटियां तीन-चार माह में बदल दी जायें। किसी भी बन्दी के साथ बार-बार वही कर्मचारी न भेजे जायें। इन्हें हर बार बदल दिया जाये।
    किसी जांच/चरित्र सत्यापन/पासपोर्ट/लाइसेन्स प्रार्थना पत्र में सामान्यतया एक सप्ताह में रिपोर्ट लगा दी जाये। विलम्ब करने पर सख्त कार्यवाही की जाये।
    प्रत्येक एन.सी.आर. की जांच तीन दिन में करके उपयुक्त कार्यवाही की जाये। आक्रामक पक्ष के विरूद्ध ही कार्यवाही की जाये।
    टेम्पो/रिक्शा/आॅटो में ओवरलोडिंग/अधिक सवारी बैठने पर रोक लगायी जाये ।

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in