उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, लखनऊ में नवनिर्मित प्रशासनिक भवन, छात्रावास एवं अतिथि गृह का लोकार्पण किया। लोकार्पण समारोह में उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, कुलपति डाॅ0 खान मसूद, शिक्षक व छात्रगण सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
राज्यपाल ने महान सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि ‘थ्री इन वन’ लोकार्पण कार्यक्रम के माध्यम से लगता है कि विश्वविद्यालय के अच्छे दिन प्रारम्भ हो रहे हैं। यह शाश्वत सत्य है कि छात्रों की ‘परफारमेंस’ से विश्वविद्यालय पहचाना जाता है। शिक्षण संस्थानों की सबसे बड़ी उपलब्धि उनके द्वारा तैयार किये गये सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी ही होते हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों को अध्ययन में सुविधा प्रदान करना महत्व की बात है तथा इससे छात्रों में गुणात्मक सुधार होगा।
श्री नाईक ने कहा कि उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रदेश है। आबादी के लिहाज से विश्व के चार देश केवल उत्तर प्रदेश से बड़े हैं। 2025 तक भारत सबसे युवा देश होगा। युवा हमारे देश की पूंजी हैं जिन्हें अच्छे ढंग से शिक्षित करना शिक्षण संस्थाओं का दायित्व है। देश को आगे बढ़ाने के लिये युवाओं को शिक्षित करके उचित मार्गदर्शन देना होगा। उचित मार्गदर्शन न मिलने से युवा देश के लिये ‘लाईबिलिटी’ बन सकते हैं। उन्होंने ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक को उद्धृत करते हुये निरन्तर आगे बढ़ते रहने को ही जीवन का सार बताया।
उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि राज्यपाल उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये प्रयासरत हैं। उनके कुशल निर्देशन में गंभीर चर्चा हुयी है। शीघ्र ही विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पद भरे जायेंगे एवं नये पदों का सृजन होगा। शिक्षकों की पदोन्नति पर विचार करते हुये विसंगतियों को दूर करने के लिये अधिनियम में आवश्यकतानुसार संशोधन भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि आवश्यक संशोधन के लिये एक समिति भी गठित की जा रही है।
डाॅ0 शर्मा ने कहा कि ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय का मकसद केवल भाषायी ज्ञान देना नहीं है। विश्वविद्यालय अपनी आवश्यकता के अनुसार अपनी प्राथमिकतायें तय करे। शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को आधुनिक शिक्षा देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास हो। ऐसे लोगों के लिये निःशुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिये ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों की भी जानकारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि अच्छा शिक्षक कई पीढ़ी को शिक्षा देता है।
कुलपति खान मसूद खान ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि विश्वविद्यालय की जो भी समस्याएं हैं उनके निस्तारण के लिये राज्यपाल एवं शासन स्तर पर वार्ता कर शीघ्र ही रास्ता निकाला जायेगा। लोकार्पण समारोह का समापन कुलसचिव श्री एस0के0 शुक्ला द्वारा धन्यवाद ज्ञापित कर किया गया।