वर्तमान समय में रोगों की चिकित्सा के साथ-साथ रोगी की स्वास्थ्य रक्षा करना भी महत्वपूर्ण कार्य है। स्वास्थ्य सभी की आवश्यकता है तो भी छोटे-छोटे प्रभावी प्रकल्प स्वास्थ्य रक्षा के अच्छे प्रेरणा केन्द्र बनते हैं। यही कार्य सामाजिक स्तर पर अगर किसी एक नगर में विकसित हो जाये तो वहाॅ पर एक अच्छा स्वास्थ्यवर्धक वायुमंडल चर्चा का विषय बन जाता है। इसी भाव को ध्यान में रख कर आयोग्य भारती आगामी छः माह में सुनियोजित प्रयास करते हुए पूरे देश भर में विशेषकर उत्तर प्रदेश में कार्य की योजना बना रही है। यह विचार आरोग्य भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा0 बी0एन0 सिंह ने व्यक्त किये।
आरोग्य भारती के तत्वाधान में माधव सभागार सरस्वती कुंज, निराला नगर में सम्पन्न हुई क्षेत्रीय बैठक में 35 जिलों के कार्यकर्ताओं के मध्य योजना बनायी गयी। वर्तमान में 23 जिलों में सूर्य नमस्कार के नियमित प्रकल्प चल रहे हैं। वहीं मधुमेह योग प्रबन्धन का कार्य 20 जिलों में, 19 जिलों के एक-एक ग्राम को स्वस्थ बनाने का कार्य चला रहा है। विगत छः माह में 40 स्थानों पर चिकित्सक सम्मलेन हुए जिसमें 2153 चिकित्सकों ने सहभागिता दी और 35 जिलों में स्वास्थ्य प्रबोधन के कार्यक्रम सम्पन्न हुए। बैठक में विगत 6 माह में सम्पन्न कार्यक्रमों के वृत एवं बांदा, कानपुर और काशी के विशेष वृत्त के साथ-साथ आगामी 6 माह के लिए भी योजना बनाई गई। कार्य को व्यवस्थित करने के लिए संगठनात्मक सत्र में सभी जिलों में मासिक बैठक करके व्यवस्थित करने का संकल्प लिया गया।
आरोग्य भारती, अवध प्रान्त के उपाध्यक्ष एवं किंग जाॅर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एम0 एल0 बी0 भट्ट ने अपने सम्बोधन में कहा भारत गांवों में बसता है किन्तु ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य की स्थिति आज भी अच्छी नहीं है। इक्कीसवी सदी में भी लोग ज्वर, अतिसार जैसी सहज साध्य व्याधियों से तथा आर्थिक विषमता, अंधविश्वास एवं अशिक्षा के कारण अकाल मौत के मुँह में समाते जा रहे हैं। हर व्यक्ति एवं समाज इतना जागरूक, शिक्षित एवं साधन सम्पन्न हो कि वह स्वयं इन समस्याओं का समाधान कर सके। और आरोग्य भारती इस कार्य के लिये सतत प्रत्यनशील है।
राष्ट्रीय संगठन सचिव डाॅ0 अशोक वार्ष्णेय जी ने कहा कि पूरे देश के सभी राज्यों में आरोग्य भारती की सक्रिय इकाईयाॅ कार्यरत हैं 500 से अधिक जिलों में नियमित 2147 प्रकल्प स्वास्थ्य जागरण के कार्य में सक्रिय हैं विगत वर्ष में 2000 स्थानों पर अलग-अलग विषयों के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी हुए हैं।