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जनप्रतिनिधियों को जनता इसलिए चुनकर भेजती है कि वे उनकी समस्याओं का शीघ्र निराकरण कराकर जन-जीवन को सुगम बनायें जिससे देश, प्रदेश और पूरे समाज की प्रगति हो

Posted on 04 May 2017 by admin

  • जनप्रतिनिधियों को जनता की अपेक्षाओं का तर्कपूर्ण विश्लेषण करते हुए उन पर खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए: लोक सभा अध्यक्ष
  • सदन के सुचारु संचालन के लिए जनप्रतिनिधियों को संसदीय परम्पराओं, नियमावलियों का ज्ञान होना चाहिए
  • जनप्रतिनिधि निष्ठा से कार्य करते हुए संसदीय परम्पराओं व  अपनी जिम्मेदारियों का भलीभांति निर्वहन करें
  • उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ एक कर्मयोद्धा हैं
  • संन्यास का अर्थ सब कुछ छोड़ना नहीं है, श्री योगी ने कर्म से संन्यास नहीं लिया है
  • लोक सभा के अपने कार्यकाल के दौरान मैंने लोक सभा अध्यक्ष से बहुत कुछ सीखा: मुख्यमंत्री
  • श्रीमती महाजन ने हमेशा नये लोक सभा सदस्यों की चिन्ता की, ताकि उन्हें संसदीय परम्पराओं, नियमों इत्यादि की जानकारी हो सके
  • लोक सभा अध्यक्ष का मार्गदर्शन उ0प्र0 विधान सभा को मिलता रहेगा: मुख्यमंत्री

लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को जनता इसलिए चुनकर भेजती है कि वे उनकी समस्याओं का शीघ्र निराकरण कराकर जन-जीवन को सुगम बनायें जिससे देश, प्रदेश और पूरे समाज की प्रगति हो। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को जनता की अपेक्षाओं का तर्कपूर्ण विश्लेषण करते हुए उन पर खरा उतरने का प्रयास करना चाहिए। सदन को चलाने के लिए सभी जनप्रतिनिधियों को संसदीय परम्पराओं, नियमावलियों इत्यादि का समुचित ज्ञान होना चाहिए, तभी इसे भलीभांति चलाया जा सकता है।
sumita-mahajanश्रीमती महाजन ने यह विचार आज यहां विधान सभा के तिलक हाॅल में उत्तर प्रदेश विधान सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये।
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि नये विधान सभा सदस्यों के लिए यह आवश्यक है कि वे विधान सभा के नियमों को पढ़ें और नियमावली का अध्ययन करें। संसदीय परम्पराओं को समझने के लिए इन्हें पढ़ना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नये सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए सही बिन्दुओं का चुनाव आवश्यक है।
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि जनप्रतिनिधि पूरी निष्ठा से काम करें और संसदीय परम्पराओं के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारियों का भलीभांति निर्वहन करें। जनप्रतिनिधियों को संसदीय संस्थाओं को बेहतर ढंग से चलाने की दिशा में लगातार चिन्तन करते रहना चाहिए। उन्हें अच्छे भाषण सुनने चाहिए और अपना काफी समय पुस्तकालय में अध्ययन करने में व्यतीत करना चाहिए, ताकि उन्हें संसदीय नियमों और परम्पराओं का भलीभांति ज्ञान हो सके। प्रत्येक जनप्रतिनिधि को संसदीय संस्थाओं पर आस्था रखनी चाहिए और इन संस्थाओं का कैसे निर्माण हुआ इसकी जानकारी होनी चाहिए। जनप्रतिनिधियों को जनाकांक्षाओं को ठीक से समझने का प्रयास करना चाहिए और ऐसे कार्याें को करने से मना कर देना चाहिए, जो ठीक न हों। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनप्रतिनिधि को मौके पर ‘ना’ बोलना आना चाहिए।
श्रीमती महाजन ने कहा कि प्रत्येक जनप्रतिनिधि को पारदर्शिता तथा स्पष्टता से काम करना चाहिए। विधायक बनने के बाद सदन में बोलने से पहले विषय की जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए सदन की पूर्व की कार्रवाइयों को पढ़ना चाहिए, विषय का अभ्यास करना चाहिए। लोक सभा के नवनिर्वाचित सदस्यों को संसदीय परम्पराओं, नियमों इत्यादि की जानकारी देने के लिए विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि विषय विशेषज्ञों से चर्चा करके विधान सभा में होने वाली चर्चाओं का स्तर सुधारा जा सकता है।
लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि विधान सभा के कामकाज को सुचारु रूप से चलाने के लिए जनप्रतिनिधियों को सोच-समझकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को अपने-अपने कार्य क्षेत्र चुनने की सलाह देते हुए विषय का गहन अध्ययन करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि अपने कार्यकलापों को जनता और कार्यकर्ताओं से शेयर करें। जनता द्वारा चुने गये विधायकों को ‘जनप्रतिनिधि’ बनने की आवश्यकता है, न कि नेता बनने की। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने प्रचण्ड बहुमत देकर जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। ऐसे में जनाकांक्षाओं पर खरा उतरना एक बहुत बड़ी चुनौती होगी।
श्रीमती महाजन ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ एक कर्मयोद्धा हैं। उन्होंने कहा कि संन्यास का अर्थ सब कुछ छोड़ना नहीं है। श्री योगी ने कर्म से संन्यास नहीं लिया है। उत्तर प्रदेश को श्री योगी के रूप में एक कर्मठ मुख्यमंत्री मिला है, जो राज्य को विकसित कर इसे अग्रणी बनाने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि 5 वर्ष का समय ज्यादा नहीं होता है। ऐसे में विपक्ष का सहयोग लेते हुए तेजी से काम करना होगा। उन्होंने विपक्ष द्वारा अपनी जिम्मेदारी भलीभांति निभाने की आवश्यकता पर बल दिया।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने लोक सभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने लोक सभा के अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। लोक सभा अध्यक्ष सदन पर प्रभावी नियंत्रण रखते हुए उसका भलीभांति संचालन करती हैं। उनके नेतृत्व में लोक सभा नयी ऊचाइयों पर पहुंच गयी है और इसकी कार्रवाई में 125 प्रतिशत कार्य का रिकाॅर्ड स्थापित हो चुका है। स्पष्ट है कि उनके नेतृत्व में लोक सभा का कार्यकाल अविस्मरणीय बन चुका है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में लोक सभा अध्यक्ष का पद संभालने के बाद से श्रीमती महाजन ने हमेशा नये लोक सभा सदस्यों की चिन्ता की, ताकि उन्हें संसदीय परम्पराओं, नियमों इत्यादि की जानकारी हो सके। लोक सभा अध्यक्ष हमेशा नये सदस्यों को सदन में बोलने का मौका देती हैं, ताकि वे जनता के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा पूरे उत्साह के साथ जनता की सेवा करने के लिए आगे बढ़ रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में लोक सभा अध्यक्ष का मार्गदर्शन उत्तर प्रदेश विधान सभा को मिलता रहेगा। श्रीमती महाजन का व्यावहारिक ज्ञान हम सबके लिए लाभकारी साबित होगा और उत्तर प्रदेश की जनता को उनके अनुभवों का लाभ मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि यह प्रयास रहेगा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा कम से कम 90 दिन अवश्य चले। विधान सभा का सुचारु संचालन हम सबके लिए आवश्यक है।
विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री श्री सुरेश खन्ना सहित बड़ी संख्या में नवनिर्वाचित विधायकगण मौजूद थे।

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