राज्यपाल ने कविता संग्रह ‘प्रवासी पुत्र’ का लोकार्पण किया

Posted on 03 June 2017 by admin

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन के गांधी सभागार में पूर्व महापौर डाॅ0 दाऊजी गुप्ता के पुत्र डाॅ0 पदमेश गुप्ता के कविता संग्रह ‘प्रवासी पुत्र’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, पूर्व महापौर डाॅ0 दाऊजी गुप्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एस0पी0 सिंह, प्रकाशक श्री अवनीश माहेश्वरी सहित अन्य गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन चेतना साहित्य परिषद द्वारा राजभवन में किया गया था।

aks_8097इस अवसर पर राज्यपाल ने डाॅ0 पदमेश को शाल, पुष्प गुच्छ व अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ की हिंदी प्रति देकर सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि डाॅ0 पदमेश लंदन में रहते हैं तथा उन्होंने लंदन में हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिये अनेक सराहनीय कार्य किये हैं तथा कई हिंदी सम्मेलन व संगोष्ठियों का आयोजन भी किया है।
पुस्तक के विमोचन के उपरान्त राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि डाॅ0 पदमेश को कई भाषाओं पर अधिकार है। हाल में ही राष्ट्रपति भवन में उनका सम्मान किया गया था। उनके सम्मान से उनके पूर्व शिक्षण संस्थान लखनऊ विश्वविद्यालय तथा लामार्टिनियर कालेज का भी गौरव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अपने घर में सम्मान मिलता है तो उसकी खुशी की बात ही कुछ और होती है।
श्री नाईक ने कहा कि विदेशों में रहकर ‘हिंदी क्या है’, बताना बड़ा काम है। डाॅ0 पदमेश ने कई वर्षों तक अनेक हिंदी पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। विदेशों में रहकर हिंदी को प्रोत्साहित करना वास्तव में राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान प्रकट करना है। डाॅ0 पदमेश ने विदेश में हिंदी के विकास के लिये व्यक्ति नहीं संस्था के रूप में कार्य किया है। उन्होंने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक को उद्धृत करते हुये कहा कि जीवन में निरंतर चलते रहना ही सफलता का मूल मंत्र है।
उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि डाॅ0 दाऊजी गुप्ता लखनऊ के महापौर रहे हैं। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। डाॅ0 पदमेश, डाॅ0 दाऊजी के पुत्र हैं और जब संतान आगे बढ़ती है तो माता-पिता को खुशी होती है। उन्होंने डाॅ0 पदमेश द्वारा लंदन में की जा रही हिंदी सेवा की सराहना की।
कार्यक्रम में डाॅ0 दाऊजी गुप्ता ने भी अपने विचार रखे तथा डाॅ0 पदमेश ने अपने काव्य संग्रह ‘प्रवासी पुत्र’ से दो कवितायें सुनाकर लोगों को भाव विभोर कर दिया। इससे पूर्व डाॅ0 उषा ने काव्य संग्रह ‘प्रवासी पुत्र’ पर संक्षिप्त प्रकाश डाला।

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