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दीक्षान्त शिक्षा का अंत नहीं - राज्यपाल

Posted on 25 April 2017 by admin

केन्द्रीय दिव्यांग विश्वविद्यालय भी होना चाहिये - प्रकाश जावडेकर

दिव्यांगों के विकास के लिये प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है - ओम प्रकाश राजभर

upgov-ram-nyakउत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज डाॅ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षान्त समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक तथा कुलाध्यक्ष पदक, मुख्यमंत्री पदक, श्री मुलायम सिंह यादव स्वर्ण पदक, आलोक तोमर स्वर्ण पदक, डाॅ0 शकुंतला मिश्रा स्मृति स्वर्ण पदक, अमित मित्तल तथा रोहित मित्तल स्मृति स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर, विशिष्ट अतिथि के रूप में दिव्यांग जन सशक्तीकरण विभाग उत्तर प्रदेश के मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर, कुलपति डाॅ0 निशीथ राय तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह सहित गणमान्य नागरिक एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित थे। राज्यपाल ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अटल प्रेक्षागृह के शिलापट्ट का अनावरण किया तथा ई-मैगजीन व स्मारिका ‘संबल’ का लोकार्पण भी किया।
राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र जीवन के सुंदर पड़ाव पर आ पहुंचें हैं। जीवन की कड़ी स्पर्धा में प्रमाणिकता और कठोर मेहनत के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करें। दीक्षान्त के समय ली गई शपथ को जरूर याद रखें। इस बात का ध्यान रहे कि आपको माता पिता और गुरूजनों ने जो ज्ञान दिया है उसके बल पर आप खुले आकाश में उड़ने के लायक हुये हैं। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त शिक्षा का अंत नहीं है। किताबी शिक्षा का अंत हो सकता है किन्तु आगेे जीवन में सीखने के लिये बहुत कुछ बाकी है।
श्री नाईक ने डाॅ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय द्वारा विकलांगजनों के पुनर्वास हेतु किये जा रहे प्रयासों की सराहना की। दीक्षान्त समारोह में 47 प्रतिशत लड़कों को तथा 53 प्रतिशत लड़कियों को उपाधियाँ प्रदान की गयी हैं। पदक प्राप्त करने वाली छात्राओं की प्रशंसा करते हुये उन्होंने कहा कि पदक प्राप्त करने में 28 लड़कियाँ हैं और मात्र 9 लड़के हैं अर्थात् 76 प्रतिशत पदक लड़कियों को और 24 प्रतिशत पदक लड़कों को मिले हैं। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के साथ-साथ विश्वविद्यालय में महिलाओं का भी सशक्तीकरण हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी राज्य विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह समय से पूरे हो गये हैं।
राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि प्रेक्षागृह का नाम पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है। श्री अटल जी में सबको साथ लेकर चलने की क्षमता है। उनका व्यक्तित्व अद्भुत है। राज्यपाल ने 1994 में कैंसर रोग से पूर्णतया स्वस्थ होने पर अटल जी की बात को याद करते हुये बताया कि उन्होंने कहा कि ‘बोनस में मिले जीवन को समाज की सेवा में लगाना चाहिये।’ राज्यपाल ने छात्रों को व्यक्तित्व विकास एवं जीवन में सफलता पाने के चार मंत्र बताते हुये कहा कि सदैव प्रसन्नचित रह कर मुस्कराते रहंे, दूसरों के अच्छे गुणों की प्रशंसा करें और अच्छे गुणों को आत्मसात करने की कोशिश करें, दूसरों को छोटा न दिखाये तथा हर काम को और बेहतर ढंग से करने का प्रयास करें।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि डाॅ0 शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में सामान्य एवं दिव्यांग बच्चे साथ-साथ पढ़ते हैं। संवेदनशीलता के तहत प्रधानमंत्री ने दिव्यांग नाम देकर दिव्यांगों का सम्मान बढ़ाया है। शिक्षा से नये भारत का निर्माण होगा। विश्वविद्यालय दिव्यांगों को सक्षम नागरिक बनाने का महती कार्य करे तथा उन्हें समर्थ बनाकर रोजगार उपलब्ध कराया जाये। उन्होंने कहा कि एक केन्द्रीय दिव्यांग विश्वविद्यालय भी होना चाहिये तथा केन्द्र सरकार बे्रल प्रेस पर भी विचार करेगी।
दिव्यांग जन सशक्तीकरण विभाग मंत्री श्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि दिव्यांगों के विकास के लिये प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। दिव्यांगों को सक्षम बनाने के लिये कई महती योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है। दिव्यांगजन पेंशन को रूपये 300 से बढ़ाकर रूपये 500 कर दिया गया है तथा शिविर लगाकर कृत्रिम अंग भी बाटे जायेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी नौकरी में विकलांग जनों का आरक्षण प्रतिशत भी बढ़ा दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार व्यापक सर्वेक्षण के माध्यम से वास्तविक दिव्यांगजनों को चिन्हित करके सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराने हेतु संकल्पबद्ध है।
कुलपति डाॅ0 निशीथ राय ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा विश्वविद्यालय की प्रगति आख्या प्रस्तुत की।

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